दोस्त की मां के साथ सेक्स कहानी
कैसे हो दोस्तो?
मैं हूं दिनेश, मस्त
बुर वाली
लड़कियों,
भाभियों
और सेक्सी आंटियों
को मेरे लंड
का सलाम।
मेरी उम्र 22 साल है
और मैं दिखने
में स्मार्ट सा लड़का
हूं। मैं बिहार
का
रहने वाला हूं।
मेरी यह कहानी मेरे और मेरे दोस्त की मम्मी के बीच बने शारीरिक संबंध की कहानी है।
यह बात आज से करीब आठ महीने पहले की है। हमारी कॉलोनी में खेल का एक मैदान बना हुआ है। वहां पर मैं कई बार क्रिकेट खेलने के लिए चला जाया करता था। मेरी ही तरह वहां पर मेरी ही कॉलोनी और आस-पास के बच्चे भी क्रिकेट खेलने के लिए आ जाया करते थे। ऐसे ही खेल खेल में मेरी दोस्ती गोवर्धननाम के एक लड़के के साथ हो गई।
मैंने यहां पर उस लड़के का असली नाम नहीं लिखा है। मैंने उसका नाम बदल दिया है क्योंकि कहानी उसकी मॉम के बारे में है इसलिए मैं नहीं चाहता कि उसकी मॉम की पहचान किसी को पता चले।
उससे दोस्ती होने के बाद हम दोनों कई बार साथ में ही बाहर घूमने के लिए भी चले जाते थे। इसी तरह एक दिन उसने मुझे अपने घर पर बुला लिया। जब मैं उसके घर गया तो उसकी मां को देख कर मैं हैरान रह गया। उसकी मां की उम्र लगभग 35 साल के करीब रही होगी। मगर चेहरे पर ऐसी चमक थी कि मैं हैरान था।
वो देखने में एक 30 या 28 साल की भाभी के जैसी दिख रही थी। उसकी मां का नाम मीराथा। यहां पर मैंने उसकी मां का नाम भी बदल दिया है। उसका फीगर करीब 36-32-39 का था। मुझे उसके फीगर का नाप बाद में पता चला था जब मैंने उसके साथ सेक्स किया था। मगर मैं आपकी जानकारी के लिए उसके फीगर का नाप अभी बता दे रहा हूं ताकि आपको पता लग सके कि वो दिखने में कैसी रही होगी।
तो जब मैं उसके घर पर गया तो मेरी नजर उसकी मां से नहीं हट रही थी। मैं इस तरह से उसकी मां के बारे में नहीं सोचना चाहता था क्योंकि गोवर्धनमेरा दोस्त था लेकिन फिर भी उसकी मां के बदन में बहुत ही गजब का आकर्षण था जो बार-बार मुझे उसके बारे में सेक्स के लिए सोचने पर मजबूर कर रहा था।
वैसे तो उसकी मां ने भी मुझे देख लिया था कि मैं उसी पर नज़र रखे हुए हूं लेकिन वो कुछ नहीं बोल रही थी। वो भी कई बार मेरी तरफ देख लेती थी क्योंकि हम दोनों आमने-सामने ही बैठे हुए थे।
फिर उसकी मां के साथ मेरी भी कुछ बात हुई। बातों ही बातों में पता चला कि उसके पापा बैंक में काम करते हैं। वो दिन में घर पर नहीं रहते हैं। फिर कुछ देर के बाद उसकी मॉम से बात करने के बाद गोवर्धनऔर मैं ऊपर छत पर खेलने के लिए चले गये। लेकिन खेल में मेरा मन नहीं लग रहा था। मैं उसकी मां के बारे में ही सोच रहा था। उसकी मां के गोरे बदन के बारे में सोच कर मेरे लंड में हलचल सी होने लगी थी।
