डॉली दीदी के साथ सेक्स कहानी
इस ठुकाई की स्टोरी में पढ़ें कि मैं अपनी बुआ की बेटी के घर रहने गया। वहां पता चला की डॉली दीदी की प्यासी चूत बिना ठुकाई के काट रही है। मैंने डॉली दीदी की ठुकाई करके प्यास बुझाई।
दोस्तो, मेरा नाम कार्तिके है और मैं मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। सेक्स कहानी पर मेरी यह पहली ठुकाई की स्टोरी है बुआ की बेटी की चुत ठुकाई की जो कि दो महीने ही पुरानी है। बात उन दिनों की है जब मैं गुवाहाटी में गया हुआ था। चूंकि पढ़ाई पूरी होने के बाद मुझे कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली थी तो मैं अपनी बुआ की बेटी के पास गुवाहाटी चला गया था। मेरी डॉली दीदी की शादी हो चुकी है। उसकी उम्र 27 साल है और मेरी 22 साल।
गुवाहाटी में मेरे जीजा जी और बहन रहते हैं। मेरे जीजा जी इंजीनियर हैं।
मैं आपको अपने बारे में बताता हूं। मेरी लम्बाई पांच फीट सात इंच है। मेरा लंड का साइज 6 इंच का है और उसकी मोटाई तीन इंच है। मैंने गुवाहाटी जाने से पहले मध्यप्रदेश में रहते हुए भी ठुकाई का मजा लिया था लेकिन वो सब कहानियां मैं आपको बाद में बताऊंगा।
मेरी डॉली दीदी की लम्बाई पांच फीट और पांच इंच है। उनका फिगर बहुत ही कमाल का है। डॉली दीदी को अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था। पहले तो मैं सोचा करता था कि डॉली दीदी और जीजा जी ठुकाई के मजे लेने के लिए बच्चे पैदा नहीं कर रहे हैं। लेकिन बाद में मुझे सच्चाई का पता चला। असली कहानी यहीं से शुरू होती है।
जब मैं गुवाहाटी पहुंचा तो डॉली दीदी ने गले लगा कर मेरा स्वागत किया। लेकिन जब मेरी छाती उनके चूचों से टकराई तो मेरा लौड़ा खड़ा हो गया। दोस्तो मैं सेक्स कहानी की कहानियां काफी समय पहले से पढ़ रहा था इसलिए मैंने अपनी बहन को कभी बहन की नजर से देखा ही नहीं था। मुझे वो बाकी औरतों की तरह चोदने का ही माल नजर आती थी।
दोस्तो, मेरा नाम कार्तिके है और मैं मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। सेक्स कहानी पर मेरी यह पहली ठुकाई की स्टोरी है बुआ की बेटी की चुत ठुकाई की जो कि दो महीने ही पुरानी है। बात उन दिनों की है जब मैं गुवाहाटी में गया हुआ था। चूंकि पढ़ाई पूरी होने के बाद मुझे कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली थी तो मैं अपनी बुआ की बेटी के पास गुवाहाटी चला गया था। मेरी डॉली दीदी की शादी हो चुकी है। उसकी उम्र 27 साल है और मेरी 22 साल।
गुवाहाटी में मेरे जीजा जी और बहन रहते हैं। मेरे जीजा जी इंजीनियर हैं।
मैं आपको अपने बारे में बताता हूं। मेरी लम्बाई पांच फीट सात इंच है। मेरा लंड का साइज 6 इंच का है और उसकी मोटाई तीन इंच है। मैंने गुवाहाटी जाने से पहले मध्यप्रदेश में रहते हुए भी ठुकाई का मजा लिया था लेकिन वो सब कहानियां मैं आपको बाद में बताऊंगा।
मेरी डॉली दीदी की लम्बाई पांच फीट और पांच इंच है। उनका फिगर बहुत ही कमाल का है। डॉली दीदी को अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था। पहले तो मैं सोचा करता था कि डॉली दीदी और जीजा जी ठुकाई के मजे लेने के लिए बच्चे पैदा नहीं कर रहे हैं। लेकिन बाद में मुझे सच्चाई का पता चला। असली कहानी यहीं से शुरू होती है।
