छोटे भाई दीपक के साथ सेक्स कहानी
मैं 1 साल पहले की आप बीती बता रही हूं जो मेरे साथ हुई थी। यह भाई बहन की ठुकाई की कहानी है।
मेरा नाम पूनम है और मैं सेक्स कहानियां नियमित रूप से पढ़ती हूं। मेरी उम्र 23 साल है और जहां तक मेरे साइज़ की बात है वो 31-30-34 है। मेरा रंग बहुत गोरा है। अब मैं आपको अपने परिवार के बारे में बता देती हूं। मेरे घर में मेरी मम्मी, पापा, भाई और मैं ही हूं।मेरे भाई का नाम दीपक है, मैं बीएससी के फाइनल इयर में पढ़ाई कर रही हूं।
हमारे घर में 3 कमरे हैं और एक बाथरूम है। साथ में ही रसोई बनी हुई है। एक कमरे में मेरे मां और पापा सोते हैं और दूसरे में मैं और दीपक सोते हैं, और एक में घर का जरूरी सामान रखते है, मेरे दीपक की उम्र 19 साल है। वो 12वीं कक्षा में है।
बात दिसंबर महीने की है, दीपावली आने वाली थी। हम लोग कॉलोनी में बहुत ही धूमधाम से दीपावली मनाते हैं।
दीपावली के एक दिन पहले की बात है। सभी लोग कर घर पर आकर हाथ मुंह धोकर सोने जा रहे थे। मम्मी-पापा अपने रूम में सोने चले गये थे और मैं भी हाथ मुंह धोने अपने बाथरूम में जा रही थी। बाथरूम का दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था।
मैंने जैसे ही दरवाजे को धक्का दिया दरवाजा खुल गया। अंदर मैंने देखा कि मेरा दीपक अपने लंड को हाथ में लेकर सू-सू करने की पोज में खड़ा हुआ था लेकिन वो सू-सू करने की बजाय अपने लंड को आगे और पीछे की तरफ किये जा रहा था।
उसकी आंखें बंद थीं। वो तेजी से अपने लंड को अपने हाथ में लेकर हिला रहा था। उसको मेरे आने के बारे में पता नहीं लगा।
मैंने एक पल के लिए उस नजारे को देखा और वापस अपने कमरे में आ गई। मेरा दिल जोर से धड़क रहा था। मैंने पहली बार इस तरह से लंड को देखा था। इससे पहले मैंने कभी भी किसी मर्द के लंड को नहीं देखा था। इसलिए मेरी हालत खराब हो रही थी।
कुछ देर के बाद मेरा दीपक बाथरूम से निकल कर बाहर आ गया और बिस्तर पर आकर सो गया।
उस दिन रात को मुझे नींद नहीं आई। मुझे बार-बार दीपक का लंड अपनी आंखों के सामने खड़ा हुआ दिखाई दे रहा था। मैंने इससे पहले कभी अपने दीपक को उस नजर से नहीं देखा था लेकिन आज उसका लंड देखने के बाद मेरे मन में कुछ अलग ही फीलिंग आ रही थी। फिर दीपक के लंड के बारे में ऐसे ही सोचते हुए मुझे नींद आ गई।
अगले दिन मैं अपने दीपक के साथ गली में दीपावली मनाने के लिए चली गई। मेरे साथ मेरी सहेलियों के बॉयफ्रेंड भी आये हुए थे। वो उनके साथ होली खेलने में लगे हुए थे। वो बहाने से उनके टॉप में हाथ डाल कर रंग लगा रहे थे। कई बार तो उन्होंने नीचे टांगों के बीच में भी उनको रंग लगा दिया था।
बहुत देर तक होली खेलने के बाद मैं अपने घर वापस आ गई। मुझे अब नहाने के लिए बाथरूम में जाना था। मैं बाथरूम में चली गई और अंदर जाकर नहाने लगी। उसके बाद मैं बिना कपड़े पहने हुए ही बाहर आ गई। मुझे नहीं पता था कि मेरा दीपक भी रूम में आ चुका है।
जब मैं बाहर निकली तो दीपक अपने बेड पर लेटा हुआ था। मैंने देखा कि वो मेरे नंगे बदन को ध्यान से देख रहा था।
फिर जब उसने देखा कि मैं उसको देख रही हूं तो उसने अपनी आंखें बंद कर लीं और जैसे सोने का नाटक सा करने लगा। फिर मैंने एक तरफ जाकर अपने कपड़े पहन लिये।
रात को खाना खाने के बाद मुझे नींद भी जल्दी आ गई थी। मैं उस दिन होली खेलने के बाद काफी थकी हुई थी। फिर रात को करीब 12 बजे के करीब मुझे अपने पेट पर कुछ महसूस हो रहा था। मैंने आंख खोल कर देखा तो दीपक का हाथ मेरे नंगे पेट पर फिर रहा था।
मैंने सोचा कि शायद सोते हुए मेरा टॉप ऊपर हो गया होगा। मैं वैसे ही लेटी रही और सोने का नाटक करती रही। मैंने दीपक को ये अहसास नहीं होने दिया कि मैं नींद से जाग चुकी हूं और मैं उसकी हरकत को महसूस कर रही हूं।
