ऑफिस गर्ल सुमन के साथ सेक्स कहानी
ऑफिस में एक मोटी गांड वाली सुमन की चूचियाँ देख मेरा मन सुमन की चूत ठुकाई को करता था। मैंने सुमन से दोस्ती की। एक दिन सुमन ने मुझे अपने घर बुलाया।
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम विक्की है और मैं छत्तीसगढ़ बिलासपुर का रहने वाला हूं। मैं सैक्स कहानी की लगभग सभी कहानियां पढ़ चुका हूं। आज मैं आपके सामने एक नई कहानी लेकर आया हूं। आशा करता हूं कि मेरी कहानी आप सभी पाठकों को पसंद आयेगी।
मैं दिखने में शरीर से औसत ही हूं। मेरी हाइट भी पांच फीट आठ इंच है। मेरी उम्र 25 साल है और मुझे हिन्दी सेक्स कहानियां पढ़ कर अपना लंड हिलाने और सहलाने में बहुत मजा आता है।
आज जो मैं कहानी आपको बताने जा रहा हूं वो मेरे साथ वास्तव में ही घटित हुई थी। जहां पर मैं काम करता हूं वहां पर एक सुमन रिसेप्शनिस्ट के पद पर काम करती थी। वो सुमन देखने में एकदम मस्त थी। उसके बड़े बड़े चूतड़ बाहर निकले हुए थे।
जब भी वो कुर्सी पर बैठती थी तो उसकी गांड उसकी कुर्सी पर बाहर निकली हुई अलग से ही दिखाई देती थी। जब वो चलती थी तो उसकी मोटी गांड ऐसे मटकती थी जैसे उसकी गांड को उसके बदन पर अलग से चिपका दिया गया हो।
आपस में रगड़ खाते हुए उसके हिलते हुए चूतड़ देख कर मेरा लंड भी हिचकोले खाने लगता था। मैं ही नहीं बल्कि कोई भी उसकी गांड को देख कर उस पर फिदा हो सकता था। मैं अक्सर उस सुमन की गांड व चूत ठुकाई के सपने देखा करता था। मगर मुझे कभी मौका नहीं मिल पाया था।
सुमन की चूचियां इतनी बड़ी और मस्त थीं कि उनको देख कर लंड से पानी निकलने लगता था। उसकी वक्षरेखा को कई बार मैंने रिसेप्शन की टेबल के ऊपर से झांक कर देखा था। जिस दिन उसके सफेद दूधों का हल्का सा भाग भी दिखाई दे जाता था उसी दिन मैं बाथरूम में जाकर मुठ मार लिया करता था।
बहुत बार मैंने उस सेक्सी सुमन के नाम की मुठ मारते हुए अपना वीर्य निकाला था। शुरू में तो मैं भी उससे नॉर्मल ही बात किया करता था जैसे कि अक्सर सीनियर और स्टाफ के रिलेशन होते हैं। मगर गुजरते हुए वक्त के साथ धीरे धीरे मेरे मन में हवस जागने लगी थी और सुमन की चूत ठुकाई के ख्याल मन में घर करने लगे थे।
अक्सर मैं सुमन से बातें करने के बहाने ढूंढा करता था। धीरे-धीरे सुमन के साथ मैंने दोस्ती करना शुरू किया। बातों ही बातों में उससे खुलने की कोशिश करने लगा। ऐसे ही करते करते मैंने सुमन का व्हाट्स एप नम्बर भी ले लिया था।
अब हम दोनों के बीच में व्हाट्स एप पर भी बातें होने लगी थीं। दो-तीन महीने के बाद सुमन से मेरी खुल कर बातें होने लगीं। हम दोनों अक्सर चैटिंग पर लगे रहते थे। शायद एक दूसरे के करीब भी आने लगे थे। जब भी सुमन के साथ चैट करता था तो मेरा लंड खड़ा हो जाता था।
सुमन के हस्बैंड एक बिजनेसमैन थे और ज्यादातर बाहर ही रहते थे। ये भी एक वजह थी कि हम दोनों में जल्दी ही नजदीकियां बढ़ने लगी थीं और हम दोनों करीब आ गये थे। कई बार तो सुमन के घर भी जाने लगा था मगर वहां पर जाकर पता चला कि उनकी ज्वाइंट फैमिली है इसलिए मैं रात को केवल मुठ मार कर सो जाता था।
सुमन के घर पर सुमन की चूत ठुकाई का कोई जुगाड़ होता हुआ मुझे नहीं दिख रहा था। कुछ दिन ऐसे ही निकल गये।
एक दिन की बात है कि उस दिन रविवार का दिन था और मेरे ऑफिस की छुट्टी थी। मैं घर में चैन से सो रहा था कि अचानक ही सुबह के 9 बजे के करीब सुमन का फोन आ गया।
फोन उठा कर मैंने हैलो कहा तो सुमन बोली- अभी तक सो रहे हो क्या?
