आंटी को डॉगी स्टाइल में सेक्स कहान
मेरी पड़ोसन आंटी पटाखा माल लगती थी मुझे। हॉट आंटी की गांड को देख कर अक्सर मैं उसकी गांड ठुकाई करना चाहता था। मैंने कैसे आंटी की सेक्सी गांड मारी?
सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार।
मैं पड़ोसन आंटी की गांड ठुकाई की कहनी आपने सामने ला रहा हूँ। लेकिन मैं काफी समय से इसकी कहानियों को पढ़ कर ही मजा ले रहा था। इसलिए मैंने सोचा कि आप लोगों के साथ आज मैं अपनी कहानी बताऊं।
अब मैं आपका ज्यादा समय न लेकर आपको सीधे कहानी की तरफ लेकर चलता हूं। उससे पहले मैं अपना संक्षिप्त परिचय देना चाहूंगा ताकि कहानी को समझने में आपको कोई दिक्कत न हो।
मेरा नाम सौरभ त्रिपाठी है और मैं जयपुर से हूं। मेरी उम्र 24 साल है। यह कहानी पड़ोस में रहने वाली मेरी आंटी की है। आंटी के साथ उसका पति ही उस मकान में रह रहा था जिसको मैं अंकल कह कर बुलाता था। अंकल एक निजी कंपनी में काम करते हैं जबकि आंटी परीक्षा की तैयारी कर रही थी उस समय।
आंटी का फिगर बहुत ही कातिलाना है। उनके बूब्स का साइज 34B और उसका पिछवाड़ा 36 का है। उनकी कमर बिल्कुल पतली सी है। ज्यादा से ज्यादा 28 ही होगा आंटी की कमर का माप।
मेरी आंटी की गांड इतनी सेक्सी है कि जब वो चलती है तो उसको हर कोई देखने लग जाता है। मैं भी उसको देख कर ऐसे मचल जाता था कि अगर इसकी गांड चोदने के लिए मिल जाये तो बस मजा ही आ जाये।
मैं रोज भगवान से यही दुआ मांगता था कि एक बार बस आंटी को चोदने का मौका मिल जाये। एक दिन मेरी यह प्रार्थना स्वीकार भी हो गयी जब मुझे आंटी की ठुकाई करने का मौका मिल गया।
उस दिन आंटी का कोई एग्जाम था। एग्जाम का सेंटर घर से 15-20 किलोमीटर की दूरी पर था। चूंकि आंटी के घर में मेरे अंकल यानि कि उनके पति के अलावा कोई नहीं था तो इसलिए उन्होंने मुझे आंटी को एग्जाम सेंटर तक छोड़ने के लिए कह दिया। अंकल को उस दिन किसी मीटिंग में जाना था।
जब उन्होंने मुझे यह बात बताई कि मुझे ही आंटी को एग्जाम के लिए लेकर जाना है तो मेरे मन में तो जैसे लड्डू फूटने लगे थे। मैं तो बहुत दिनों से इस मौके की तलाश में था कि आंटी के साथ कुछ करने का मौका मिल जाये। आज वह मौका मेरे पास आता हुआ मुझे दिखाई दे रहा था।
मैं जल्दी से तैयार होकर आंटी के घर चला गया। अंकल ने मुझे कार की चाबी दे दी। उन्हीं की कार में मैं आंटी को लेकर एग्जाम सेंटर के लिए लेकर चल पड़ा। चलते हुए मेरे और आंटी के बीच में बातें होना शुरू हो गईं।
रास्ते में बातें करते हुए मैंने बहाने से आंटी से उनकी सेक्स लाइफ के बारे में पूछने की कोशिश की। आंटी की बातों से मुझे पता लग रहा था कि आंटी को अपनी सेक्स लाइफ में कुछ संतुष्टि नहीं मिल पा रही है। इस वजह से मेरा काम मुझे और आसानी से होता हुआ दिखाई दे रहा था।
कुछ टाइम के बाद हम एग्जाम सेंटर में पहुंच गये। आंटी परीक्षा देने के लिए चली गई। दो घंटे की परीक्षा थी तो मैं गाड़ी में बैठा हुआ बोर होने लगा। मैंने सोचा कि बाहर उतर कर थोड़ा टहल लेता हूं। फिर कुछ देर के बाद मुझे पेशाब लगा तो मैंने यहां-वहां देखा कि कोई जगह मिल जाये।