दीपक के हाथ को हटाये बिना ही मैं ऐसे ही लेटी रही। मुझे भी कुछ अच्छा लग रहा था। फिर धीरे-धीरे मेरा दीपक मेरे टॉप को अपने हाथ से और ऊपर करने लगा। मैंने नीचे से ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी। मेरी आदत थी कि मैं रात को सोते वक्त ब्रा पहन कर नहीं सोती थी। टॉप ऊपर होते ही मेरी चूचियां नंगी हो गईं। अब मेरे अंदर भी सेक्स उठने लगा था। दीपक का हाथ मेरे चूचों पर आकर उनको दबाने लगा था। मुझे अब हल्का हल्का मजा सा आने लगा था।
वो मेरे चूचों को दबाते हुए मेरे निप्पल भी छेड़ रहा था। अब मैं गर्म होने लगी थी। अब दीपक की हिम्मत बढ़ने लगी थी। कुछ देर तक मेरे निप्पलों को छेड़ने के बाद दीपक ने मेरी लोअर में हाथ डाल दिया। वो मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को सहलाने लगा।
अब मैं गर्म हो गई और मेरे मुंह से हल्की सी आह्ह निकल गई। दीपक ने देखा कि मैं जाग चुकी हूं तो अपने हाथ को हटाने लगा लेकिन मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और अपनी चूत पर रखवा लिया।
अब उसको कोई डर नहीं था। वो भी समझ गया कि मुझे भी उसकी हरकतों में मजा आ रहा है। वो अपनी बहन की चूत को अब जोर से सहलाने लगा। उसके बाद मुझसे भी रहा नहीं गया। मैंने अपने दीपक के लंड को अपने हाथ से टटोलते हुए उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया।
उसका लंड पूरा खड़ा हुआ था। मैंने उसके लंड को पकड़ कर दबा कर देखा। मैंने पहली बार किसी मर्द का लंड अपने हाथ में पकड़ा था। मुझे बहुत मजा आया। मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड भी नहीं था इसलिए मेरे अंदर लंड को लेकर काफी जिज्ञासा हो रही थी।
मैं दीपक का लंड अपने हाथ में लेकर उसकी लोअर के ऊपर से ही सहला रही थी। इसी बीच में मेरे दीपक ने मेरी लोअर को निकाल कर उसको नीचे कर दिया। अब मैं नीचे से भी नंगी हो रही थी। मेरी चूत पर केवल मेरी पैंटी रह गई थी। मेरी चूत से पानी सा छूटना शुरू हो चुका था। फिर मेरे दीपक ने मेरी पैंटी को भी निकाल दिया। उसके बाद उसने मेरी पैंटी को खींच कर मेरी टांगों को भी पूरी नंगी कर दिया।
मैं अपने दीपक के सामने पूरी की पूरी नंगी लेटी हुई थी और उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ कर जोर से सहलाते हुए मजा ले रही थी।
मेरी पैंटी को निकालने के बाद मेरे दीपक ने मेरी चूत को अपने हाथ रगड़ना शुरू कर दिया। मैंने अपने दीपक की लोअर में हाथ डाल दिया। वो भी समझ गया कि मैं उसके लंड को बाहर निकाल कर हाथ में लेना चाह रही हूं। उसने अपनी लोअर को नीचे कर दिया और उसके अंडरवियर को भी सरका दिया।
मेरे दीपक का लंड पूरा का पूरा तना हुआ था। मैंने उसके गर्म लंड को अपने हाथ में भर लिया। उसके बाद वो मेरी चूत को सहलाने लगा और मैं उसके लंड को पकड़ कर सहलाने लगी। अब मेरे मुंह से कामुक सिसकारियां भी निकलने लगी थीं।
दीपक का लंड बहुत ही मोटा और लंबा था। उसने मेरे मुंह में अपना हथियार डाल दिया। मैं उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। मैंने लंड का स्वाद पहली बार लिया था। मुझे वो अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन कुछ देर के बाद मुझे फिर लंड को चूसने में भी मजा सा आने लगा।
मेरे दीपक ने मेरी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया। वो मेरी चूत में उंगली कर रहा था। उसका लंड मेरे मुंह में था। उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था। फिर मेरा दम घुटने लगा तो मैं उसको अपने ऊपर से हटाने लगी। उसके बाद वो सीधा हो गया। उसने मेरी चूत से उंगली निकाल ली।
फिर वो मेरी चूत को चाटने लगा। बहन की चूत पर जब दीपक की गर्म जीभ लगी तो मुझे बहुत मजा आया। अब मैं समझने लगी थी कि मेरी सहेलियों ने अपने ब्वॉयफ्रेंड क्यों बना रखे थे। वो भी अपनी चूत को उनकी जीभ से शांत करवाती होंगी।
उसके बाद कुछ देर तक मेरे दीपक ने मेरी चूत को चाटा और फिर उसने मेरी टांगों को फैला दिया। मैं उसकी हर एक हरकत को देख रही थी।