जब मैं गुवाहाटी पहुंचा तो डॉली दीदी ने गले लगा कर मेरा स्वागत किया। लेकिन जब मेरी छाती उनके चूचों से टकराई तो मेरा लौड़ा खड़ा हो गया। दोस्तो मैं सेक्स कहानी की कहानियां काफी समय पहले से पढ़ रहा था इसलिए मैंने अपनी बहन को कभी बहन की नजर से देखा ही नहीं था। मुझे वो बाकी औरतों की तरह चोदने का ही माल नजर आती थी।
जब डॉली
दीदी के चूचों का स्पर्श मुझे मिला तो किसी तरह मैंने खुद को रोका। शाम को खाना खाने के बाद मैं मुठ मार कर सो गया। कुछ ही दिन के बाद मेरे जीजा ने मेरी नौकरी एक अच्छी जगह लगवा दी थी। मैं सुबह दस बजे ऑफिस के लिए निकल जाता था और शाम को पांच बजे वापस आता था।
जब मैं डॉली दीदी के यहां पर रहने के लिए आया था तो तब से लेकर अब तक मैंने कभी भी उन दोनों के कमरे से किसी तरह की आवाज नहीं सुनी थी। आप समझ गये होंगे कि मैं किस आवाज की बात कर रहा हूं। रात को मैंने कई बार कोशिश की कि उनकी ठुकाई की आवाजें मेरे कानों में आये लेकिन उनके कमरे से कभी कोई ऐसी आवाज नहीं आती थी।
पहले तो मैं सोचने लगा था कि ये दोनों शायद बहुत ही धीरे से ठुकाई करते होंगे। मगर ऐसा नहीं था।
एक दिन की बात है कि जब मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं थी और मैं उस दिन ऑफिस नहीं गया। मैं नाश्ता करके आराम करने के लिए सो गया।
दिन में जब मेरी आंख खुली तो मुझे कुछ आवाजें सुनाई दी। मैंने उठ कर अंदर झांक कर देखा तो मेरी डॉली दीदी अपनी कुछ सहेलियों के साथ अपने कमरे में किटी पार्टी कर रही थी। मैं वहीं पर कान लगा कर उन की बातें सुनने लगा।
उसकी सहेलियां बातें कर रही थीं।
एक ने डॉली दीदी से पूछा- अगर तेरा भाई यहां पर रहता है तो तुम अपने पति के साथ ठुकाई कैसे कर लेती हो?
मेरी डॉली दीदी बोली- हमने उसके आने से पहले ही अपने कमरे में कांच बदलवा दिये थे। इसलिए आवाज बाहर नहीं जा पाती है।
मुझे डॉली दीदी की ये बात सुन कर बुरा लगा कि डॉली दीदी को मेरी वजह से इस तरह सोचना पड़ रहा है और उनको इस तरह की परेशानी उठानी पड़ रही है।
मैंने इस बारे में डॉली दीदी से बात करने की सोची। मैं शाम को जब डॉली दीदी से बात करने के लिए गया तो वो रसोई में खाना बना रही थी। मैं डॉली दीदी के पास गया और डॉली दीदी से सीधा ही बोल दिया- डॉली दीदी, अगर आप लोगों को मेरे यहां पर रहने से कोई परेशानी हो रही है तो मैं बाहर किराये पर कमरा ले लेता हूं।
डॉली दीदी ने मेरी तरफ देखा। वो हैरान सी लग रही थी मेरी बात से।
डॉली दीदी बोली- अचानक से तुझे क्या हो गया? तू ऐसी बात क्यों कह रहा है?
मैंने डॉली दीदी से कहा- वो … डॉली दीदी, मैंने आपकी सहेलियों की बातें सुन ली थीं।
डॉली दीदी ने जब यह बात सुनी तो पहले वो गुस्से से बोलीं- तूने हमारी बातें ऐसे छुपकर क्यों सुनी?
मैंने कहा- सॉरी डॉली दीदी। लेकिन मैं जब अपने कमरे में सो रहा था तो आप लोगों की आवाज सुन कर मेरी नींद खुल गई थी। मैं जब देखने के लिए आया तो मैंने आप लोगों की बातें सुन लीं।
फिर डॉली दीदी बोली- ऐसी कोई बात नहीं है जैसा तू सोच रहा है। हमने कोई कांच नहीं लगवाया है।
मैंने कहा- डॉली दीदी, आप झूठ बोल रहे हो। मुझे रात में आप लोगों के कमरे से सच में कोई आवाज नहीं आती।
डॉली दीदी गुस्से से बोली- आवाज आने के लिए कुछ करना भी पड़ता है। हम दोनों पति-पत्नी के बीच में कुछ होता ही नहीं तो आवाज कहां से आयेंगी। तू इधर उधर की बातों पर ध्यान मत दे और अपना काम कर, अपनी नौकरी पर ध्यान दे साले। समझा?
