हॉट और सेक्सी चाची के साथ सेक्स कहानी
नमस्ते सेक्स कहानीके सभी दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी आंटी की ठुकाई की है, इसलिए कोई गलती दिखे, तो प्लीज़ माफ़ कर दीजिएगा।
मेरा नाम सागर है। मैं बिहार के पटना जिले का रहने वाला लड़का हूँ। मैं देखने में अच्छा खासा हूँ और मेरे लंड का आकार 6 इंच है। मुझे सेक्स कहानी की कहानियां पढ़कर बहुत मजा आता है।
यह मेरी पहली कहानी है, इसलिए कोई गलती दिखे, तो प्लीज़ माफ़
कर दीजिएगा।
बात उस समय की है, जब मैं करीब 18 साल का था। उस टाइम हमारे पड़ोस में एक मस्त आंटी रहती थीं। उनका नाम अनु था। उनका पति जॉब करता था, जो सुबह जाता और सीधे रात को ही वापस आता था। मस्तानी आंटी की उम्र लगभग 27 साल की थी और उनका फिगर बड़ा ही मस्त था। आंटी के बूब्स 36 इंच के थे, कमर 30 की थी और उनकी गांड तो इतनी बाहर को निकली हुई थी कि जो भी आंटी को एक बार देख भर ले, उसका लंड तुरंत खड़ा हो जाए।
मैं जब भी आंटी को देखता, तो उनके नाम की मुठ जरूर मारता था। मेरे और आंटी के बीच बहुत बनती थी। वो अक्सर मुझे कुछ न कुछ काम के लिए बोलती रहती थीं।
एक दिन की बात है, उन्होंने मुझसे बोला- सागर भैया, मुझे
मार्किट जाना है क्या आप मुझे ले चलोगे?
मैं बोला- हां क्यों नहीं आंटी … चलो।
फिर उन्होंने बोला- रुको, मैं 5 मिनट में तैयार होकर आती
हूँ।
फिर 5 मिनट बाद उन्होंने मुझे आवाज दी- चलो मैं रेडी हूँ।
मैंने सोचा ‘आंटी आप तो आज रेडी हो, मगर मैं तो कबसे आपको चोदने के लिए रेडी हूँ।’
यह सोचता हुआ मैं बाहर आ गया और आंटी को देखने लगा। आंटी
बड़ी मस्त लग रही थीं। मुझे यूं घूरता हुआ देख कर आंटी बोलीं- क्या हुआ … ऐसे क्या
देख रहे हो … मुझमें कोई कमी दिख रही है क्या?
मैंने पलट कर जवाब दिया- आंटी आप में कोई कमी ही तो नहीं
दिख रही है, यही तो समस्या है।
मुझे फ्लर्ट करते देख कर आंटी हंस दीं और बोलीं- अब ये मसखरी छोड़ो और जल्दी चलो। वापस भी आना है।
आंटी मेरे करीब आई और मैंने उनको अपने पीछे बैठने का इशारा
किया। आंटी गांड उचका कर सीट पर बैठ गईं। जैसे ही आंटी बैठीं, तो उन्होंने मेरे
कंधे का सहारा लिया और बैठते समय उनका शरीर मेरी पीठ से रगड़ गया। मुझे इतने में ही
तरन्नुम आ गई थी।
मैंने बाइक आगे बढ़ा दी। हम बाइक पे चल दिए। बाजार जाकर आंटी
ने कुछ सामान लिया और एक शॉप से उन्होंने अपने बेटे के लिए चॉकलेट ले ली। फिर हम
घर की ओर चल दिए।
आधे रास्ते में पहुंचने पर आंटी ने मुझसे एक सवाल पूछा-
विशाल, आपकी कोई गर्लफ्रेंड है या नहीं?
मैंने बोला- आंटी आप ये क्या पूछ रही हो?
आंटी ने बोला- शर्माने की कोई बात नहीं … आप मुझे बता सकते
हो।
मैं मना किया कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।
आंटी बोलीं- क्यों नहीं है। कोई मिली नहीं क्या?
मैंने कहा- हां आप ऐसा ही समझ लो कि अभी तक मन की कोई मिली
ही नहीं।
आंटी बोलीं- कैसी चाहिए?
