मेरे भाई और सुनीता चाची की सेक्स कहानी
मेरी सुनीता चाची बहुत
सेक्सी है। मैं
अपनी सुनीता चाची को
बहुत शरीफ और
अच्छी समझता था।
लेकिन एक दिन
मैंने अपनी सुनीता
चाची और मेरे
चचेरे भाई को
एक साथ यानि
चाची की ठुकाई
करते देखा।
मेरा नाम अंकुर है मैं उत्तरप्रदेश का रहने वाला हूँ। ये कहानी मेरे मां के ठुकाई पने के बारे में है। सुनीता चाची का परिचय दे देता हूँ, मेरी सुनीता चाची का नाम सुहासिनी है, उम्र 39 साल, रंग गोरा, बदन एकदम हुमा कुरैशी की तरह है, यानि कि गदराया बदन है। चुचे उभार मार रहे हैं।
तो हुआ यह कि हम लोग गर्मी की छुट्टी में गांव आए थे। हम हमेशा गर्मी की छुट्टी में गाँव में आते थे करीब एक महीने के लिए। मैं अपनी सुनीता चाची को हमेशा एक अच्छी औरत समझता था लेकिन एक हादसे के बाद सब बदल गया।
चलिए अब कहानी शुरू करते हैं।
एक दिन हम सब लोग छत पे सो रहे थे, मैं उस वक्त करीब 18 साल का रहा होऊँगा। मैं चाची की बायीं ओर सोया था जबकि सुनीता चाची की दायीं तरफ मेरे ताऊ जी का लड़का प्रीतम सो रहा था। उसकी उम्र 20 साल थी और चाची हम दोनों के बीच में थी।
मैं सोया हुआ था कि तभी मुझे पेशाब लगा और मैं उठ गया। तभी मैंने कुछ आवाज़ सुनी, आवाज़ जानी पहचानी थी। अरे … ये तो प्रीतम था। अब मैंने ध्यान से सुनने की कोशिश की।
प्रीतम - चाची, बूब्स तो दबाने दो प्लीज़!
चाची - अभी कोई उठ गया तो गड़बड़ हो जाएगी।
प्रीतम - नहीं मैं तो करूँगा।
चाची ने उसको काफ़ी मना किया लेकिन शायद प्रीतम ने सुनीता चाची के बूब्स में मुँह लगा दिया था। अब मैं चुपके से उनको देखने की कोशिश करने लगा। लेकिन अंधेरे और एंगल की वजह से मैं देख नहीं पाया।
मैं सो नहीं पाया क्योंकि मेरे बगल में सोई हुई मेरी सुनीता चाची मेरे चचेरे भाई से इश्क़ लगा रही थी।
फिर चाची ने उसको हटा दिया और उसको बोला- अभी हम बेकाबू हो जाएँगे और कुछ ग़लत हो जाएगा। इससे अच्छा है कि हम ये सब कल करेंगे।
और वो लोग सो गये और मैं भी अब उस घड़ी का इंतज़ार करने लगा।
अगला दिन हुआ। सब कुछ नॉर्मल ही लग रहा था। सुनीता चाची और प्रीतम एक चादर के अंदर थे और सुनीता चाची की साड़ी घुटने तक उठी हुई थी। मैंने सोचा कहीं मेरे सोने के बाद ये लोग ठुकाई तो नहीं कर लिए। मैं बिस्तर पे पड़े पड़े ये ही सोच रहा था कि चाची उठ गयी और अपनी साड़ी ठीक की और नीचे चली गयी।
इंतज़ार करते करते पूरा दिन बीत गया और अब दोपहर के 2 बज गये थे। तभी मैंने देखा कि सुनीता चाची और प्रीतम ऊपर जा रहे हैं। मैं पहले से ही जानता था कि वो या तो ताऊ जी के कमरे में जाएँगे या हमारे कमरे में जाएँगे। मैंने दोनों जगह ही जुगाड़ कर लिया था।
वो लोग हमारे कमरे में गये। मैंने जब अंदर झाँक के देखा तो एकदम दंग रह गया। प्रीतम की पैंट गायब थी और उसका 8 इंच का लंड एकदम सुनीता चाची को सलामी दे रहा था। सुनीता चाची भी अपना साड़ी उतार चुकी थी और अब बस वो ब्लाउज और पेटिकोट में थी।
प्रीतम - आह चाची, कितना मस्त लग रही हो ऐसे।
चाची - अच्छा, तो ना खोलूं कपड़े अपने?
