रविवार, 3 सितंबर 2023

चाची मेरे लंड की दीवानी सेक्स कहानी | आंटी सैक्स कहानी

 चाची मेरे लंड की दीवानी सेक्स कहानी

मेरे  दोस्तो, मेरा नाम योगेश  है, मेरी उम्र 25 साल की है यूपी से हूं,मेरा लंड बहुत मस्त है, इसकी तारीफ़ मैं नहीं इसका शिकार हुई औरत करती हैं,ये मेरी और मेरी एक मदमस्त चाची  की ठुकाई की कहानी है।




मैं आपको कहानी विस्तार से बताता हूं। मेरा स्कूल खत्म हो चुका था, अब मुझे कॉलेज जाना था। इस वजह से मुझे दूर शहर में भेज दिया गया। मेरी पड़ोस की एक दादी की बहू और बेटा वहां रहते थे। पापा ने मुझे उनका पता आदि देकर मुझे भेज दिया।

मैं जब वहां गया और उनके घर जाकर मैंने उनका दरवाजा खटखटाया, तो चाची  ने दरवाजा खोला। मैं तो बस चाची  को देखता ही रह गया। उफ्फ्फ क्या मादक जिस्म था। खुले काले लंबे बाल, गोरे गाल, लाल होंठ, बड़े बड़े दूधसपाट पेट, चौड़ी गांड। मैं तो मदहोश हो गया था।

तभी चाची  ने प्यारी सी आवाज़ में कहा- अरे योगेश  … तुम गए मां  जी का फ़ोन आया था कि योगेश   रहा है।
मैं- हां चाची , मैं गया।
चाची - चलो अन्दर जाओ।

यह कह कर चाची  मुड़ीं, तो मुझे उनकी गांड देखीउफ्फ्फ हिलती हुई गांड बड़ी मस्त लग रही थी। उनके दोनों चूतड़ जब थिरक रहे थे, तो ऐसा लग रहा थामानो एक दूसरे से बातें कर रहे हों। उनके दोनों चूतड़ों के बीच में छुपा हुआ मज़े से भरा हुआ गांड का छेद कैसा होगामैं तो बस इस कल्पना को लेकर सोचता ही रह गया। मैं उनके लावण्यमयी शरीर की मदहोशी में सोफे पर जाकर बैठ गया।

चाची  मेरे लिए पानी लाईं। फिर चाची  बैठ कर मुझसे बातें करने लगीं। चाची  ने बताया कि भैया तो ऑफिस के काम से दस दिन के लिए टूर पर गए हैं, मैं अकेली ही घर में हूँ। उनकी इस बात को सुनते ही मेरे दिल में चाची  को चोदने का ख्याल आने लगा।

इससे पहले मैं आगे बढूं, पहले आप सभी को चाची  के बारे में बता दूँ कि चाची  का फिगर 38-34-36 का है और उनकी उम्र 35 साल की है। चाची  इतनी सेक्सी दिखती हैं कि उनको जो भी बंदा एक बार देख ले, बस वो उसी पल से चाची  को अपने बिस्तर की रानी बनाने की सोचने लगेगा।

चूंकि पिता जी का फोन चुका था कि मुझे चाची  भैया के घर ही रहना है, तो चाची  ने मुझे मेरा कमरा दिखा दिया। मैंने अपना सामान रूम में सैट कर दिया और चाची  के साथ बातें करता रहा।

रात में चाची  ने खाना लगाया, तो मैं टेबल पर बैठा था। इस वक्त चाची  ने एक नीले रंग की झीनी सी नाइटी डाली हुई थी, जिसमें से उनका गोरा बदन चमक रहा था। नाइटी जरा चुस्त थी, तो चाची  के मोटे चुचे मानो जैसे अभी बाहर फट पड़ेंगेऐसा साफ़ दिख रहा था।

नाइटी में चूचों के निप्पलों के ऊपर वाली जगह में एक स्टार जैसा कुछ चमकदार नग सा लगा था, जोकि उनके चूचों को और भी पूरा दिखाते हुए भी ढक रहा था। एक इस गहरे गले वाली नाइटी में से चाची  मुझे झुक कर खाना दे रही थीं। जिससे मुझे केवल ऊपर से बल्कि अन्दर से भी उनके पूरे हिमालय के दर्शन हो रहे थे। मैं उनके हाव भाव से समझ गया कि चाची  आज मुझसे चुदने को राजी हैं।