सामने ही एक दूसरा स्कूल था। वहां पर टॉयलेट बना हुआ था। मैं वहां पर चला गया। अंदर जाकर देखा तो वहां पर दो लड़के पहले से ही मौजूद थे। उस दिन छुट्टी का दिन था और वो लोग वहां पर आये हुए थे क्योंकि स्कूल उन्हीं के पिताजी का था।
मेरी उनसे बात हुई तो पता चला कि उनका नाम सोनू और मोनू है और वो स्कूल के मालिक के बेटे हैं। दोनों की उम्र मेरे बराबर यानि कि 25-26 के करीब थी। थोड़ी ही देर में उनके साथ हंसी मजाक होने लगा और हम तीनों की आपस में अच्छी जमने लगी। वो लोग भी मेरे ही टाइप के थे। काफी मजाकिया और दिल खोल कर बात करने वाले।
जल्दी हम तीनों में दोस्ती हो गई। फिर ऐसे ही करते-करते हमारे बीच में सेक्स की बातें भी होने लगीं। वो कहने लगे कि रंडी की ठुकाई करके तो मन भर गया है। अब तो लंड किसी देसी माल के लिए भूखा है जो घरेलू हो। मैं उनका मकसद समझ गया। वो किसी आंटी या आंटी की चूत ठुकाई की फिराक में थे।
मेरे दिमाग ने वहीं पर काम करना शुरू कर दिया। मैं कहने लगा कि मैं तुम लोगों के लिए एक जुगाड़ करवा सकता हूं लेकिन उसमें थोड़े पैसे लगेंगे। मेरे पूछने पर वो कहने लगे कि यार तू जितना कहेगा हम देने के लिए तैयार हैं लेकिन माल मस्त होना चाहिए।
मैंने कहा- ठीक है, दस हजार में ऐसी चूत दिलवा दूंगा कि तुम हमेशा मेरा अहसान नहीं भूलोगे।
वो दोनों बोले- सच में? दिलवा यार, अब देर किस बात की है?
उनके अंदर चूत ठुकाई की प्यास ऐेसी लगी थी कि वो आराम से दस हजार रूपये देने के लिए तैयार हो गये।
तब तक एग्जाम भी खत्म हो गया था और मैं आंटी को लेने के लिए चला गया। मैंने सोनू और मोनू को बोल दिया था कि वो लोग कुछ देर मेरा इंतजार करें। इतना कह कर मैं आंटी को लेने के लिए चला गया। एग्जाम देने के बाद आंटी बाहर आ गयी।
बाहर आने के बाद मैंने आंटी को जूस पिलाया। आंटी से पूछा कि उनका एग्जाम कैसा गया?
तो आंटी बोली- ठीक ही गया है।
फिर हम दोनों गाड़ी में बैठ गये। गाड़ी में बैठने के बाद मैंने आंटी के हाथ पर हाथ रखा और बोला- आंटी, अगर बुरा न मानो तो मैं कुछ कहना चाहता हूं।
वो बोली- क्या बात है? कहो।
मैंने कहा- मैं जानता हूं कि आपकी और अंकल की सेक्स लाइफ कुछ ठीक नहीं चल रही है। लेकिन आप इस तरह से कब तक अपनी फीलिंग्स को मारती रहोगी।
अगर आप बुरा न मानो तो मैं आपके लिए इंजॉय करने का जुगाड़ कर सकता हूं। आपको उसमें पैसे भी बहुत मिल जायेंगे।
आंटी बोली- पागल हो गये हो क्या तुम? मैं तुम्हें धंधे वाली लग रही हूं?
आंटी ने गुस्से से कहा।
लेकिन मैंने बात को संभालने की कोशिश की और आंटी को अपने झांसे में लेने की कोशिश करने लगा।
मैंने कहा- नहीं आंटी, मैंने ऐसा कब कहा! मैं तो बस आपको खुश देखना चाहता हूं। अगर आपको खुशी के साथ ही पैसा भी मिल जाये तो क्या बुरी बात है।
आंटी ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया।
मैंने फिर से कोशिश करते हुए कहा- देखो, औरत की इच्छाएं अगर पूरी न हों तो फिर ऐसे रिश्ते के बारे में ज्यादा क्या सोचना। मैं तो आपको यही कहूंगा कि अगर आपको मौका मिल रहा है मजे लेने का तो उसको हाथ से क्यों जाने दे रही हो। साथ ही साथ आपको पैसा भी मिल रहा है। वो भी पूरे दस हजार!