मेरी डॉली दीदी के पापा यानि मेरे फूफा जी शराब का ठेका चलाते हैं इसलिए डॉली दीदी को गाली देने की पुरानी आदत है क्योंकि उनके घर में यह सब चलता रहता है।
उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया। लेकिन आज मुझे इतना पता तो चल गया था कि मेरे जीजा जी मेरी डॉली दीदी को चोदते नहीं हैं। मगर क्यों नहीं चोदते हैं इसका कारण मुझे समझ नहीं आ रहा था।
फिर दो या तीन दिन तक मेरी डॉली दीदी से मेरी कोई बात नहीं हुई। एक दिन डॉली दीदी मेरे कमरे में आई और बोली- लगता है तू कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया है, इसलिए इतना गुस्सा करने लगा है।
मैंने कहा- नहीं डॉली दीदी, ऐसी कोई बात नहीं है। आप ने ही तो कहा था कि मैं अपने काम पर ध्यान दूं इसलिए मैंने उसके बाद आप से इस तरह की बात करना ठीक नहीं समझा।
डॉली दीदी ने कहा- मैंने तुझे हमारी सेक्स लाइफ के बारे में बात करने से मना किया था। दूसरी और बात करने से मना नहीं किया था।
मेरे मन में वो जिज्ञासा थी इसलिए मैं उसी के बारे में बात करना चाह रहा था तो मैंने डॉली दीदी से कहा- जिस बात के बारे में आपको परेशानी होगी मैं उसी के बारे में तो बात करुंगा न आपसे …
वो बोली- हमारी सेक्स लाइफ के बारे में क्या बात करेगा तू, जब हमारे बीच में कुछ है ही नहीं तो।
डॉली दीदी ने गुस्से में कहा और उठ कर चली गई।
अब मुझे सब कुछ समझ में आ गया था। मैंने मौके का फायदा उठाने की सोची और फिर जाकर डॉली दीदी से माफी मांग ली। डॉली दीदी ने मुझे माफ भी कर दिया।
उस दिन के बाद डॉली दीदी से मेरी बात खुल कर होने लगी थी। मैं अब डॉली दीदी को खुश करने की कोशिश करने लगा था। सीधे शब्दों में कहूं तो मैं डॉली दीदी पर लाइन मारने की कोशिश करता रहता था। डॉली दीदी भी इस बात को जान गयी थी।
एक दिन उन्होंने मुझे इस बारे में टोक ही दिया, डॉली दीदी बोली- मैं देख रही हूं कि तू आजकल मुझ पर लाइन मारने की कोशिश कर रहा है। तुझे और कोई लड़की नहीं मिल रही है क्या?
मैंने कहा- जब घर में इतनी सुन्दर लड़की है तो फिर बाहर ढूंढने की क्या जरूरत है?