मैंने और चाची  ने खाना खाया और रूम में गए। कुछ देर मैं चाची  के रूम में ही रहा।
उसी वक्त चाची  बोलीं- अब तुम सो जाओमैं नहा लूं।

मैंने आश्चर्य जताया कि चाची  ये कौन सा वक्त है नहाने का?
चाची  बोलीं- मैं रात में नहा कर ही सोती हूँ। ये कहते हुए चाची  ने दोनों हाथ ऊपर करके अपने चुचे हिला दिए।

मैं तो उनकी इस अदा से पागल ही हो गया। मुझे दीवाना सा देख कर चाची  मुस्कुरा कर नहाने चली गईं। मैं अपने कमरे में गया, लेकिन मुझे नींद नहीं रही थी। बस बार बार चाची  के चुचे आंखों में रहे थे।

कुछ देर बाद मैं चाची  के पास आया, तो चाची  बिस्तर में लेटी थीं।
मैं बोला- चाची  मुझे नींद नहीं रही हैक्या मैं आपके पास सो सकता हूँ?
चाची  ने हां कर दी।

मैं बस अगले ही एक पल चाची  के पास लेट गया और बिना कुछ सोचे उनसे लिपट गया। मुझे उम्मीद थी कि चाची  कुछ विरोध करेंगी। मगर चाची  ने मुझे अपनी बांहों में समा लिया।
मैंने सबसे पहले चाची  की चुचियों में मुँह लगा दिया। उफ्फ्फकितने नर्म चुचे थे।

चाची  पहले तो ना ना करने लगीं- क्या कर रहे हो योगेश  … छोड़ भी दो उफ्फ्फ्फ बदमाश!

मैं चाची  की कुछ नहीं सुन रहा था और चाची  के चूचों से पूरा लिपट गया था। मेरे लगातार चूचे चूसने के बाद चाची  ने मुझे रोकना बंद कर दिया और मुझे अपनी उफनती जवानी में डुबकी लगाने दिया।

काफी देर बाद मैंने चाची  के चूचों को छोड़ा। इसके तुरंत बाद मैंने उनकी नाइटी को निकाल कर फेंक दिया और खुद भी नंगा हो गया। चाची  भी मेरे लंड को देखकर एकदम से मोहित हो गईं। उनकी चुदास भड़क उठी और वो मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगीं।

मैंने कहा- चाची  जी सब्र करो, आज मेरा केला आपको ही मिलने वाला है।
चाची  बोलीं- इसे देख कर तो सब्र ही नहीं होता, पहले एक बार प्यास बुझा दो, फिर बाद में बाकी का खेल कर लेंगे।

मैंने उनकी बात से सहमति जताते हुए उनकी टांगें फैला दीं और दोनों टांगों के बीच में आकर अपने लंड को निशाना दिखाने लगा। चाची  ने लंड को बुर  की फांकों में फंसाया और गांड उठा कर सुपारा फंसा लिया। इधर सुपारे का फंसना हुआ और उधर मैंने ठोकर मार दी।

चाची  की माँ चुद गईउनके मुँह से दर्द भरी आह निकल गईउम्म्हअहहहयओह …’ चाची  की आंखें फ़ैल गईं और उनकी मुट्ठियों ने बिस्तर की चादर को भींच लिया।

मैं बिना कोई परवाह किये पूरा का पूरा लंड चाची  की रसीली चुत में डालने लगा। पूरा लंड पेलने के बाद मैं एक पल के लिए रुका और उनकी चूचियों को पकड़ कर दबादब चोदने लगा। एक मिनट में ही चाची  की बुर  मस्त हो गई और मेरे लंड का उछल उछल कर स्वागत करने लगी।

मैं काफी देर तक चाची  को चोदता रहा। उनकी गांड को सहलाते हुए चुचे चूसते और काटते हुए ठुकाई की गति को तेज से तेज करने लगा।

चाची  भी मेरे मोटे लंड से चुद कर जन्नत का मजा ले रही थीं। चाची  ने मुझे अपनी चूचियों से चिपका लिया और मेरे बालों में हाथ फेरते हुए लंड की ठोकरों का मजा लेने लगीं। सच में चाची  की ठुकाई में मुझे बहुत मज़ा रहा था।