जब मैंने पैसे की बात बताई तो आंटी ने मेरी तरफ हैरानी से देखा।
फिर कुछ सोच कर बोली- लेकिन किसी को पता चल गया तो?
मैंने कहा- किसी को पता नहीं चलेगा। ये बात आप मुझ पर छोड़ दो।
वो बोली- ठीक है, लेकिन कुछ गड़बड़ नहीं होनी चाहिए।
मैंने कहा- आप बिल्कुल चिंता मत करो।
फिर आंटी बोली- लेकिन इतने पैसे देगा कौन?
मैंने कहा- वो सब बात मैंने कर ली है। लेकिन आपको मुझे भी खुश करना होगा।
वो बोली- तुम तो घर जैसे ही हो। तुम्हारे साथ मुझे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन जो बाहर वाले हैं वो कौन हैं?
मैंने कहा- मेरे दोस्त हैं। अभी वो यहीं पर हैं। अगर आपकी मर्जी तो हम चलें अभी?
वो बोली- ठीक है।
इतना सुनने के बाद मैंने आंटी को कार से नीचे उतरने के लिए कहा और कार को लॉक कर दिया। फिर हम दोनों स्कूल में चले गये जहां पर सोनू और मोनू मेरा इंतजार कर रहे थे।
जब सोनू और मोनू ने आंटी को मेरे साथ देखा तो उनकी आंखों में हवस की एक चमक सी आ गई। दोनों के मुंह से लार टपक रही थी जैसे। उसके बाद मैं अपने दोस्तों के पास गया और एक तरफ जाकर हमने कुछ बात की।
उसके बाद मैं आंटी के पास वापस आ गया। आंटी को लेकर हम तीनों ही स्कूल के वेटिंग हॉल की तरफ चल दिये। वहां पर जाकर देखा कि छोटे-छोटे दो बेड डाले गये थे। उस हॉल में सेफ्टी भी थी और किसी को कुछ पता नहीं चलने वाला था कि अदंर क्या हो रहा है।
अंदर जाने के बाद हमने मेन डोर को बंद कर दिया और उसके बाद दोनों छोटे बेड को मिला कर एक कर दिया। अब एक बड़ा बेड बन गया था। हम चारों वहां पर बैठ कर बातें करने लगे। कुछ देर यहां-वहां की बातें हुईं।
मैं देख रहा था कि सोनू और मोनू आंटी को ऐसी निगाहों से देख रहे थे जैसे उसको अभी कच्ची ही चबा लेंगे। फिर उन्होंने आंटी के कन्धे पर हाथ रख दिया। यह इस बात का इशारा था कि अब उनसे और इंतजार नहीं हो रहा है। आंटी मेरी तरफ देख कर मुस्कराने लगी।
उसके बाद हमने आंटी को बेड के बीच में बैठा दिया। वो दोनों आंटी के चूचों पर टूट पड़े। उनको कमीज के ऊपर से दबाने और मसलने लगे। ऐसा लग रहा था जैसे भूखे शेरों के सामने कोई मांस का टुकड़ा डाल दिया गया हो। कभी आंटी की गर्दन को चूम रहे थे तो कभी उसको बांहों में भर रहे थे।
यह देख कर मेरा लंड भी टनटना गया। अब सोनू ने आंटी के होंठों को चूसना शुरू कर दिया। तब तक मोनू ने उसकी कमीज को ऊपर कर दिया। आंटी ने उनका साथ देते हुए अपनी कमीज को हाथ ऊपर करते हुए निकलवा दिया।
लाल रंग की ब्रा में आंटी का गोरा जिस्म अब हम तीनों के सामने था। उनकी ब्रा से उनके चूचे बाहर ही गिरने वाले थे। बहुत बड़े चूचे थे मेरी सेक्सी आंटी के। उनको देख कर ऐसा लग रहा था कि इनको जबरदस्ती ब्रा में ठूंसा गया है। वो दोनों बाहर निकलने के लिए बेताब नजर आ रहे थे।
तभी सोनू ने आंटी की ब्रा को जोर से खींच दिया। चट्ट की आवाज के साथ गर्म आंटी की ब्रा के हुक टूट गये और मोनू ने उसकी ब्रा को उसके चूचों के ऊपर से हटा दिया। आंटी ऊपर से नंगी हो गई और उसके चूचे हवा में झूल गये।