प्रीतम - कपड़े तो मैं आपके फाड़ूँगा आज!
सुनीता चाची - जो करना है कर लो। मैं तो यहीं हूँ।
और यह कहकर सुनीता चाची बिस्तर पर बैठ गयी और अपनी टाँग चौड़ी कर दी।
प्रीतम - हां मेरी जान, तेरे लिए महीनों महीनों मैं इंतज़ार करता रहता हूँ। आज रगड़ के लोड़ा घीसूँगा तेरे अंदर चाची।
अब प्रीतम ने सुनीता चाची के पेटिकोट को घुटने तक किया और उनके पैर को चाटने लगा। सुनीता चाची अब एकदम किसी रंडी की तरह मुँह बना रही थी, आहें भर रही थी।
प्रीतम धीरे धीरे अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ रहा था, उसकी जीभ सुनीता चाची के सुंदर बदन पे बेलगाम घोड़े की तरह दौड़ रही थी और दौड़ते दौड़ते वो सुनीता चाची की चूत तक पहुँच गया।
प्रीतम - वाह चाची, आपकी ये बात बहुत अच्छी लगती है मुझे कि आपकी चूत एकदम चिकनी मिलती है। मज़ा आ जाता है चाट के!
सुनीता चाची - पहले चाट तो ले मादरचोद!
प्रीतम ने अपनी जीभ सुनीता चाची की चूत के अंदर घुसा दी और सुनीता चाची की चूत को जीभ से ही पेलने लगा। सुनीता चाची एकदम सेक्सी आवाज़ निकाल रही थी।
सुनीता चाची - और अंदर प्रीतम … घुस जा मेरी चूत में … सारा पानी निकाल दे आज उफ्फ़!
प्रीतम - रुक ना रंडी … अभी तेरी जब मैं चूत मारूँगा तब सारी कसर निकल जाएगी।
मैं बाहर ये सब सुन रहा था और मेरा अब लंड खड़ा हो गया था और मैं अब अपनी रंडी सुनीता चाची के अंदाज़ को देख के मुठ मार रहा था।
प्रीतम के चूत चाटने से सुनीता चाची का रस निकल गया था जिसे प्रीतम ने पी लिया था।
और अब बारी सुनीता चाची की थी।
सुनीता चाची ने पहले तो प्रीतम को नीचे लिटाया और उसका लंड हाथ में लिया और बोली- पिछली बार से बड़ा हो गया है तेरा!
तब मुझे समझ में आया कि प्रीतम और सुनीता चाची बहुत पहले से ही ठुकाई करते थे।
सुनीता चाची ने पहले तो आहिस्ते से प्रीतम के लंड को ऊपर नीचे किया और अब सुनीता चाची ने अपने गुलाबी होंठ प्रीतम के सुपारे पे लगा दिए। मुझे यह देख कर बहुत जलन हो रही थी कि सारा मज़ा प्रीतम ही ले गया।
बहरहाल सुनीता चाची का पूरा मुँह अब प्रीतम के लंड से भरा हुआ था वो एक हाथ से बालो को साइड में करती और एक हाथ से अपने बूब्स को दबा रही थी। प्रीतम भी एक हाथ से सुनीता चाची के बूब्स को दबा रहा था। गुलपप्प गुलपप्प की आवाज़ें आ रही थी।
चाची ने प्रीतम का लंड अपने हाथों में ले लिया और उसने बिना देर किये सीधा अपने मुंह में भर लिया। प्रीतम ने अपनी शर्ट उपर करके अपना लंड चाची के मुंह में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
और प्रीतम बीच बीच में चाची के बालों को पकड़कर उसके मुंह को अपनी तरफ दबा देता जिससे लंड चाची के गले तक उतर जाता चाची की आँखों से आँसू निकालने लगे तो लंड मुंह से बाहर निकाल देता।
अब प्रीतम ने सुनीता चाची को एकदम से ही साइड कर दिया शायद वो झड़ने वाला था, वो उठा और उसने पानी पिया।
फिर उसने सुनीता चाची को बेड पे लिटा दिया और उनके पैर अपने कंधों पे रख दिए। इस तरह मेरी सुनीता चाची की चूत एकदम उभर के आ गयी। एकदम गुलाबी, एक भी बाल नहीं था सुनीता चाची की चूत पे।
प्रीतम ने अपना लंड सुनीता चाची की चूत पे रगड़ा तो सुनीता चाची बोली- अब और मत तड़पा, मैं मरी जा रही हूँ तेरा लंड लेने को!
