शनिवार, 26 अगस्त 2023

दोस्त की भाभी के साथ सेक्स कहानी | भाभी सेक्स कहानी

 दोस्त की भाभी के साथ सेक्स कहानी

इस हिंदी ठुकाई कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपने दोस्त की भाभी को चोदा। जब पहली बार दोस्त के घर में मैंने उसकी सेक्सी भाभी को देखा तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं।




हैलो फ्रेंड्स, कैसे हैं। मस्त चूत वाली लड़कियों, प्यारी भाभियों और सेक्सी आंटियों को मेरे खड़े लंड का नमस्कार।

मेरा नाम करण   है और में 23 साल का हूँ और दिखने में स्मार्ट हूँ। मैं इंदौर का रहने वाला हूँ।

मेरी हिंदी ठुकाई कहानी मेरे और मेरे दोस्त की भाभी के बीच बने सेक्स संबंध की है कि कैसे मैंने अपने दोस्त की भाभी को चोदा।

ये बात करीब 8 महीने पहले की है। मेरी कॉलोनी में क्रिकेट का ग्राउंड है, जहां बहुत से बच्चे क्रिकेट खेलते हैं। मैं भी उधर क्रिकेट खेलता था। इसी खेल खेल में मेरी एक लड़के से अच्छी दोस्ती हो गयी। उसका नाम जयप्रकाश  (बदला हुआ नाम) है।

उसने मुझे बहुत बार अपने घर बुलाया कि आप आओ। हम लोग मेरी छत पर खेलेंगे।
उसके बहुत बार बोलने पर मैं उसके घर चला गया।

जब मैं उसके घर पहुंचा, तो उसने दरवाजा खोला और मुझे अन्दर बुलाया।

मैं अन्दर चला गया। उसने अपनी सेक्सी भाभी को आवाज लगाई। जब उसकी सेक्सी भाभी बाहर आईंतो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं।

क्या माल थीं यार वोउनकी उम्र करीब 35 के आस पास होगी, पर चेहरे पर चमक एकदम 30-32 की उम्र की भाभी जैसी थी। उनका नाम तब्बसुम (बदला हुआ नाम) था। आंटी का फिगर 36-32-40 का था, जो मुझे बाद में उनकी ठुकाई के वक्त पता चला था।

वो आकर मेरे सामने ही बैठी थीं। मैं चोर नजरों से उनको देख रहा था। शायद ये उन्होंने देख लिया था, पर कहा कुछ नहीं।

जयप्रकाश  के पापा बैंक में जॉब करते थे। वो दिन भर घर पर नहीं रहते थे।

फिर मैं थोड़ी देर बातें करके जयप्रकाश  के साथ छत पर खेलने चला गया। पर खेलने में मेरा मन नहीं लग रहा था। मैं बस चाची के ख्यालों में खो गया था।

एक घंटे बाद मैं अपने घर चला गया, पर चाची का ख्याल मैं अपने दिल और दिमाग से निकाल ही नहीं पा रहा था। मेरा लंड बैठ ही नहीं था।
फिर मैंने अपने रूम में जाकर चाची के नाम की मुठ मारी, तब कहीं आराम आया।

फिर मैं रोज उसके घर जाने लगा और जब भी मैं चाची के सामने या आसपास होतातो उनको घूरता रहता था।
शायद वो भी समझ रही थी कि मैं उन्हें क्यों घूरता रहता हूँ। पर वो कुछ बोल नहीं रही थीं।

मेरी भी इच्छाएं बढ़ती ही जा रही थीं। मैं हमेशा उनके पास रहने की कोशिश करता रहता थाकभी कभी उनको छूने की भी कोशिश करता था। पर इस तरह से कि उनको लगे कि ये सब गलती से हो गयापर वो सब समझ रही थीं।

एक दिन मैं जयप्रकाश  के घर गया और हम दोनों अभी क्रिकेट खेलने की तैयारी ही कर रहे थे कि उसको किसी का फ़ोन गया।
वो मुझसे बोला- मैं थोड़ी देर में आता हूँ तुम नीचे रुको।
मैंने भी कहा- ठीक है।
वो चला गया।

मैं भी उसके रूम में चला गया और लैपटॉप चलाने लगा। उस के लैपटॉप में कई ब्लू फ़िल्में थीं मैं एक फिल्म को वॉल्यूम बंद करके देखने लगा। मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया था और लोअर में से अलग से ही दिख रहा था।