मैंने कहा- तो क्या इरादा है, आज भी काम करवाना चाहती हो आप?
सुमन बोली- तो मेरा काम नहीं करोगे?
सुमन डबल मीनिंग बातें कर रही थी। उसके मुंह से इस तरह की बातें सुनते ही मेरा लंड खड़ा हो गया।
सुमन से मैंने कहा- अरे कैसी बात कर रही हो, आपका काम नहीं करेंगे तो किसका काम करेंगे फिर?
वो बोली- तो फिर जल्दी से मेरे घर पर आ जाओ।
मैंने कहा- अभी?
वो बोली- काम अभी करवाना है तो अभी ही आना पड़ेगा न, या फिर अगले जन्म में आओगे?
मैंने कहा- अरे मैडम, आप कहो तो उड़ कर आ जाऊं?
सुमन बोली- नहीं, पैरों पर चल कर ही आ जाओ। तब तक मैं भी तैयार हो जाती हूं। अभी मैं बाथरूम में नहाने के लिए जा रही हूं।
सुमन जान बूझ कर मुझे सेक्स के लिए उकसाने वाली बातें कर रही थी। मगर उनको नहीं पता था कि मैं तो खुद ही उसकी चूत ठुकाई के लिए मरा जा रहा हूं।
मैंने कहा- जब तक आप नहा कर बाहर निकलोगी, मैं आपके घर पर पहुंच चुका होऊंगा।
वो बोली- अगर इसी तरह बेड पर पड़े रहे तो शाम तक भी नहीं पहुंच पाओगे। अब जल्दी करो मुझे बहुत जरूरी काम है।
मैंने कहा- बस मैं अभी आया।
इतना कहने के बाद सुमन ने फोन रख दिया।
आधे घंटे के अंदर ही मैं तैयार होकर सुमन के घर पर पहुंच गया। मैंने सुमन के घर पर पहुंच कर दरवाजे की बेल बजाई और फिर कुछ ही सेकेंड के अंदर सुमन ने दरवाजा खोल दिया। सुमन गाऊन में थी और सुमन के बाल अभी भी गीले थे।
उसके मोटे चूचों की क्लीवेज देख कर मेरा मन मचल गया। मैं सुमन के दूधों की क्लीवेज को घूरने लगा और सुमन भी इस बात पर ध्यान दे रही थी कि मेरी नजर कहां पर है। सुमन मेरी नजर को भांप कर बोली कि देखते ही रहोगे या अंदर भी आओगे?
मैं अंदर चला गया। सुमन ने दरवाजा बंद कर लिया। घर में कोई दिखाई नहीं दे रहा था।
मैंने पूछा- घर के बाकी लोग कहां है?
वो बोली- तुम्हें घर के बाकी लोगों की क्या पड़ी है! अगर कहो तो पूरे मौहल्ले को बुला देती हूं। मेरे घर वाले तो बाहर गये हुए हैं।
सुमन की बात पर हंसते हुए मैंने कहा- देख लो मैडम, अगर मौहल्ला आ गया तो फिर आपके साथ कुछ भी हो सकता है।
वो बोली- क्या हो सकता है?
मैंने कहा- जब इतनी खूबसूरत महिला सामने खड़ी हो तो किसी की भी नियत बिगड़ जायेगी।
वो बोली- अच्छा, तो तुम्हारी नियत में भी खोट है क्या?
मैंने कहा- नहीं जी, हम तो आपके दोस्त हैं।
वो बोली- सिर्फ दोस्त ही हो!
मैंने कहा- तो, और क्या कहूं?
सुमन बोली- मैंने तो कुछ और ही सोचा था।
मैंने पूछा- क्या सोचा था?
वो बोली- रहने दो। तुम नहीं समझोगे।
मैं सुमन की प्यास को अच्छी तरह से समझ रहा था और सुमन की चूत ठुकाई के बारे में सोच कर मेरा लंड भी पूरा का पूरा मेरी जीन्स में तन गया था। मगर मैं सुमन के मुंह से ही सब कुछ उगलवाना चाहता था।
कुछ देर तक ऐसे ही इधर उधर की बातें होती रहीं और फिर वो किचन में चाय बनाने के लिए चली गई।
किचन से चाय लेकर वो मटकती हुई मेरे पास आई और चाय का कप मेरी तरफ बढ़ा दिया।
मैंने पूछा- क्या काम है आपको। फोन पर किसी काम के बारे में बात कर रही थीं आप?
वो बोली- काम नहीं होता तो मिलने के लिए नहीं आते क्या?
मैंने कहा- नहीं, वो बात नहीं है। लेकिन मैंने सोचा कि आपको कुछ जरूरी काम होगा इसलिए मुझे इतनी इमरजेन्सी में बुलाया है।
वो बोली- मैं घर पर अकेली थी और बोर हो रही थी इसलिए तुमको फोन कर दिया। सारे घरवाले शाम तक वापस आयेंगे।
मैं सुमन की चूचियों को देख रहा था। यह जान कर कि सुमन घर पर अकेली है मेरा लंड तनतना उठा था। अब तो सारी लाइन क्लियर लग रही थी। मैं सुमन की चूचियों को अब जानबूझ कर घूरने लगा था।
वो बोली- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- देखने की चीज को देखा ही जाता है।
वो बोली- देखने की चीज को हाथ में भी लिया जा सकता है।
इतना कहना था कि मैंने चाय के कप को अधूरा ही छोड़ कर सुमन को अपनी तरफ खींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये।
आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई थी। बहुत दिनों से जिस मौके का इंतजार था वो आज मुझे मिला था। मैंने जोर से सुमन के होंठों को चूसना शुरू कर दिया। वो भी मेरा साथ बराबर देने लगी।
कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों का रस पीते रहे। उसके बाद मेरे हाथ स्वत: ही सुमन के गोरे और मोटे दूधों पर चले गये। उसके दूध इतने बड़े थे कि ऐसा लग रहा था कि मेरे हाथों में दो बड़ी बड़ी बॉल्स आ गई हों।
मैंने सुमन के दूधों को दबाना शुरू कर दिया। साथ ही हम दोनों एक दूसरे के होंठों को भी लगातार चूसते जा रहे थे। मैंने सुमन के दूधों पर अपने हाथों की पकड़ को बढ़ा दिया। सुमन अब कसमसाने लगी थी।
उसके होंठों को छोड़ कर अब मैंने नीचे आना शुरू कर दिया। उसकी गर्दन को चूमा और फिर उसकी चूचियों की घाटियों में मुंह दे दिया। जीभ से उनको चाटने लगा। मेरी गर्म जीभ का स्पर्श जैसे ही सुमन चूचियों पर हुआ तो सुमन के मुंह से सिसकारी सी निकल पड़ी।
मैंने उसके गाउन को अब ऊपर उठाना शुरू कर दिया। उसकी मोटी मोटी जांघों को सहलाने लगा। अब मेरे सब्र का बांध टूटने लगा था और मैंने उसकी चूत को गाउन के अंदर से टटोलना शुरू कर दिया। उसने मेरे हाथ को हटा दिया मगर मैंने उसको वहीं सोफे पर लिटा दिया।
उसके गाउन को ऊपर करके सुमन की चूत तक के भाग को नंगा कर दिया। उसने नीचे से गुलाबी रंग की पैंटी पहनी हुई थी। जालीदार पैंटी में सुमन की फूली हुई चूत देख कर मैं उस पर टूट पड़ा। मैंने सुमन की चूत के इर्द-गिर्द पैंटी के किनारों पर उसको चूमना शुरू कर दिया।
वह मेरी इस हरकत से मचलने लगी। मैंने उसकी चूत पर मुंह रख दिया और चूत की खुशबू सूंघने लगा। सुमन अभी अभी नहा कर निकली थी और उसकी चूत से मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी। पता नहीं उसने कौन सा परफ्यूम लगाया था जो मुझे उसकी चूत को खा जाने के लिए पागल करने लगा।
सुमन की चूत खोल कर देखी
मैंने उसकी पैंटी को खींच दिया और उसकी बड़ी सी चूत को नंगी कर दिया। मैंने उसकी चूत पर होंठों को रख कर सुमन की चूत की चुसाई करना शुरू कर दिया। अब वो मेरे मुंह को अपनी गर्म चूत पर दबाने लगी।
उसके बाद मैंने सुमन की गांड पकड़ ली अपने दोनों हाथों से और सुमन की चूत में जीभ को डाल दिया और उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा। वो सिसकारती हुई पागल सी हो उठी। वो जोर लगा कर मेरे होंठों को अपनी चूत पर दबाने और रगड़ने लगी।
सुमन की चूत में जीभ देकर मुझे भी गजब का नशा हो रहा था। सुमन की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था। अब मैंने उसके गाउन को पूरी तरह से उसके बदन से अलग कर दिया और उसे पूरी की पूरी नंगी कर दिया।
अब सुमन मेरे सामने नंगी लेटी हुई थी। सुमन की चूत से रिसता हुआ पानी अब चमकने लगा था। मैं भी अब खड़ा हो गया और अपने कपड़े उतारने लगा। शर्ट को उतार कर मैंने एक तरफ डाल दिया।
मेरी जीन्स में मेरा लौड़ा फटने को हो रहा था। सुमन मेरे तने हुए लौड़े को देख कर कातिल मुस्कान दे रही थी। उसकी आंखों में हवस साफ साफ दिखाई दे रही थी। मेरा हाल भी कुछ ऐसा ही था।
अपनी जीन्स को फटाक से उतार कर मैंने अन्डरवियर भी अलग कर दिया मेरा लंड देख कर सुमन के चेहरे पर चमक सी आ गई।
वो बोली- आह्ह … आज तो मजा आने वाला है।
सुमन की चूत को देख कर मैंने कहा- हां, मेरे लौड़े को भी बहुत मजा आने वाला है आज।
मैंने अंडरवियर उतारा ही था कि सुमन ने उठ कर मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया। सुमन के हाथ में लंड जाते ही मेरे अंदर एक मस्ती सी भर गई और जैसे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया।
सुमन ने अगले ही पल मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। आह्ह सुमन के गर्म मुंह में लंड गया तो मुझे ऐसा मजा आया कि मैं उसको शब्दों में नहीं बता सकता यहां।
वो तेजी के साथ मेरे लंड को चूस रही थी और मैं उसके गीले बालों में हाथ फिरा रहा था। करीब पांच मिनट तक उसने मेरे लंड को चूसा और जब थक गई तो हांफते हुए उसने मेरे लंड को बाहर निकाल दिया। मेरे लंड की नसें अब फटने को हो गई थीं और वो पूरा सुमन के मुंह से निकले थूक में नहा गया था।
अब मैंने सुमन के पैरों को फैला दिया और सुमन की गीली चूत पर अपने गीले लंड को रगड़ने लगा। ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर कई बार उसकी चूत पर अपने लंड को रगड़ा तो वो ठुकाई के लिए तड़प उठी।
सुमन चिल्ला कर बोली- आह्ह, जान निकालोगे क्या, अब डालते क्यों नहीं इसको अंदर?
मैंने कहा- बिना कॉन्डम के ही डाल दूं?
वो बोली- जब तक तुम कॉन्डम लेकर आओगे तब तक मैं चुदास से तड़प तड़प कर मर जाऊंगी। अब देर मत करो प्लीज। जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में ठोक दो। बहुत दिनों से इसने ऐसा दमदार लौड़ा नहीं लिया है।
मैंने सुमन की हालत देख कर उसकी चूत के मुंह पर अपने लंड के सुपारे को लगा दिया और एक झटका देते हुए सुमन की चूत में लंड को उतार दिया। सुमन के मुंह से दर्द भरी चीख निकल गई और मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया।
इतने में ही सुमन ने मेरी कमर को पकड़ लिया और अपनी तरफ दबा लिया ताकि मैं लंड को दोबारा से बाहर न निकाल पाऊं। कुछ देर तक वो मुझसे लिपटी रही और मैं उसके होंठों को चूसता रहा। उसकी चूत में लंड अंदर गया हुआ था और मुझे जन्नत का मजा मिल रहा था।
उसके बाद सुमन ने दो मिनट के पश्चात् अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया। मैं समझ गया कि अब सुमन चूत की ठुकाई के लिए पूरी तरह से तैयार है। मैंने सुमन की चूत में लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
सुमन की ठुकाई शुरू हो गई। अब उसके मुंह से कामुक आवाजें आने लगीं और पूरे कमरे में फक-फक की ध्वनि गूंजने लगी। हम दोनों इतने गर्म हो चुके थे कि एक दूसरे के बदन में घुसने को बेताब थे। मैंने जोर से सुमन की चूत को रौंदना शुरू कर दिया।
लंड के टोपे में उस समय एक जो सरसराहट हो रही थी उसका शब्दों में वर्णन करना बहुत मुश्किल है। सुमन की गर्म चूत की ठुकाई करते हुए मुझे गजब का मजा आने लगा। उधर सुमन भी पूरी शिद्दत के साथ अपनी चूत को चुदवा रही थी।
अगले पांच-सात मिनट तक उसकी चूत को अपने लंड से रगड़ने के बाद मैं सुमन की चूत में ही झड़ गया और सुमन के ऊपर ही गिर गया। वो मेरी कमर को सहलाने लगी और मेरे गालों पर किस करने लगी। मेरी धड़कनें बहुत तेजी के साथ चल रही थीं।
अभी तक मेरा लंड उसकी चूत में ही था। धीरे धीरे सिकुड़ कर अब लंड बाहर आने लगा और फिर एकदम से सुमन की चूत को छोड़ कर लंड बाहर निकल आया। मैंने अपने हाथ से सुमन की चूत को सहलाना शुरू किया और उसकी चूत से निकलते हुए वीर्य को महसूस भी किया।
हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे के साथ चिपके हुए पड़े रहे। मैं सुमन की चूत को अपने हाथ के द्वारा सहलाते हुए उसकी चूचियों को मुंह में लेकर पीता रहा और वो मेरे लंड को हाथ से सहलाती रही। उस दिन ठुकाई का एक राउंड और हुआ। उसके बाद फिर शाम तक मैं सुमन के घर पर ही रहा।
उसके बाद मैं अपने घर वापस आ गया। इसके बाद कई बार मैंने सुमन की चूत बजाई और फिर अचानक से वो ऑफिस छोड़ कर पंजाब चली गई। अभी भी सुमन से मेरी बात होती रहती है। वो मुझे अभी भी याद करती है लेकिन हमें दोबारा मिलने का मौका नहीं मिला है।