प्रीतम - तब ये ले मेरी चुदक्कड़ चाची!
और एक धक्के में प्रीतम का 3/4 लंड सुनीता चाची की चूत को फाड़ता हुआ अंदर जा घुसा जिससे सुनीता चाची चिल्ला उठी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… धीरे कर ना हरामी! मेरी चूत इस झटके के लिए तैयार नहीं थी।
चाची ने रोते हुए कहा- बहुत दर्द हो रहा है प्रीतम ! मेरी फट गयी है।
मेरी चाची की आँखों से आँसू गिर रहे थे।
अब प्रीतम फिर से चाची के गालों और होठों को चूमने लगा। वो मेरी सुनीता चाची की एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा। सुनीता चाची को अब थोड़ा आराम मिला।
प्रीतम - तो तैयार कर ले। अब तो मैं रोज़ ही तेरी चूत मारूँगा और तेरी चूत ढीली कर दूँगा।
चाची अपनी चूत को मसल रही थी कि तभी प्रीतम ने एक और धक्का मारा और इस धक्के से सुनीता चाची की चुत में प्रीतम का पूरा लंड घुस गया।
सुनीता चाची की चीख निकल गयी और वो ऊपर उठ गयी।
प्रीतम ने सुनीता चाची को धक्का दिया और सुनीता चाची की चूत में धक्के लगाता गया। शुरू के 10 धक्के में तो सुनीता चाची की हालत खराब थी लेकिन बाद में सुनीता चाची भी एंजाय करने लगी और बोली- फक मी प्रीतम !
इस पर प्रीतम बोला- हिन्दी में बोल छीनाल!
सुनीता चाची - चोद मेरे राजा और ज़ोर से चोद! तेरे चाचा का लंड तो 5 इंच का है, और वो दो मिनट में ढेर हो जाते हैं। तू अपनी चाची की ठुकाई कर … अहह … ज़ोर से अहह!
सुनीता चाची अपनी एक हाथ से अपने बूब्स को दबा रही थी और एक हाथ से चूत को मसल रही थी। वो दोनों लोग एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे मानो कह रे हों कि कौन ज़्यादा भूखा है ठुकाई का। अब सुनीता चाची की चूत में प्रीतम का लंड बड़े प्यार से जा रहा था। शायद सुनीता चाची एक बार झड़ गयी थी जिससे उनकी चूत एकदम चिकनी हो गयी थी।
प्रीतम अपनी गांड को आगे पीछे कर रहा था, पूरे कमरे में पचपच की आवाज़ आ रही थी।
सुनीता चाची - प्रीतम , तूने मुझे जो सुख दिया है … अह्ह ह्ह्ह … मैं तेरी शुक्रगुजार हूँ। अह्ह्ह … अब तेरी चाची को स्वर्ग की सैर करा दे।
यह कह कर सुनीता चाची ने अपने चूत को और थोड़ा फैला लिया जिससे अब प्रीतम को धक्के लगाने में आसानी हो गयी।
ये ट्रिक काम भी कर गयी और प्रीतम की स्पीड में इज़ाफ़ा हो गया। अब प्रीतम का लण्ड सुनीता चाची के पैरों के बीच में से जाता हुआ चूत पे टकराता जिससे बहुत ही मधुर आवाज़ आती थी।
प्रीतम पूरे ताक़त से धक्के लगा रहा था और सुनीता चाची अपनी चूत उठा के उसका साथ दे रही थी।
कुछ और धक्के के बाद प्रीतम ने पोज़िशन बदल दी और सुनीता चाची को घोड़ी बनाया और सुनीता चाची झट से उस अवस्था में आ गयी। प्रीतम ने अपने लण्ड को बाहर निकाला और उसका लण्ड एकदम चमचमा रहा था।
उसने सुनीता चाची को बोला- जानेमन, यह रस तो पी लो।
सुनीता चाची ने प्रीतम का लण्ड अपने मुँह में भरा और लण्ड चाट के साफ़ करने लगी।
प्रीतम - चची, रुको मैं आपके मुँह को चोदता हूँ। मज़ा आएगा।
सुनीता चाची ने हाँ में सर हिलाया।
प्रीतम ने सुनीता चाची को घोड़ी बनाया और उनके मुँह में लण्ड दे दिया। अब वो धीरे धीरे आगे पीछे होने लगा, अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा।
सुनीता चाची तो जैसे सातवें आसमान पर थी।
तब सुनीता चाची बोली- प्रीतम , तुमने सही मायनों में मेरी कामुकता को शांत किया है, मैं पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ आज के बाद!