चूचे बाहर आते ही वो दोनों उन पर टूट पड़े और उसको दबाने और चूसने लगे। एक चूचे को सोनू ने मुंह में ले लिया और दूसरे को मोनू ने। वो नजारा देख कर ऐसा लग रहा था कि वो दोनों मेरी आंटी के बोबों का दूध पीने में लगे हुए हैं जैसे कोई बच्चा अपनी मां के चूचों से लिपटा हुआ होता है।
मेरी हालत खराब हो रही थी। मैं एक तरफ बैठ कर ये सब देख रहा था और अपनी बारी आने का इंतजार कर रहा था। मेरा लंड मेरी पैंट में उधम मचा रहा था। मैंने उसको तब तक अपनी पैंट के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया था क्योंकि सामने का नजारा इतना कामुक था कि मुझसे भी रुकना मुश्किल हो रहा था।
कुछ देर तक आंटी के चूचों को चूसने के बाद उन्होंने आंटी को लिटा दिया और आंटी की सलवार का नाड़ा खोल दिया। सलवार को निकाला तो आंटी की गोरी जांघों में फंसी हुई नीले रंग की पैंटी दिखाई देने लगी। उन लोगों ने पैंटी को अगले दो पल में खींच कर आंटी को पूरी नंगी कर दिया।
अब हॉट आंटी उन दोनों के बीच में पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी। फिर उन्होंने आंटी को बेड से नीचे उतार लिया और खड़ी कर लिया। वो दोनों आंटी के जिस्म से लिपटने लगे। मोनू ने आंटी के चूचों को हाथों में भर लिया और सोनू ने पीछे आंटी की गांड को दबाना शुरू कर दिया।
उन दोनों के बीच में खड़ी हुई नंगी आंटी सेंडविच के जैसे लग रही थी। फिर उन दोनों ने अपने कपड़े उतार और पूरे के पूरे नंगे हो गये। अब तीनों के तीनों नंगे होकर एक दूसरे के जिस्म से लिपटने लगे। उन दोनों के लंड एकदम से तन कर आंटी के जिस्म में जैसे घुसने को बेताब लग रहे थे।
अब उन्होंने दोबारा से आंटी को बेड पर लिटा दिया और मोनू आंटी की चूत को चाटने लगा। जबकि सोनू ऊपर की तरफ जाकर आंटी के मुंह पर अपना लौड़ा मसलने लगा। फिर उसने आंटी के मुंह को खुलवाकर अपना लंड आंटी के मुंह में दे दिया और सिसकारियां लेते हुए अपना लंड चुसवाने लगा।
आंटी भी हॉट हो चुकी थी और उसके लंड को मजे से चूस रही थी क्योंकि नीचे से आंटी को चूत चटवाने का मजा भी साथ में ही मिल रहा था। उसके बाद दोनों ने पोजीशन बदल ली। अब पहले वाला लंड चुसवाने लगा और ऊपर वाला नीचे आकर आंटी की चूत को चाटने लगा। आंटी बेड पर तड़प रही थी।
मैं भी आंटी की गांड मारने के लिए उस सुनहरे पल का इंतजार कर रहा था। लेकिन अभी पहले सोनू और मोनू को फारिग होना था। इसलिए मैं बड़ी मुश्किल से अपने आपको रोक कर रखे हुए था।
कुछ देर तक दोनों ने आंटी के नंगे जिस्म को खूब चूसा चाटा और अपना लंड भी चुसवाया। फिर मोनू ने आंटी को नीचे लेटते हुए अपने लंड पर बैठने के लिए कहा। मोनू नीचे आ गया और आंटी ने अपनी टांगों को फैलाते हुए मोनू के लौड़े को अपने हाथ में लिया और उसके लंड पर बैठती चली गई।