मैं बोला- आंटी आप जैसी चाहिए … मुझे अभी तक आप जैसी कोई मिली ही नहीं।
इस पर आंटी ने बोला कि मुझमें ऐसा क्या ख़ास है?
मैं बोला- आंटी सब कुछ तो ख़ास है आपमें … सच में भैया बहुत
किस्मत वाले हैं, जो उनको आप जैसी वाइफ मिली है।
फिर आंटी बोलीं- अच्छा जी … पर मुझे पहले ये तो बताओ कि
आपको मुझमें ऐसा क्या ख़ास दिखा है … ये बताओगे जरा?
मैं बोला- छोड़ो आंटी।
आंटी ने जिद करते हुए कहा- बताओ ना यार?
मैंने बोला- आपका फिगर … आपका फेस सब कुछ मस्त है।
उन्होंने बोला- अच्छा आपको मेरा फिगर मस्त लगता है।
ये कहते हुए आंटी हंस दीं।
अब तक हम दोनों घर पहुंच गए थे। फिर उन्होंने बोला- चलो … जरा मेरा सामान अन्दर रखवा दो।
मैं सामान अन्दर रखने गया। सामान रख कर मैं वापस निकल रहा
था, तो आंटी ने बोला- लो चॉकलेट तो खा लो।
मैंने बोला- ओके आंटी, लाओ दे दो।
फिर मैं बोला- आंटी, आप भी तो खा लो।
तो वो मेरे पास को आईं। आंटी ने चॉकलेट मेरे मुँह में रख कर अपने होंठों को मेरे होंठों से मिला कर चॉकलेट खाने लगीं। उनके ऐसा करते ही मेरी तो सांस ही रुक गयी। मैं हतप्रभ था, लेकिन बस चुपचाप उनका साथ दिए जा रहा था। आंटी के गर्म होंठों से मुझे भी बहुत गर्मी चढ़ने लगी।
फिर 5 मिनट बाद मैं भी उनको किस करने लगा। उसके बाद उन्होंने मेरा हाथ ले कर अपने मम्मों पर रखा और ब्लाउज के ऊपर से ही दूध दबवाने लगीं।
कोई दस मिनट तक ऐसा ही चला, फिर आंटी की बुरठुकाई के लिए बेचैन होने लगी तो वो मुझसे अलग होते हुए बोलीं- चलो, रूम में चलते हैं।
मैं आंटी के साथ उनके बेडरूम में आ गया। रूम में जाते ही मैंने रूम का गेट बंद किया और उनको किस करने लगा। फिर मैंने उनकी साड़ी उतार दी और ब्लाउज के ऊपर से उनकी चूचियों को दबाने लगा।
कुछ मिनट तक ऐसे ही करने के बाद मैंने आंटी का ब्लाउज और
पेटीकोट खोल दिया। अब आंटी सिर्फ पिंक ब्रा और पैंटी में मेरे सामने रह गई थीं।
मैंने आंटी को बिस्तर पर लेटा दिया और उनके ऊपर आ गया। मैं उनको किस करते करते उनके बूब्स दबाने में लग गया। अब तक आंटी भी चुदास से भर गई थीं। वे बिस्तर से उठीं और उन्होंने अपनी ब्रा और पेंटी खोल कर फेंक दी।
इसके बाद आंटी ने मेरे भी सारे कपड़े खोल दिए। पूरी तरह से हम दोनों नंगे हो चुके थे। मेरा लंड छत की तरफ मुँह उठाए खड़ा था।
आंटी बेड पर लेट कर बोलीं- आजा मेरे राजा … खा जा मेरी इस
जवानी को।
बस इतना सुनते ही मैं आंटी के ऊपर चढ़ गया और उनकी चूचियों को दबाने और चूसने में लग गया।
आंटी मेरे बालों में हाथ फेरते हुए बोल रही थीं- आह चूस लो मेरे राजा … खा जा इनको … आह और चूस।
फिर मैं थोड़ा नीचे आकर उनके पेट पर किस करते हुए उनकी बुरतक
पहुंच गया। पहले तो मैंने उनकी बुरके ऊपर किस किया और फिर उसके आस पास किस किया।
उतने में आंटी सिसकारियां लेते हुए बोलीं- सागर अब इतना मत तड़पाओ … चूस लो … खा जाओ मेरे बुरको … ये मुझे बहुत परेशान करती है … साली को लंड ही नहीं मिलता।