मै भी हैरान था कि प्रीतम करीब आधे घंटे से ठुकाई कर रहा था लेकिन उसके धक्के एकदम दमदार थे अब तक।
शायद यही होता है असली मर्द!
सुनीता चाची उसकी ठुकाई से काफी खुश आ रही थी और बोली- आज से मैं तुम्हारी हूँ तुम जो बोलोगे वो मैं करुँगी!
प्रीतम - पक्का? बाद में पलट मत जाना।
सुनीता चाची - नहीं पलटूँगी मेरे राजा, तुम जो मांगो मैं तुम्हें दूंगी।
प्रीतम - वक्त आने पे मांग लूंगा जान, अभी तो तुम पलट जाओ।
अब प्रीतम ने सुनीता चाची की गांड अपनी तरफ की और अपना लण्ड चूत पे सेट करने लगा। उसने अपना लण्ड सुनीता चाची की चूत पे सेट किया और एक धक्के में ही सुनीता चाची की चूत के अंदर उसका लण्ड घुस गया। और अब सुनीता चाची को भी खूब मज़ा आ रहा था।
सुनीता चाची - अहह प्रीतम … इस आसन को बस मैंने मूवीज में देखा है। कभी किया नहीं था। अह्ह … तुम्हारे साथ असली मज़ा आ रहा है ठुकाई का।
प्रीतम - अभी आगे देखो क्या क्या होता है चाची!
यह कहते हुए उसके चेहरे पे शातिर मुस्कान थी।
सुनीता चाची - चाची मत बोलो … मेरे नाम से बुलाओ सुहासिनी!
प्रीतम - चल सुहासिनी, तेरी ठुकाई का फाइनल चैप्टर चालू!
और अब उसने सुनीता चाची के कंधों को पकड़ा और उसके कंधे को बेड पे गिरा दिया और चोदने लगा। थोड़ी देर बाद उसने सुनीता चाची को थोड़ा उठाया और सुनीता चाची की कमर को पकड़ा और ज़ोरदार शॉट्स मारने लगा।
सुनीता चाची को एकदम मज़ा ही आ गया था।
सुनीता चाची - अह्ह अह प्रीतम ऊऊ … अज तो मैं मर ही गयी … मुझे रगड़ दो, निचोड़ दो मेरा बदन आज।
प्रीतम ने अपन पूरी ताकत और स्पीड झोंक दी। उस अवस्था में सुनीता चाची को करीब 10 मिनट तक चोदा और अब वो आने वाला था।
उसने सुनीता चाची की पीठ पे ही सारा माल झाड़ दिया और वो सुनीता चाची के ऊपर एसे ही लेट गया।
कुछ देर वो लोग ऐसे ही लेटे रहे। थोड़ी देर बाद सुनीता चाची और प्रीतम अलग हुए।
और अब सुनीता चाची को प्रीतम ने गोदी में ले लिया था और सुनीता चाची की गर्दन पर चुम्बन कर रहा था।
प्रीतम बोला- आज तो मजा आ गया सुहासिनी! क्या ठुकाई थी … आज तक की सबसे अच्छी ठुकाई थी।
सुनीता चाची - हां प्रीतम , ये तो है।
प्रीतम - याद है तुमने मुझे अभी एक वादा किया था कि जो मैं मांगूंगा वो तुम्हें देना होगा।
सुनीता चाची - हां प्रीतम बाबू जो तुम बोलो?
प्रीतम - आपको मेरे साथ बर्थडे पार्टी पे चलना होगा।
सुनीता चाची - बस इतनी सी बात? इसमें क्या है? चल देंगे।
प्रीतम - ठीक है।