उसने मेरी चूत पर लंड को रख दिया और फिर मेरी चूत पर लंड को रख कर उसको मेरी चूत पर रगड़ने लगा। पहली बार मैंने अपनी गर्म चूत पर किसी मर्द के लंड के स्पर्श को महसूस किया था। चूत से लंड छुआ तो मेरे बदन में जैसे आग लग गई। मैं बिस्तर पर लेटी हुई तड़पने लगी।
मेरा दीपक अपने लंड के शिश्न को मेरी चूत के मुंह पर रगड़ रहा था। मेरी चूत बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी। अब मेरा खुद ही मन कर रहा था कि वो अपने लंड को मेरी चूत के अंदर डाल दे। अब मेरे दीपक से भी नहीं रहा जा रहा था। उसने मेरी चूत पर थूक दिया। फिर उसने अपने लंड को मेरी चूत के ऊपर सेट कर दिया और धक्का देने लगा तो मेरी चीख निकल गई ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’
लेकिन साथ ही उसने मेरे मुंह पर हाथ रख दिया।
मेरी आंखों से आंसू निकल आये। उसके लंड ने मेरी चूत में बहुत दर्द कर दिया था। बगल वाले कमरे में ही माँ और पापा सो रहे थे। इसलिए मैं चीख भी नहीं सकती थी। फिर कुछ देर तक वो मेरे ऊपर ऐसे ही लेटा रहा। उसके बाद उसने धीरे से मेरी चूत में लंड को हिलाया तो मुझे फिर से दर्द हुआ।
मैंने गर्दन उठा कर देखा तो मेरी चूत से खून निकल आये थे। अपनी चूत से निकले हुए खून को देख कर मैं डर गई। फिर दीपक ने बताया कि घबराओ नहीं तुम्हारी चूत की सील टूट गई है। फिर वो मेरे चूचों को दोबारा से पीने लगा।
मैं आराम से नीचे लेट गई। दो या तीन मिनट तक वो मेरे चूचों को पीता रहा और उसके बाद उसने मेरी चूत में लंड को चलाना शुरू किया।
अब मुझे थोड़ा अच्छा लगने लगा। फिर वो अपनी गति को तेज करने लगा। उसका मोटा लंड मेरी चूत में फंस गया था लेकिन पहली बार चूत में लंड को लेकर मुझे बहुत मजा आ रहा था।
उसके बाद उसने मेरी चूत में तेजी के साथ धक्के लगाने शुरू कर दिये। अब मुझे काफी मजा आने लगा और मैं दीपक के लंड से अपनी चूत की ठुकाई का मजा लेते हुए चुदने लगी।
कुछ देर के बाद मैंने अपनी चूत में दीपक के लंड को और अंदर लेने के लिए अपनी टांगों को उसकी कमर पर लपेट लिया। दीपक का लंड मेरी चूत की गहराई में पूरा जाने लगा। अब मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा। मेरी चूत में उसके लंड से ठोकर लग रही थी तो ऐसा लग रहा था कि मैं चूत में लंड को लेकर चुदती ही रहूं।
आज मुझे पता चल रहा था कि मेरी सभी सहेलियां अपने यारों के साथ ठुकाई करके इतनी खुश कैसे रहती हैं। लंड जब चूत में जाता है तो बहुत मजा देता है। इस बात का पता आज मुझे लग गया था। दीपक मेरी चूत की ठुकाई तीस मिनट तक करता रहा। उसके लंड ने मेरी चूत को फैला कर रख दिया।
उसके बाद मुझे ऐसा लगा जैसे मैं मर ही जाऊंगी। मैंने दीपक को अपनी बांहों में कस कर पकड़ लिया और मेरा पूरा बदन अकड़ने लगा। मेरी चूत से एक दरिया सा छलक उठा और मैं धीरे-धीरे शांत होने लगी।
उसके बाद दीपक की स्पीड के कारण मेरी चूत से पच-पच आवाज होने लगी। उसकी गति पहले से भी और ज्यादा तेज होती जा रही थी। अब मेरी चूत में दर्द होने लगा था। मैंने उसको हटाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं रुक रहा था।
फिर दो मिनट के बाद उसकी गति धीमी पड़ने लगी। दीपक ने मेरी चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया। पूरा वीर्य मेरी चूत में गिराने के बाद वो भी शांत हो गया।
उस रात को दीपक ने दो बार मेरी चूत की ठुकाई की। दीपक का मोटा लंड चूत में लेकर चुदने के कारण सुबह मुझसे चला भी नहीं जा रहा था। मैं बड़ी मुश्किल से चल फिर पा रही थी। उस दिन के बाद से दीपक ने मेरी चूत की ठुकाई शुरू कर दी।
जब तक मेरी शादी नहीं हो गई दीपक मेरी चूत को चोदता रहा।
दीपक से चूत की पहली ठुकाई कराने के बाद मुझे भी लंड लेने का चस्का लग गया था। उसके बाद मैंने अपनी चूत में किस किस के लंड लिये और शादी से पहले मैं और किन लंडों से चुदी वो सब मैं आपको अपनी अगली कहानियों के माध्यम से बताऊंगी। आपको मेरी यह दीपक बहन की ठुकाई की कहानी कैसी लगी,