इधर सोनू ने आंटी के मुंह में लंड को ठूंस दिया। एक तरफ गर्दन घुमा कर आंटी सोनू के लंड को चूसती हुई मोनू के लंड पर कूदने लगी। अब मैं भी नंगा होना शुरू हो गया क्योंकि अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिये और अपने लंड को हिलाने लगा। फिर मैं भी बेड पर चढ़ गया। अब मोनू ने आंटी को अपने ऊपर लेटा लिया। आंटी के बड़े-बड़े नंगे चूचे मोनू की छाती से जा सटे। मोनू के सिर के पास सोनू चला गया और उसने वहां बैठ कर आंटी को लंड चुसवाना शुरू कर दिया।
अब आंटी की मोटी गांड मेरे सामने ऊपर की तरफ उठ गई थी। मुझे इसी पल का इंतजार था। मैंने आंटी की गांड अपने हाथों से मसला और कस कर तीन-चार बार दबाया। फिर अपने लंड पर थूक लगा कर आंटी की गांड के छेद पर भी थूक मल दिया।
आंटी समझ गई कि उनकी गांड को चोदने की तैयारी हो चुकी है इसलिए वो उठने लगी लेकिन सोनू ने आंटी के सिर को पकड़ लिया और अपने लंड पर दबाते हुए उसको लंड चुसवाता रहा। मैंने पीछे आंटी की गांड के छेद पर लंड लगाया और उसकी गांड में लंड को धकेल दिया। आंटी ने दर्द के मारे सोनू के लंड पर दांत गड़ा दिये लेकिन सोनू ने लंड नहीं निकाला मैंने पूरा जोर लगा कर आंटी की गांड में लंड को उतार दिया।
आह्ह … आंटी की गुदाज गांड में लंड गया तो मजा आ गया। इतना मजा मुझे कभी महसूस नहीं हुआ था। मैंने धीरे-धीरे अब आंटी की गांड को मसलते हुए उसकी गांड में लंड को चलाना शुरू किया। नीचे से मोनू का लंड आंटी की चूत में जा रहा था। आगे से आंटी के मुंह में सोनू का लंड था।
तीन लंड अपने तीनों छेदों में लेकर आंटी शायद गांड ठुकाई के दर्द को भी भूल गई थी। अब वह भी तीनों लंडों का मजा लेने लगी। कुछ ही देर में मोनू का वीर्य आंटी की चूत में निकल गया और वो नीचे से हट गया। अब उसकी जगह सोनू लेट गया और उसकी चूत ठुकाई करने लगा।
मुझे आंटी की गांड चोदते हुए काफी देर हो चुकी थी और अब मेरा माल भी निकलने वाला था। मैंने तीन-चार जबरदस्त झटके आंटी की गांड में देते हुए अपना माल उसकी गांड में छोड़ दिया। फिर दो मिनट के बाद सोनू ने भी आंटी की चूत को उछल-उछल कर चोदते हुए उसकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया।
तीनों ने ही आंटी के छेदों में अपना वीर्य निकाल दिया था। जब आंटी उठी तो उसकी चूत और गांड से वीर्य टपक रहा था। हम तीनों अभी भी हांफ रहे थे। मैं पीछे सोफे पर जाकर गिर गया। वो दोनों आंटी के साथ वहीं बेड पर पड़े हुए थे।
कुछ देर के बाद सब कुछ जब सामान्य हो गया तो हम लोग उठे और अपने अपने कपड़े पहनने लगे। कपड़े पहनने के बाद सोनू और मोनू ने अपने वादे के मुताबिक हमें दस हजार रूपये दे दिये। हम पैसे लेकर बाहर आ गये। आंटी के चेहरे पर एक संतुष्टि और खुशी दिख रही थी।
मैं भी हॉट आंटी की गांड चोद कर खुश हो गया था। उसके बाद हम गाड़ी में आकर बैठ गये। आंटी और मैं फिर वहां से निकल गये। फिर रास्ते में मैंने आंटी को फिर से अपना लंड चुसवाया और गाड़ी में ही उसकी चूत चोदी। आंटी को बुरी तरीके से थका दिया था उस दिन तीन लौड़ों की ठुकाई ने।
उसके बाद कई बार आंटी ने मौका पाकर मुझसे अपनी चूत मरवाई और मैंने भी आंटी के पूरे मजे लिये। जब भी अंकल घर पर नहीं होते थे या फिर आंटी और मुझे बाहर जाने का अवसर मिलता तो हम पूरे मजे लेने लगे थे।