मैं ये सुनकर थोड़ा चौंका, फिर मैंने आंटी की बुरपे मुँह रख दिया। आंटी की चुत पहले से ही गीली हो चुकी थी।
मैंने जैसे ही अपनी जीभ उनकी बुरपर लगाई, उन्होंने मेरा सर बुरमें
घुसा दिया। मैं भी उनकी बुरचाटने लगा।
आंटी मादक सिसकारियां लेते हुए बोल रही थीं- उम्म्ह … अहह … हय … ओह … हां ऐसे ही चूसो … आह और तेज … हां खा जाओ इसको हां और तेज।।
वो मेरा सर जोर से अन्दर डालने लगीं। फिर वो झड़ गईं और मैं उनकी बुरका सारा पानी पी गया। क्या मस्त टेस्ट था यार मजा आ गया।
फिर आंटी खड़ी हुईं और मुझे बेड पर धक्का दे कर खुद घुटनों पर बैठ गईं। अब वो मेरा लंड चूसने लगीं। आंटी लंड चूसते हुए बोल रही थीं- क्या मस्त लंड है तेरा सागर … तेरे भैया का तो इसका आधा भी नहीं है … उनको ठुकाई में मन ही नहीं लगता है, आज तो तू मेरी बुरफाड़ ही देगा।
बस आंटी लंड चूसने में मस्ती से लग गईं। आंटी मेरे लंड को ऐसे चूस रही थीं, जैसे कोई बच्चा लॉलीपॉप चूसता है।
कुछ मिनट तक लंड चूसने के बाद मैंने आंटी को बेड पर लेटा दिया और उनके पैरों को फैला दिया। मैंने लंड को हिलाया और उनकी टांगों के बीच में आकर उनकी बुरपर रगड़ने लगा।
मेरी मस्तानी आंटी तो बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी थीं। वे सिसकारियां लेते हुए बोलीं- मेरे राजा और मत तड़पा अपनी आंटी को … जल्दी से डाल दो अपना लंड … अपनी आंटी की बुरके अन्दर पेल दे।
मैंने भी आंटी को ज्यादा तड़पाना ठीक न समझा और बस लंड को
उनकी बुरके छेद पर रख कर एक धक्का लगा दिया। इस पहले ही तगड़े धक्के से मेरा आधा
लंड आंटी की बुरमें अन्दर घुस गया। तभी आंटी की जोर से चीख निकल गयी- उम्म्ह … अहह
… हय … ओह …
आंटी दर्द से तड़फते हुए बोलीं- आह सागर … बहुत मोटा है… मर गई … इसे जल्दी से बाहर निकालो … आह इसको निकालो।
मैं आंटी के ऊपर पूरी तरह से छा गया और उनको किस करने लगा। उनके मम्मों को दबाने लगा। थोड़ी देर बाद उनका दर्द कम हुआ, तो मैंने एक और जोरदार धक्का दे मारा। इस बार मेरा पूरा लंड अन्दर चला गया।
फिर मैं कुछ देर आंटी के ऊपर लेटा रहा। आंटी के सामान्य होने के बाद मैंने धक्के मारने शुरू कर दिए। अब आंटी भी नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर चुदवा रही थीं और बोल रही थीं- आह और जोर चोद मुझको … हां ऐसे ही … तेरा लंड मेरी बुरकी पूरी खुदाई कर रहा है … आह।
यह सिलसिला 30 मिनट तक चला। उसके बाद मैंने बोला- आंटी मेरा
आने वाला है, कहां निकालूं?
आंटी बोलीं- मेरी बुरमें ही झड़ जा, ये बहुत दिन से सूखी है।
फिर 5-6 धक्कों के बाद मैं आंटी की बुरमें ही झड़ गया और उनके ऊपर लेट गया।
इसके बाद आंटी की बुरमुझे हमेशा ही चोदने के लिए मिलने लगी। कुछ दिनों बाद उनकी गांड मारने की ख्वाहिश भी जोर मारने लगी। मैंने आंटी की गांड कैसे मारी, वो मैं अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा।