सोमवार, 21 अगस्त 2023

मकान मालकिन सविता भाभी सेक्स 2 कहानी | सविता भाभी सेक्स कहानी

मकान मालकिन सविता भाभी सेक्स 2 

अब तक मेरी भाभी की ठुकाई की कहानी के पहले भाग
में आपने पढ़ा कि भाभीकी ठुकाई अब होने में कुछ ही देर बाक़ी थी। मकान मालकिन सविता भाभी सेक्स पार्ट 1

मैं फिर उनको किस करने लगा और फिर सविता भाभीउठी और कुर्ती भी निकाल दी। अब सविता भाभीके बूब्ज़ मेरे सामने थे।
उनके बूब्ज़ ज्यादा बड़े नहीं थे पर पता नहीं क्यूं मैं उनके बूब्ज़ का दीवाना था। पहली बार मुझे उनके बूब्स को चूमने का मौका मिला था।

भाभीने मुझे लेटा दिया, खुद मेरे ऊपर गयी और मुझे किस करने लगी, मेरी जीभ को भी चूसने लगी।
मैंने कहा- आपको तो अच्छा नहीं लगता था ये?
तो वो बोली- तुमने मुझे मेरी चुत चूस कर इतना मजा दिया तो क्या मैं तुम्हारे लिये इतना भी नहीं कर सकती!
यह कह कर सविता भाभीफिर से मेरी जीभ को चूसने लगी। मैं उनके बूब्ज़ को मसल रहा था।

थोड़ी देर में भाभीफिर से गर्म हो गयी और कहने लगी- अब और इंतजार मत करवाओ।
मैंने उन्हें बिस्तर पर लेटाया और मैं उनके ऊपर गया और बूब्ज़ को चूसने लगा। फिर मैंने उनके पेट पर अपनी जीभ घुमाना शुरू किया, उनकी नाभि को चुमने लगा।
तो भाभीसिसकारियाँ लेने लगी।

फिर मैंने भाभीकी टांगें फैलायी और अपने लंड को सविता भाभीकी चुत पर रगड़ने लगा। उनकी चुत से जो गर्मी निकल रही थी, उसे मैं अपने लंड पर महसूस कर रहा था।
सविता भाभीकी चुत की गर्मी की वजह से मेरा लंड और भी सख्त हो गया था।

मैंने भाभीकी चुत पर थोड़ी देर लंड रगड़ने के बाद कहा- आप मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चुत पर रखो।
भाभीने मेरे लंड को पहले तो अपनी मुट्ठी में कस कर पकड़ा और थोड़ी देर तक हिलाया। उसके बाद अपने हाथ में ढेर सारा थूक लेकर मेरे लंड पर लगाया और अपनी चुत पर रख दिया।

फिर मैंने धीरे से अपने लंड को सविता भाभीकी चुत में डालना प्रारंभ किया। मेरा लंड मोटा होने के कारण भाभीकी चुत में धीरे-धीरे जा रहा था। मैंने जोर से धक्का मारने का प्रयास नहीं किया क्योंकि मैं भाभीको दर्द नहीं देना चाहता था।

धीरे से मैंने सविता भाभीकी चुत में पूरा लंड डाल दिया और उनके ऊपर थोड़ी देर लेट गया, उनको किस करने लगा। फिर मैंने धीरे-धीरे झटके मारे और 2 मिनट में ही मेरा पानी निकलने वाला था।

मैं जोर-जोर से धक्के मारने लगा और मेरा पानी निकल गया।
इससे मैं निराश था क्योंकि भाभीको पूरी संतुष्टि से चोद ना सका था। मैंने अपना लंड बाहर निकाला और भाभीकी बगल में लेट गया और भाभीसे बोला- सॉरी आंटी, मेरा पानी जल्दी निकल गयापता नहीं क्यों!
तो भाभीबोली- कोई बात नहीं, ऐसा होता है। तुम्हारा पहली बार था ना इसलिए।

भाभीपूर्ण संतुष्ट तो नहीं हुई थी पर वो खुश थी।

थोड़ी देर हम एक दूसरे की बांहों में लेटे रहे। फिर भाभीका ध्यान घड़ी पर गया तो दोपहर का एक बज गया था।
भाभीने कहा- बच्चों के आने का समय हो गया है।
तो मैंने भाभीको किस् किया और हम दोनों ने कपड़े पहने और मैं जाने लगा।

भाभीने मेरा हाथ पकड़ कर रोक लिया और मेरी आँखों में देखने लगी।
मैंने कहा- क्या हुआ?
तो उन्होंने मुझे फिर से किस किया और कहने लगी- रियान , तुम मुझे कभी छोड़ कर तो नहीं जाओगे ना?
मैंने उनके सिर को चूमते हुए कहा- कभी नहीं।
और फिर मैं अपने कमरे में गया।

फिर मैं नहा-धो कर तैयार हो गया और पापा को फोन किया- आप लोग कब रहे हैं?
तो उन्होंने कहा- कल सुबह तक जायेंगे।
मैं खुश हो गया।
फिर मैं बाईक उठा कर अपने दोस्तों को मिलने चला गया।

चार बजे सविता भाभीका फोन आया। उनका फोन देख कर मैं थोड़ा चौंक गया पर मेरी खुशी ज्यादा थी।
मैंने फोन उठाया तो भाभीबोली- तुम कहां हो? अभी तक घर नहीं आये?
तो मैंने कहा- क्यूं आंटी, मेरी याद रही है क्या?
तो उन्होंने शर्माते हुए कहा- नहीं तोमैं बस ऐसे ही पूछ रही थी।
मैंने कहा- थोड़ी देर में रहा हूं।
तो भाभीने कहा- जल्दी आना, मैं इंतजार करूंगी।
और फोन रख दिया।

अब तो मैं भी बेताब हो गया था, अब एक पल भी दोस्तों के साथ मन नहीं लग रहा था।
मैंने दोस्तों को कहा- अब मुझे जाना है, घर कुछ काम है।
तो दोस्तों ने कहा- यार, अभी से जा रहा है? क्या करेगा घर जाकर?
मैंने कहा- कुछ काम है।
और मैं वहां से फौरन निकल गया और घर गया।

मैंने मेन गेट खोला तो सविता भाभीबाहर बरामदे में बैठी थी और ऐसा लग रहा था कि मेरा ही इंतजार कर रही थी।
मुझे देखते ही उनके चेहरे पर मुस्कुराहट गयी। भाभीअपने छोटे बेटे को बाहर बैठा कर पढ़ा रही थी।

मैं अपने घर के अंदर गया और कुर्सी ले कर आया। मैं भी भाभीके सामने बरामदे में बैठ गया।
भाभीनहा चुकी थी और उन्होंने लाल रंग की साड़ी पहन रखी थी।

मैं उन्हें देख रहा था। उन्होंने मुझे आँखों से इशारा किया।
फिर उन्होंने अपने बेटे से कहा- तूने ये शॉर्ट्स क्यूं पहनी? दूसरी पहन कर आओ।
तो उनका बेटा बोला- इसमें क्या हो गया? ठीक तो है।

उन्होंने फिर कहा- बोला ना कि शॉर्ट्स पहन कर !
उनका इशारा मेरी तरफ था क्यूंकि मैंने जींस पहन रखी थी। वो मेरे शॉर्ट्स में से मेरे लंड के उभार को देखना चाहती थी।
मैं समझ गया और उठ कर शॉर्ट्स पहन कर गया।
तो उन्होंने हाथ से इशारा करके कहा- सुपर।

मैं फिर कुर्सी पर बैठ गया और अपने लंड को धीरे-धीरे मसलने लगा तो सविता भाभीमुस्कुराने लगी। वो भी मुझे अपने बूब्ज़ दिखाने की कोशिश कर रही थी। ऐसे ही हम दोनों की बातें और इशारे चल रहे थे।

इतने में उनकी बेटी कोचिंग से गयी तो हम दोनों संभल कर बैठ गये।

फिर भाभीभी अंदर चली गयी और मुझे बोली- मैं अब खाना बनाऊँगी तो जाना खाने।
8 बजे के लगभग मैं खाना खाकर वापिस अपने घर की तरफ गया और पढ़ाई करने लगा।
पर पढ़ाई में मेरा बिल्कुल मन नहीं लग रहा था, मुझे तो बस भाभीही दिखाई दे रही थी। पता नहीं क्यूं मुझे ऐसा लग रहा था कि मुझे उनसे मोहब्बत हो गयी थी।

थोड़ी देर किताब खोल कर बैठा, फिर टीवी चालू कर ली और मूवी देखने लगा।
12 बजे करीब मूवी खत्म हुई और मैं सो गया। पर मुझे नींद नहीं रही थी।

मैं तो बस सविता भाभीके ख्यालों में खोया हुआ था। आप लोगों को सविता भाभीइतनी खूबसूरत नहीं लगेगी। पर मैं तो बस उनका दीवाना था। जब से 18 साल का हुआ था, मुझे उनसे मोहब्बत हो गयी थी। पर कभी सोचा नहीं था कि सविता भाभीभी मुझे इतनी मोहब्बत करेगी।

मैं उनके ख्यालों में ही था कि सविता भाभीमेरे रूम में गयी और मेरी रजाई में गई और मुझसे लिपट गयी। मैं समझ गया कि सविता भाभीआ गयी हैं।

मैंने धीरे से कहा- मेरे बिना नींद नहीं रही थी क्या?
तो भाभीबोली- तुम्हें भी तो नींद नहीं रही थी।
मैं उनकी तरफ चेहरा करके बोला- आपके बारे में ही सोच रहा था।
और उन्हें किस करने लगा।

भाभीबोली- तुम्हारे लिये सरप्राईज है,
तो मैंने कहा- अच्छा क्या सरप्राईज है?
भाभीने कहा- आँखें बंद करो।
और उन्होंने मेरे हाथ को अपने हाथ में पकड़ा और पेटीकोट के अंदर डाल कर चुत पर रख दिया और बोली- अब सहलाओ।

तो मुझे महसूस हुआ कि ये भाभीकी चुत थी और उस पर एक भी बाल नहीं था।
मैंने आँखें खोली और उनको बिस्तर पर लेटाया। मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर करके चुत को देखा। चुत पर एक भी बाल नहीं था।
सविता भाभीकी चुत थोड़ी काली थी तथा उनकी चुत के लिप्स खुले हुए थे। उनकी उम्र के हिसाब उनकी चुत नहीं, वो भोसड़ा था। पर मैं खुश था और उनकी चुत पर पागलों की तरह टूट पड़ा और बेरहमी से चुत को चाटने लगा। भाभीसिसकारियाँ ले रही थी।

अब मैं दिन की तरह ये सब करने में टाइम वेस्ट नहीं करना चाहता था क्यूंकि दिन में थोड़ी देर में ही मेरा पानी निकल गया था।
भाभीने कहा- तुम लेट जाओ, एक और सरप्राइज है तुम्हारे लिए!
मैं लेट गया।

सविता भाभीने मेरे शॉर्ट्स को निकाल दिया। अब मेरा लंड भाभीकी मुट्ठी में था। भाभीके चेहरे पर मेरे लंड को देख कर खुशी साफ दिखाई दे रही थी।
भाभीकहने लगी- तुम्हारा लंड तो मेरी मुट्ठी के अंदर ही नहीं रहा है।
सविता भाभीमेरे लंड को सहला रही थी और फिर धीरे से अपने होंठों से चूमने लगी।

मैं मुस्कुराने लगा।

भाभीथोड़ा असहज महसूस कर रही थी। पर मेरी खुशी के लिये वो मेरे लंड को चूसने लगी।
मेरी तो जैसे जान ही निकल रही थी। मैं थोड़ा नर्वस था कि कहीं दिन में जो हुआ था उस तरह फिर से कहीं मेरा पानी जल्दी ना निकल जाये।

भाभीने थोड़ी देर मेरे लंड को चूसा और फिर से मेरे ऊपर गयी और अपने हाथ से अपना एक बूब पकड़ कर मेरे मुंह में दे दिया। मैं किसी नवजात शिशु की तरह उनके बूब को चूसने लगा।

फिर मैंने भाभीको लेटाया और बिना देर किये भाभीकी टांगों को फैलाया और अपने लंड को उनकी चुत के मुंह पर रख कर धीरे से लंड अंदर डाल दिया। फिर धीरे-धीरे मैंने धक्के मारना शुरू किया।

सविता भाभीमजे ले रही थी और धीरे-धीरे आवाजें निकाल रही थी।

अभी भी मैं लंड को सविता भाभीकी चुत में धीरे-धीरे डाल रहा था तो भाभीबोल उठी- थोड़ी स्पीड बढ़ाओ ना!
मैं मुस्कुराया और जोर जोर से धक्के मारने लगा।

सविता भाभीकी वासना अब चरम सीमा पर थी, वो अपनी गांड उठा उठा कर मेरे लंड को अंदर तक लेने की कोशिश कर रही थी।
भाभीका अब पानी निकल चुका था।

हम दोनों की ठुकाई को 15 मिनट हो गये थे, मैं एक ही पोजिशन में चोदे जा रहा था।
तो भाभीने कहा- डोगी स्टाइल से करें अब?
मैंने कहा- ठीक है!


वो अब डोगी पोजिशन में गयी। मैंने सविता भाभीकी कमर पकड़ कर जोर-जोर से धक्के मारना शुरू किया तो धक्कों के कारण मेरी जांघें सविता भाभीकी गदराई हुई गांड से टकरा रही थी। जिसके कारण आवाज पूरे रूम में गूंज रही थी और सविता भाभीभी आवाजें कर रही थी।

अब मेरा पानी भी निकलने का समय गया था और सविता भाभीभी कहने लगी- और जोर सेअब मेरा पानी निकलने वाला है। प्लीज रूकना मत अब।
मैं भी जोर-जोर से धक्के मारने लगा।

5 मिनट बाद भाभीका पानी निकल गया और मैंने भी जोर जोर से मारते हुए अपने लंड का पानी सविता भाभीकी चुत में डाल दिया और असहाय होकर सविता भाभीके ऊपर ढेर हो गया।

हम दोनों थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहे। फिर मैं उठा सविता भाभीके बगल में लेट गया और उनके बूब्ज़ दबाने लगा।

मैंने सविता भाभीको कहा- आप खुश हैं अब?
वो मेरे गालों पर हाथ फेरते हुए बोली- बहुतबहुत ज्यादा खुश हूं। तुम्हें पता नहीं है कि तुमने मुझे कितनी खुशी दी है।

हम दोनों ने एक दूसरे को बांहों में भर लिया। सविता भाभीथोड़ी भावुक हो गयी थी और मेरी आँखों में देख कर रोने लग गयी।
मैंने कहा- क्या हुआ? आप रो रही हो? अभी तो बोल रही थी कि मैं बहुत खुश हूं।
सविता भाभीकहने लगी- कितने साल बाद आज मुझे इतना प्यार मिलाइसलिए थोड़ा भावुक हो गयी।

मैंने भी उनके गालों को दोनों हाथों से पकड़ा और कहा- अब मैं आपको कभी निराश नहीं करूंगा।

तो दोस्तो, यह थी मेरी पहली सच्ची मोहब्बत के साथ पहली चुदाई।

हम दोनों दो साल तक ऐसे ही मौके मौके पर ठुकाई करते रहे। अब भईया  का ट्रांसफर हमारे शहर में हो गया है। फिर भी हम कभी ना कभी तो ठुकाई कर ही लेते हैं।

 

Popular Posts

सेक्स कहानियां वेबसाइट केवल 18 साल से अधिक उम्र के लिए बनाया गया है,इस वेबसाइट में सेक्स की कहानियां शेयर किया जाता है जो केवल 18 साल से अधिक के उम्र के लोगो के लिए बनाया गया है।