डॉली दीदी बोली- कुत्ते, मैं तेरी बहन हूं।
मैंने कहा- तो क्या हुआ, आप लड़की भी तो हो।
कुछ देर के लिए डॉली दीदी चुप हो गयी और फिर कहने लगी कि मुझ पर लाइन मारने का कोई फायदा नहीं है।
मैंने कहा- एक बार कोशिश करके तो देख लेने दो।
इतना कह कर मैंने डॉली दीदी को चूम लिया।
डॉली दीदी पीछे हट गई, बोली- कोशिश अच्छी थी लेकिन अभी तेरे जीजा आने वाले हैं इसलिए चुपचाप अपने कमरे में जा, हम फिर किसी दिन देखेंगे।
उस दिन हल्की सी सही लेकिन शुरूआत तो हो ही गई थी डॉली दीदी के साथ। मैं डॉली दीदी को गाली देकर चोदना चाह रहा था। उस दिन का इंतजार करने लगा जब मुझे डॉली दीदी को चोदने का मौका मिलेगा। दो दिन के बाद मेरा इंतजार खत्म हो गया।
उस दिन जब मैं ऑफिस से आया तो मेरा लौड़ा पहले से ही गर्म था। मगर जीजा जी मुझसे पहले ही घर आ गये थे और अपने कमरे में सो रहे थे। शायद उनके सिर में दर्द था। मैंने उनको देखा और धीरे से कमरे का दरवाजा बंद करके आ गया।
मैं अपने कमरे में चला गया और फ्रेश होकर रसोई में चला गया। तब तक डॉली दीदी ने हम दोनों के लिए चाय बना दी थी। किचन डॉली दीदी के
जब मैं डॉली दीदी के यहां पर रहने के लिए आया था तो तब से लेकर अब तक मैंने कभी भी उन दोनों के कमरे से किसी तरह की आवाज नहीं सुनी थी। आप समझ गये होंगे कि मैं किस आवाज की बात कर रहा हूं। रात को मैंने कई बार कोशिश की कि उनकी ठुकाई की आवाजें मेरे कानों में आये लेकिन उनके कमरे से कभी कोई ऐसी आवाज नहीं आती थी।
पहले तो मैं सोचने लगा था कि ये दोनों शायद बहुत ही धीरे से ठुकाई करते होंगे। मगर ऐसा नहीं था।
एक दिन की बात है कि जब मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं थी और मैं उस दिन ऑफिस नहीं गया। मैं नाश्ता करके आराम करने के लिए सो गया।
दिन में जब मेरी आंख खुली तो मुझे कुछ आवाजें सुनाई दी। मैंने उठ कर अंदर झांक कर देखा तो मेरी डॉली दीदी अपनी कुछ सहेलियों के साथ अपने कमरे में किटी पार्टी कर रही थी। मैं वहीं पर कान लगा कर उन की बातें सुनने लगा।
उसकी सहेलियां बातें कर रही थीं।
एक ने डॉली दीदी से पूछा- अगर तेरा भाई यहां पर रहता है तो तुम अपने पति के साथ ठुकाई कैसे कर लेती हो?
मेरी डॉली दीदी बोली- हमने उसके आने से पहले ही अपने कमरे में कांच बदलवा दिये थे। इसलिए आवाज बाहर नहीं जा पाती है।
मुझे डॉली दीदी की ये बात सुन कर बुरा लगा कि डॉली दीदी को मेरी वजह से इस तरह सोचना पड़ रहा है और उनको इस तरह की परेशानी उठानी पड़ रही है।
मैंने इस बारे में डॉली दीदी से बात करने की सोची। मैं शाम को जब डॉली दीदी से बात करने के लिए गया तो वो रसोई में खाना बना रही थी। मैं डॉली दीदी के पास गया और डॉली दीदी से सीधा ही बोल दिया- डॉली दीदी, अगर आप लोगों को मेरे यहां पर रहने से कोई परेशानी हो रही है तो मैं बाहर किराये पर कमरा ले लेता हूं।
डॉली दीदी ने मेरी तरफ देखा। वो हैरान सी लग रही थी मेरी बात से।
डॉली दीदी बोली- अचानक से तुझे क्या हो गया? तू ऐसी बात क्यों कह रहा है?
मैंने डॉली दीदी से कहा- वो … डॉली दीदी, मैंने आपकी सहेलियों की बातें सुन ली थीं।
डॉली दीदी ने जब यह बात सुनी तो पहले वो गुस्से से बोलीं- तूने हमारी बातें ऐसे छुपकर क्यों सुनी?
मैंने कहा- सॉरी डॉली दीदी। लेकिन मैं जब अपने कमरे में सो रहा था तो आप लोगों की आवाज सुन कर मेरी नींद खुल गई थी। मैं जब देखने के लिए आया तो मैंने आप लोगों की बातें सुन लीं।
फिर डॉली दीदी बोली- ऐसी कोई बात नहीं है जैसा तू सोच रहा है। हमने कोई कांच नहीं लगवाया है।
मैंने कहा- डॉली दीदी, आप झूठ बोल रहे हो। मुझे रात में आप लोगों के कमरे से सच में कोई आवाज नहीं आती।
डॉली दीदी गुस्से से बोली- आवाज आने के लिए कुछ करना भी पड़ता है। हम दोनों पति-पत्नी के बीच में कुछ होता ही नहीं तो आवाज कहां से आयेंगी। तू इधर उधर की बातों पर ध्यान मत दे और अपना काम कर, अपनी नौकरी पर ध्यान दे साले। समझा?
मेरी डॉली दीदी के पापा यानि मेरे फूफा जी शराब का ठेका चलाते हैं इसलिए डॉली दीदी को गाली देने की पुरानी आदत है क्योंकि उनके घर में यह सब चलता रहता है।
उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया। लेकिन आज मुझे इतना पता तो चल गया था कि मेरे जीजा जी मेरी डॉली दीदी को चोदते नहीं हैं। मगर क्यों नहीं चोदते हैं इसका कारण मुझे समझ नहीं आ रहा था।
फिर दो या तीन दिन तक मेरी डॉली दीदी से मेरी कोई बात नहीं हुई। एक दिन डॉली दीदी मेरे कमरे में आई और बोली- लगता है तू कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया है, इसलिए इतना गुस्सा करने लगा है।
मैंने कहा- नहीं डॉली दीदी, ऐसी कोई बात नहीं है। आप ने ही तो कहा था कि मैं अपने काम पर ध्यान दूं इसलिए मैंने उसके बाद आप से इस तरह की बात करना ठीक नहीं समझा।
डॉली दीदी ने कहा- मैंने तुझे हमारी सेक्स लाइफ के बारे में बात करने से मना किया था। दूसरी और बात करने से मना नहीं किया था।
मेरे मन में वो जिज्ञासा थी इसलिए मैं उसी के बारे में बात करना चाह रहा था तो मैंने डॉली दीदी से कहा- जिस बात के बारे में आपको परेशानी होगी मैं उसी के बारे में तो बात करुंगा न आपसे …
वो बोली- हमारी सेक्स लाइफ के बारे में क्या बात करेगा तू, जब हमारे बीच में कुछ है ही नहीं तो।
डॉली दीदी ने गुस्से में कहा और उठ कर चली गई।
अब मुझे सब कुछ समझ में आ गया था। मैंने मौके का फायदा उठाने की सोची और फिर जाकर डॉली दीदी से माफी मांग ली। डॉली दीदी ने मुझे माफ भी कर दिया।
उस दिन के बाद डॉली दीदी से मेरी बात खुल कर होने लगी थी। मैं अब डॉली दीदी को खुश करने की कोशिश करने लगा था। सीधे शब्दों में कहूं तो मैं डॉली दीदी पर लाइन मारने की कोशिश करता रहता था। डॉली दीदी भी इस बात को जान गयी थी।
एक दिन उन्होंने मुझे इस बारे में टोक ही दिया, डॉली दीदी बोली- मैं देख रही हूं कि तू आजकल मुझ पर लाइन मारने की कोशिश कर रहा है। तुझे और कोई लड़की नहीं मिल रही है क्या?
मैंने कहा- जब घर में इतनी सुन्दर लड़की है तो फिर बाहर ढूंढने की क्या जरूरत है?
डॉली दीदी बोली- कुत्ते, मैं तेरी बहन हूं।
मैंने कहा- तो क्या हुआ, आप लड़की भी तो हो।
कुछ देर के लिए डॉली दीदी चुप हो गयी और फिर कहने लगी कि मुझ पर लाइन मारने का कोई फायदा नहीं है।
मैंने कहा- एक बार कोशिश करके तो देख लेने दो।
इतना कह कर मैंने डॉली दीदी को चूम लिया।
डॉली दीदी पीछे हट गई, बोली- कोशिश अच्छी थी लेकिन अभी तेरे जीजा आने वाले हैं इसलिए चुपचाप अपने कमरे में जा, हम फिर किसी दिन देखेंगे।
उस दिन हल्की सी सही लेकिन शुरूआत तो हो ही गई थी डॉली दीदी के साथ। मैं डॉली दीदी को गाली देकर चोदना चाह रहा था। उस दिन का इंतजार करने लगा जब मुझे डॉली दीदी को चोदने का मौका मिलेगा। दो दिन के बाद मेरा इंतजार खत्म हो गया।
उस दिन जब मैं ऑफिस से आया तो मेरा लौड़ा पहले से ही गर्म था। मगर जीजा जी मुझसे पहले ही घर आ गये थे और अपने कमरे में सो रहे थे। शायद उनके सिर में दर्द था। मैंने उनको देखा और धीरे से कमरे का दरवाजा बंद करके आ गया।
मैं अपने कमरे में चला गया और फ्रेश होकर रसोई में चला गया। तब तक डॉली दीदी ने हम दोनों के लिए चाय बना दी थी। किचन डॉली दीदी के