कुछ ही देर में चाची  की तेज आह निकलने लगीं और वे झड़ गईं। उनके झड़ने के कुछ पल बाद मैंने भी अपने लंड का पूरा रस चाची  की बुर  में ही भर दिया। स्खलन के आनन्द से हम दोनों की आंखें मुंद गई थीं।

एक मिनट बाद जब सैलाब बह गया, तो हम दोनों चाची  देवर सेक्सी बातें करने लगे। मुझे चाची  की नंगी गांड बहुत मस्त माल लगी थी। मैं बार बार चाची  की गांड पर हाथ फेर रहा था और उंगली भी कर रहा था। उंगली के स्पर्श से चाची  अपनी गांड को उचका रही थीं।

कुछ देर बाद एक और दौर ठुकाई का चला और हम दोनों नंगे ही लिपट कर सो गए।

मैं सुबह उठा, तो चाची  से चिपका हुआ था। मैंने उनकी चूचियों को चूसना शुरू किया और अपने खड़े लंड को एक बार फिर से चाची  की चुत में पेल दिया। ठुकाई का जलजला फिर से अपनी छटाएं बिखेरने लगा। मैंने चाची  की बुर  चोद दी और फिर से सो गया।

काफी देर बाद जब मैं उठा, तो चाची  रसोई में चली गई थीं। मैं उठ कर रसोई में गया। चाची  को पीछे से पकड़ लिया और मस्ती करने लगा।

चाची  बोलीं- अभी तक मन नहीं भरा तुम्हारा?
मैं- नहीं चाची  … जब आप जैसी सेक्सी माल चाची  होतो किस देवर का मन भरेगा।
चाची - तुम बहुत शैतान होयू नॉटी।

तभी दरवाज़े पर दस्तक की आवाज़ हुई। मैं भाग कर कमरे में जाकर अपना बरमूडा पहनने लगा। उधर चाची  ने भाग कर दरवाज़ा खोला और उनको अन्दर बुला लिया।

मैंने वापस कर देखा कि ड्राइंग रूम में चाची  की दो सहेलियां अपने 4 बच्चों के साथ आई हुई थीं। सब लोग आपस में मिल कर बात करने लगे। उनकी बातचीत से मालूम हुआ कि उन तीनों को मार्किट जाना था।

चाची  ने मुझसे उन बालकों को शाम तक घर रहने की बोला और वो चली गईं।

इधर मुझे चाची  को चोदने की आग लगी थी। मेरी चाहत जैसी चाहत ही शायद चाची  की भी थी। इसलिए वो अपनी सहेलियों से पीछा छुड़ा कर एक घंटे में ही बाजार से वापस घर गईं।

वे अपनी सहेलियों के बच्चों को बाहर वाले कमरे में बिठा कर कमरे में चली गईं। चाची  ने अपने कमरे में जाकर ड्रेस बदल ली। अब चाची  फिर से नाईट ड्रेस में गई थीं। मैंने चाची  को पकड़ा और अलग ले जाकर चुम्मी लेने लगा।

उधर चाची  की सहेलियों के बच्चे आवाज देने लगे- आप कहां हो आंटी?
तो चाची  भाग कर उनके पास चली गईं। मैंने चाची  को इशारा किया कि अब नहीं रहा जाता, बस जल्दी से चुदवा लो।

उधर वे चार बच्चे जान की आफत बनाए हुए थे। चाची  से उन सब बच्चों को लुका छुपी खेलने को कहा।
मैंने कहा- सिर्फ बच्चे ही क्यों हम सभी लुका छिपी खेलते हैं न।
मेरी बात सुनकर सब तैयार हो गए। मैं भी साथ में खेलने लगा।

फिर एक जना बारी देने जाता, तो सब छिप जाते। दो बार का खेल तो सामान्य हुआ। तीसरी बार में मैं चाची  को लेकर रूम में ही छिप गया। चाची  इस वक्त मेरे आगे खड़ी थीं। मैंने पीछे से उनकी नाइटी उठाई और पेंटी नीचे करके उनकी बुर  में लंड पेल दिया। चाची  बड़ी मुश्किल में अपनी आवाज दबा सकी थीं। मैं चाची  को पकड़ कर चोदने लगा। चाची  मुझे मना कर रही थीं और वे मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थीं।