फिर मैं चाची को देखने के लिये बाहर गया, तो वो किचन में कुछ काम कर रही थीं। उन्होंने आज एकदम फिट लैगी और कुर्ती पहन रखी थी।
लैगी में उनकी जांघें देख कर मेरा लंड और भी सख्त हो गया, जो शायद चाची ने देख लिया था।

आज ऐसा पहली बार हुआ था कि चाची के साथ मैं अकेला था। मैं उनको देखे जा रहा था।

उन्होंने मुझसे कहा- करण  , जैसे तुम मुझे घूरते रहते हो, वैसे तुमको नहीं देखना चाहिए।
मैंने बेख़ौफ़ कहा- चाची, आप इतनी सुन्दर हैं कि आपको तो कोई भी देखना चाहेगा। मैं चाहे कितनी भी कोशिश कर लूंमैं आपको देखने से अपने आपको रोक ही नहीं पाता हूँ।
फिर उन्होंने कहा- हां मुझे पता है इस उम्र में ऐसा होता है, पर फिर भी तुम्हें अपने आप पर कण्ट्रोल करना चाहिएक्योंकि ये सब गलत है।

चाची की बात सुनकर मैं थोड़ा उदास हो गया।

उन्होंने मुझसे कहा- तुम बाहर हॉल में जाओ, मैं चाय बना कर लाती हूँ।
मैं चला गया।

वो थोड़ी देर में चाय लेकर आईंजब चाची चाय देने के लिये झुकीतो मुझे उनके मम्मों की घाटी के अच्छे से दर्शन हो गए।

मैंने सोचा कि थोड़ा चांस तो लेना पड़ेगानहीं तो हाथ कुछ नहीं लगेगा।

चाची अपनी चाय लेकर मेरे सामने बैठ गईं और पूछने लगीं- तुम्हारी कोई गर्लफ्रैंड नहीं है क्या?
मैंने कहा- नहीं है।
उन्होंने कहा- क्यों?
मैंने हंस कर कहा- मुझे आप जैसी कोई मिली ही नहीं।
वो भी हंस दीं और बोलीं- चल हट बदमाशमसखरी करता है।
मैंने आह भरते हुए कहा- चाची सच मैं आप बहुत सुन्दर होअगर मैं आपका पति होता!

इतना बोलने के बाद मैं रुक गया।

उन्होंने पूछा- पूरा बोल यदि तू मेरा पति होता तो क्या?
मैंने कहा- कुछ नहींबस

तो वो बोलीं- क्या सच में मैं तुझे इतनी पसंद हूँ?
मैंने कहा- हां चाचीसच में आप मुझे बहुत सुन्दर लगती हो।
उन्होंने लम्बी सांस भरते हुए कहा- आहएक तू ही हैजिसे मैं इतनी सुन्दर लगती हूँएक मेरे शौहर हैं, जो मेरी तरफ ध्यान ही नहीं देते हैं।

मैंने पूछा- क्यों?
तो वो बोलीं- पता नहींलगता है जैसे अब उन्हें मुझमें कोई इंटरेस्ट ही नहीं है।
मैंने कहा- अगर आप मेरी वाइफ होतींतो मैं आपको

मैं फिर बोलते बोलते रुक गया।
उन्होंने मेरी आंखों में झांकते हुए कहा- रुक क्यों जाता हैपूरा बोल नाक्या बोलना चाहता है?
मैंने कहा- आप बुरा मान जाओगी।
उन्होंने कहा- बोल लेनहीं मानूंगी बुरा।

मैंने कहा- तो मैं आपको रोज प्यार करताजीभर केआपको कोई कमी नहीं होने देता।
ये बोलते हुए मैं उठ कर उनके पास जाकर बैठ गया। मैंने अपना हाथ उनकी जांघ पर रख दिया।

तो उन्होंने मेरा हाथ हटा दिया और खड़े होते हुए बोलीं- ये गलत हैतू मेरे बेटे का दोस्त हैऔर उम्र में भी मुझसे बहुत छोटा है।
मैंने कहा- चाची मैं आपको पसंद करता हूंआपसे प्यार करता हूँ बसऔर मैं कुछ नहीं जानता।

यह कह कर मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया। वो मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थीं, पर मैंने नहीं छोड़ा।

फिर वो ढीली पड़ गईं और मुझे बांहों में जकड़े रहने दिया। बल्कि वो खुद भी अपनी जकड़न बढ़ाने लगीं।

जब वो भी मुझे अपनी बांहों में जकड़ने लगीं तो मैंने उनकी गर्दन को पीछे करके उन्हें देखा। तो पाया कि दोस्त की सेक्सी भाभी की आंखों में थोड़े आंसू गए थे।

मैंने चाची के आंसू पौंछे और उनके होंठों को किस करने लगा।

पहले तो वो बस यूं ही खड़ी रहीं, पर थोड़ी देर बाद वो भी मेरे किस का रेस्पोंस देने लगीं। मैं उनको जोर से किस करने लगा। मैंने अपना हाथ उनकी कमर में डाला और जैसे ही मैं चाची के मम्मों पर हाथ ले जाने वाला था कि बाहर से जयप्रकाश  की गाड़ी रुकने की आवाज गई और हम दोनों अलग हो गए।

चाची की आंखों में मुझे साफ साफ मायूसी दिखीपर मुझे अपने घर जाना पड़ा।

अब हम अगली बार मिलने के मौके का इन्तजार करने लगे।
मैं अब काफी बेचैन रहने लगा था।

दो दिन बाद मैंने चाची को कॉल किया तो उन्होंने कहा- पांच दिन बाद जयप्रकाश  और उसके पापा दो दिन के लिए बाहर जा रहे हैं, तब तुम जाना।
मैं खुशी के मारे एकदम से उछल पड़ा।

फिर वो दिन भी गया, जब जयप्रकाश  और उसके पापा चले गए। मैं चाची के घर पहुंचा, तो उन्होंने मुझे प्यार से गले लगाया और अपने कमरे में ले गईं।
चाची ने मुझसे कहा- बैठो, मैं अभी आती हूँ।

मैं चाची के रूम में बैठ गया और वो चाय बनाने चली गईं।

मैंने देखा उन्होंने सलवार सूट पहन रखा था, जो पिंक कलर का था। चाची के ऊपर ये रंग बड़ा मस्त लग रहा था।

दो मिनट बाद चाची चाय लेकर कमरे में गईं और हम दोनों ने चाय पी।

वो मेरी आँखों में देखने लगी थीं। मैं उनके एकदम पास बैठ गया और उनको बांहों में लेकर किस करने लगा।

उनको भी मेरे साथ मजा रहा था। वो भी एन्जॉय कर रही थीं और हल्के स्वर में मादक सिसकारियां भी ले रही थीं।

अचानक उन्होंने मुझे हटा दिया और किचन की तरफ चली गईं।

मैं भी उनके पीछे पीछे चला गया और उनको पीछे से पकड़ लिया। मैंने एक हाथ चाची की कमर में डाला और दूसरे हाथ से उनके बड़े मम्मों को दबाने लगा। चाची के मम्मे मेरे हाथ में ही नहीं रहे थे। उनकी चूचियों की गोलाई का अहसास मुझे पहली बार हो रहा था।

चाची धीरे-धीरेअह्ह आहह सीईई ईईई उउम्म।किए जा रही थीं।

फिर उन्होंने कहा- पिछले एक साल से मेरे शौहर ने मुझे हाथ तक नहीं लगाया है।
मैंने कहा- डोंट वरी आंटीअब मैं हूँ ना।

फिर मैंने उनको वहीं डाइनिंग टेबल पर लिटाया और उनकी कुर्ती निकाल कर उनके मम्मों को ब्रा के ऊपर से दबाने लगा। उनके सपाट चिकने पेट को किस करने लगा और नाभि को जीभ से चाटने लगा।

चाची लगातार कामुक आवाजों में मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर रही थींअह्ह ह्ह अम्म्म अह्ह्ह सीईई ईईई।

मैंने अपनी शर्ट निकाल दी और उनकी भी सलवार खोल दी। उनकी नंगी हो चुकी जांघों को मैं जीभ से चाटने लगा। उनको बहुत ही ज्यादा मजा रहा था। और वे लगातार मादक आवाज निकाल कर मुझे कुछ ज्यादा ही उकसा रही थीं।

मैंने अपना पैंट खोल दिया और उनको देखा।
उन्होंने मेरे लंड पर अपना हाथ रख कर कहा- आह ये काफी बड़ा हैबड़ा सख्त और मोटा लंड है तेरा करण   … तू मुझे पहले क्यों नहीं मिला रेआज काफी मजा आने वाला है।

मैंने चाची की पैंटी भी निकाल दी। उनकी चूत पर छोटे छोटे बाल थे। मैं घुटनों के बल बैठ गया और उनकी चूत को जीभ से चाटने लगा।

उन्होंने मुझे हटाते हुए कहा- क्या कर रहा है तूहट जावो गंदी जगह है। मेरे शौहर कभी ऐसा नहीं करते।
पर उन्हें अच्छा भी लग रहा था, तो मस्त मादक सीत्कार भी करे जा रही थींअह हहसीईईमर गयीईईरुक जा मत कर।

आंटी मुझे हटा भी रही थीं और मुझे सर दबा कर अपनी चूत को रगड़वा भी रही थीं।

कुछ देर चूत चूसने के बाद मैंने अपना अंडरवियर निकाला और उठ कर सीधा दोस्त की भाभी के हाथ में लंड दे दिया।

वो प्यार से लंड सहलाने लगीं। मेरा लंड और भी सख्त हो गया।
मैंने कहा- चाची लंड मुँह में लो ना।
उन्होंने कहा- उन्हमुझसे नहीं होगातू सीधे मेरी चूत ही चोद ले।

मैंने भी सोचा कि चलो पहली बार सीधे चूत ही चोदते हैं।

तो मैंने चाची को टेबल पर सीधा लिटा दिया और चूत पर लंड को सैट करके एक धक्का दे मारा। मेरा आधा लंड चूत में घुस गया।

मेरे दोस्त कीकी सिसकारी निकल गई- अह्हमर गईअम्म्मसीईई। आह करण   पूरे एक साल के बाद इस चूत ने लंड का स्वाद चखा है। आह तू मेरी प्यास बुझा दे। उन्हतू जो बोलेगा वो मैं करूंगी। मुझे कभी छोड़ कर मत जाना प्लीज। आह आशू चोद दे।
मैंने लंड पेलते हुए कहा- हां चाची कभी नहीं जाऊंगा

मैं जोर जोर से चूत में लंड के धक्के देता रहा। वो भीअहह सीईईअह्हअम्म।करती रहीं।

फिर मैंने अपनी स्पीड काफी तेज कर दी और धकापेल चाची की चूत चोदने लगा। उनको काफी मजा रहा था। चाची ने अपनी दोनों टांगें हवा में उठा दी थीं और मेरे लंड को पूरा अन्दर तक ले रही थीं।

करीब 10 मिनट की ठुकाई के बाद मुझे लगा कि मेरा काम तमाम होने वाला है।
तो मैंने कहा- चाची मेरा होने वाला हैरस कहां निकालूं?
उन्होंने कहा- अन्दर ही निकाल देबड़े दिनों बाद ही सही, पर मेरी चूत को शांति मिल जाएगी।

मैंने लगातार धक्के दस लगाकर चाची की चूत में पिचकारी छोड़ दी।

मुझे लगता है कि मैं अपने जीवन में सबसे ज्यादा देर तक इसी टाइम झड़ा था। मैं वैसे ही चाची के मम्मों के बीच सर रख कर ढेर हो गया। वो मेरे सर को सहलाती रहीं।

फिर मैं उठा और उनको भी उठाया। हम दोनों साथ ही नहाये। फिर उन्होंने खाना बनाया और हमने साथ में खाया।

दोस्त की भाभी ने कहा- अब से मैं तुम्हारी हूँ। जब चाहो, तुम आकर मुझे प्यार कर सकते हो। पर ये बात किसी को पता नहीं चलना चाहिए।
मैंने कहा- किसी को भी ये बात पता नहीं चलेगी चाची। आप निश्चिन्त रहिए।

मैंने दोस्त की सेक्सी भाभी को गले लगाया और किस किया और रात को फिर से घर आने का बोल कर मैं अपने घर गया।
इस तरह से मैंने दोस्त की भाभी को चोदा।

मैंने घर पर बताया कि मुझे मेरे दोस्त के घर सोने जाना है, उनके मोहल्ले में बहुत चोरियां हो रही है। चाची अकेली ही घर पर हैं।
चाची ने भी मेरी मम्मी से बात करके मुझे भेजने की बात कह दी थी।
तो घर से अनुमति मिल गई।

फिर मैं अगले दो दिन उनके साथ ही रहा और बहुत मजा किया। उनको बहुत कुछ सिखाया भीसीखा भी और आंटी की चूत की ठुकाई का मजा भी किया। वो सब मैं अगली बार बताऊंगा।

 

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