तभी मेरी पकड़ ढीली हुई और चाची  उठ कर भागने लगीं। मैंने फिर से उनको पकड़ लिया और एक कोने में ले जाकर पीछे से अपना तन्नाया हुआ लंड उनकी चुत में घुसा दिया। चाची  के चूचों को दबाते हुए मैंने ठुकाई के बहुत मज़े लिए। ठुकाई पूरी करके मैंने लंड को उनकी नाइटी से ही पौंछा और बरमूडा ऊपर कर लिया। मैं अभी उनको छोड़ना नहीं चाहता था। पर चाची  बाहर भागने को हो गई थीं।

तभी कुछ ही देर में हमारे वाले इस कमरे के बाहर सब बच्चे एक साथ खड़े हो कर आवाज लगाने लगे थे।

चाची - योगेश , अभी इतना ही रहने दो, सब गए हैं।
इतना कह कर वे अपनी गांड मटका कर चलते हुए दरवाजा खोलने चली गईं। मैं बेड पर गया और उधर से ही चाची  की मटकती हुई गांड को देख रहा था।

चाची  दरवाजा खोल कर अपनी सहेलियों के बच्चों से बात करने लगीं।
एक बच्चा बोला- आंटी आप मिल गईंआपने कितनी देर में दरवाजा खोलावो भैया कहां हैं?

तभी मैंने पीछे से आकर चाची  की गांड पर दांत से काट लिया। चाची  चिहुँक गईं और मुझे दूर करने लगीं।

चाची - जाओ अपने योगेश  भैया को कहीं और ढूंढ लो। वे इधर नहीं हैं।

इतना बोल कर चाची  ने दरवाजा बन्द कर लिया। मैंने करीब आकर चाची  को अपनी गोद में उठा लिया और ले जाकर बिस्तर पर पटक दिया। फिर मैं उनकी बुर  खोल कर उनको चोदने लगा। में फिर से चाची  की चुचियों से लिपट गया और उनकी मोटी चुचियों को मुँह में भर कर चूसते हुए चाची  को चोदने लगा। कुछ देर में फिर से दरवाज़ा बजने लगा, पर इस बार मैं नहीं रुका। मैं चाची  को ज़ोर से चोद रहा था।

कुछ देर में लंड की पिचकारी पर पिचकारी निकलीं और मैंने चाची  के चूचों को ज़ोर से मुँह में भर कर कस कर माल निकाल दिया। मुझे बहुत मज़ा आया। चाची  की चुचियों पर दांतों के निशान हो गए थे। मुझे चाची  से अलग होने का मन नहीं था, पर होना पड़ा क्योंकि बच्चे परेशान करने लगे थे।

चाची  ने दरवाज़ा खोल दिया। वे नाइटी डाल कर बच्चों के साथ बाहर जाकर बैठ गईं और उनसे बातें करने लगीं। इधर मैं भी कपड़े पहन कर बाहर गया और बैठ गया।

शाम होने को थी, बच्चे अपने घर जाने वाले थे। मेरा मन तो चाची  की गांड में अटका हुआ था। मैं बार बार जब भी मौका मिलता, चाची  की चूचियों को और गांड को दबा देता था।

फिर उनकी सहेलियां आकर बच्चों को ले गईं। हम चाची  देवर फिर से एक हो गए।

जब तक भैया टूर से वापस नहीं गए हम दोनों ने जी भरके ठुकाई का मजा लिया। मैंने चाची  की गांड भी मार ली थी। उसकी कहानी मैं अगली बार लिखूंगा। मेरे दिन मज़े से निकलने लगे थे।

इसी बीच मुझे पता लगा कि चाची  अपनी सहेली के भांजे से भी चुद चुकी हैं। ये सुनकर मुझे बहुत जलन हुई कि इतनी सेक्सी सुन्दर चाची  को किसी और ने भी लूट लिया है।

ये कहानी मैं आपको बाद में बताऊंगा। इस बारे में मैंने चाची  को चोदते हुए एक दिन पूछ लिया था और चाची  ने भी मज़े से बता दिया था कि कैसे वो सहेली के भाई से चुद गयी थीं।

 

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