उस दिन घर जाने के बाद मैंने उसकी मां के बारे में सोच कर मुठ मारी तब जाकर मेरे लंड को शांति मिली।
अब तो रोज मेरा मन गोवर्धनके घर जाने के लिए करने लगा था। मैं उसके घर पर जाने के लिए गोवर्धनको उकसाता रहता था ताकि उसकी मां को देख सकूं। मैं उसकी मां को पटाने के चक्कर में था। उसके ख्याल मेरे मन से निकल ही नहीं रहे थे।
जब भी मैं गोवर्धनके घर जाता था तो मेरी नजर उसकी मां के बदन को ऊपर से नीचे तक पूरा नाप लेती थी। कभी उसकी चूचियों को घूरने लगता था तो कभी उसकी गांड को। मैं सोच रहा था कि जब ये बाहर से देखने में इतनी मस्त माल लग रही है तो अंदर से तो ये बिल्कुल कयामत ही लगती होगी, मैं उसकी मां के नंगे बदन को देखने के लिए तरस जाता था लेकिन अभी मुझे ऐसी कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही थी कि मैं उसकी मां को नंगी देख सकूं।
उसकी माँ भी मेरी तरफ देखती तो थी लेकिन उसकी तरफ से मुझे अभी कुछ इस तरह का कोई भी संकेत नहीं मिल पा रहा था जिससे कि मुझे पता लग सके कि वो भी मेरे साथ कुछ करना चाहती है या नहीं। इसीलिए मैं उसके मन को टटोलने में भी लगा हुआ था।
मैं हमेशा मीराचाची के आस-पास ही मंडराता रहता था। कभी कभी तो मैं उसको बहाने से छू भी लेता था। वैसे मुझे जहां तक लग रहा था कि वो भी मेरे मन की इच्छा को जान चुकी थी लेकिन कुछ कह नहीं रही थी।
मैं जब भी उसको छूने की कोशिश करता तो ऐसे बर्ताव करता था कि वह सब मैंने जानबूझ कर नहीं किया है और गलती से ही उसको टच हो गया है। मेरी हरकतों पर वो भी हल्के से मुस्करा कर बात को टाल देती थी।
इस तरह से चाची के लिए मेरी प्यास हर दिन बढ़ती ही जा रही थी। मैं उसको नंगी करके चोदने की फिराक में था लेकिन पता नहीं था कि वो दिन कब नसीब होने वाला है।
एक दिन की बात है जब मैं गोवर्धनके घर गया हुआ था। खेल के बीच में ही इमराने के किसी दोस्त का फोन आ गया और वो मुझे घर पर उसकी मां के साथ ही छोड़ कर चला गया।
उस दिन पहली बार ऐसा हुआ था कि मैं उसकी मां के साथ घर पर अकेला ही था। मेरा मन था कि जाकर चाची के चूचे दबा दूं लेकिन अभी मेरी इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी। फिर मैं गोवर्धनके कमरे में चला गया।
मैंने उसके कम्प्यूटर में टाइम पास करना शुरू किया। ऐसे ही देखते देखते मुझे उसके कम्प्यूटर में ब्लू फिल्म मिल गई। मैंने देखा कि चाची अपने किसी काम में बिजी थी तो मैंने सोचा कि गोवर्धनके आने तक ब्लू फिल्म देख लूं। वैसे भी मैंने बहुत दिनों से ब्लू फिल्म नहीं देखी थी। मैं उसके रूम का दरवाजा बंद करके ब्लू फिल्म देखने लगा। मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया।
मैं अपने लंड को लोअर के ऊपर से ही सहलाने लगा। फिर एकदम से चाची दरवाजा खोल कर अंदर आ गई और उन्होंने मुझे ब्लू फिल्म देखते हुए अपने लंड को हिलाते हुए देख लिया। उनके हाथ में चाय का कप था।
उन्होंने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर ऐसे रिएक्ट किया जैसे वो मेरी इस हरकत पर गुस्सा हो गई हो; वो चाय को रख कर वापस चली गई।
मैंने सोचा कि इससे पहले कि बात गोवर्धनतक पहुंचे मुझे कुछ करना चाहिए। अगर चाची ने मेरी यह हरकत गोवर्धनको बता दी तो शायद मैं गोवर्धनके घर पर भी नहीं आ पाऊँगा उसके बाद। इसलिए मैं चाची को सॉरी बोलने के लिए चला गया।
चाची रसोई में कुछ काम कर रही थी। जब उन्होंने मुड़ कर मुझे देखा तो वो नॉर्मल ही लगी।
फिर मैंने हिम्मत करके खुद ही कहा- चाची मुझसे गलती हो गई। मुझे ऐसी हरकत नहीं करनी चाहिए थी।
चाची बोली- कोई बात नहीं इस उम्र में लड़के ऐसे ही काम किया करते हैं।
मैं चाची की बात सुन कर हैरान था इसलिए मेरी हिम्मत और बढ़ गई। मैंने चाची की गांड को ताड़ना शुरू कर दिया और मेरा लंड वहीं पर ही खड़ा होने लगा। फिर पता नहीं क्या हुआ कि मैंने चाची की गांड को दबाने के लिए हाथ बढ़ाए लेकिन मैं डर के मारे रुक गया कहीं बात बिगड़ न जाये।
फिर चाची ने कहा- तुम यहां पर क्या कर रहे हो, बाहर हॉल में चले जाओ।
चाची मेरे लंड को देख रही थी। चाची ने एक बार मेरे लंड की तरफ देखा और फिर बोली- मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए लेकर आती हूं।
मैं निराश होकर बाहर चला गया।
फिर कुछ देर के बाद चाची चाय लेकर बाहर आ गई। वो मेरे सामने जब चाय का कप रखने के लिए झुकी तो मैंने चाची की चूचियों को देख लिया। मेरे मन में एक आह्ह सी निकल गई। चाची की चूचियों की दरार बहुत मस्त थी। चाची ने भी मुझे ऐसा करते हुए देख लिया था। फिर वो मेरे सामने ही बैठ गयी।
चाय पीते हुए चाची ने पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैंने चाची को कहा- मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।
मैंने कहा- चाची आप तो बहुत सुंदर हो। अगर मैं आपका पति होता तो … कहते हुए मैं रुक गया।
चाची बोली- क्या?
मैंने कहा- कुछ नहीं।
वो बोली- बता दो, कोई बात है तो।
मैंने कहा- चाची आप तो बहुत सुंदर हो। अगर मैं आपका पति होता तो आपको बहुत प्यार करता और आपको किसी बात की कमी नहीं होने देता।
चाची बोली- तुम्हें मैं इतनी पसंद हूँ क्या?
मैंने कहा- हाँ चाची!
कहते हुए मैं चाची के पास ही आकर बैठ गया।
चाची बोली- मेरे पति तो मुझमें बिल्कुल इंटरेस्ट नहीं लेते हैं। वो कभी मेरी तारीफ नहीं करते।
मैंने कहा- मैं तो आपको बहुत पसंद करता हूँ।
कहते हुए मैंने चाची की जांघ पर हाथ रख दिया। चाची ने मेरा हाथ हटा दिया और कहने लगी- मैं तुम्हारे दोस्त की मां हूँ। तुम्हें ये सब नहीं करना चाहिए।
लेकिन अब मुझसे नहीं रुका जा रहा था, मैंने चाची को अपनी बांहों में भर लिया और उनको किस करने की कोशिश करने लगा।
चाची मुझसे छुड़ाने की कोशिश करने लगी और कहने लगी- तुम उम्र में बहुत छोटे हो।
मैंने कहा- मैं कुछ नहीं जानता चाची। मैं तो आपको बहुत प्यार करता हूं। मैं बहुत दिनों से आपको ये बात कहना चाहता था लेकिन कह नहीं पा रहा था।
चाची मेरी बांहों में कसमसा रही थी। उनकी आंखों में हल्के से आंसू भी आ गये थे। मैंने चाची का मुंह अपनी तरफ किया और चाची को किस करने लगा।
कुछ देर तो वो छूटने की कोशिश करती रही लेकिन फिर थोड़ी सी देर के बाद वो भी मेरी चुम्मी का जवाब देने लगी। मैंने अपना हाथ उनकी कमर में डाल दिया। मैं उनको जोर से किस करने लगा। फिर मेरे हाथ उनकी छाती पर उनके बूब्स को टटोलने लगे।
लेकिन तभी गोवर्धनकी गाड़ी की आवाज आई और हम दोनों अलग हो गये।
चाची की आंखों में मुझे मायूसी साफ दिखाई दे रही थी। मुझे भी मजबूरी में चाची से अलग होकर अपने घर वापस जाना पड़ा।
उसके बाद हम दोनों को मिलने में एक हफ्ते से भी ज्यादा का समय लग गया।
चाची ने मुझे फोन पर ये बता दिया था कि गोवर्धनऔर उसके पापा दो दिन के लिए बाहर जायेंगे। इसलिए हम दोनों उसी दिन का इंतजार कर रहे थे। बहुत बेचैन रहा मैं इस दौरान चाची से मिलने के लिए।
फिर जिस दिन गोवर्धनऔर उसके पापा चले गये तो मैं चाची से मिलने के लिए उनके घर पर पहुंच गया। मुझे देखते ही चाची भी खुश हो गई।
हम दोनों ने जल्दी से दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। मैं जाते ही चाची को बांहों में लेकर किस करने लगा। दोनों को ही मजा आने लगा। चाची भी एंजॉय कर रही थी और साथ में हल्की सिसकारियां भी ले रही थी।
फिर मैंने चाची को वहीं रसोई के पास ही डिनर टेबल पर लिटा दिया और उनकी कुर्ती को निकाल दिया। मैं उनके बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा। फिर उनके पेट को किस करने लगा। उनकी नाभि को अपनी जीभ से चाटने लगा।
अब मुझसे भी रुका नहीं जा रहा था। मैं उनको किस करते हुए अपने कपड़े भी उतारने लगा। मैंने अपने पूरे कपड़े निकाल दिये। फिर मैं दोबारा से चाची को किस करने लगा। चाची लगातार ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’ की सिसकारियां अपने मुंह से निकाल रही थी।
मैंने उसके बाद चाची की सलवार भी निकाल दी और चाची की जांघों को चाटने लगा।
चाची की पैंटी को चूसने के बाद मैंने चाची की पैंटी भी निकाल कर अलग कर दी। उनकी बुर पर छोटे-छोटे बाल थे।
मैं वहीं पर घुटनों के बल बैठ गया और चाची की बुर को जीभ से चाटने लगा।
चाची मचलने लगी, वे बोली- क्या कर रहा है, इतनी गंदी जगह को इतनी मस्ती से क्यूं चाट रहा है।
मैंने कहा- चाची मुझे तो ये गंदी जगह पसंद है।
कह कर मैंने चाची की बुर में जीभ को अंदर डाल दिया तो चाची और तेजी के साथ सिसकारियां लेने लगी।
वो कहने लगी- मेरे पति कभी ऐसा नहीं करते। आज मुझे पहली बार इतना मजा आ रहा है। मैंने कभी अपनी बुर में इतना मजा महसूस नहीं किया था।
उसके बाद मैंने अपना अंडरवियर निकाल दिया और चाची के हाथ में अपना लंड दे दिया। चाची पहले से ही काफी गर्म हो गई थी। चाची ने मेरे लंड को तुरंत हाथ में पकड़ लिया और उसकी मुट्ठ मारने लगी। वो उसको प्यार से सहला रही थी।
मुझे भी मस्ती सी चढ़ी जा रही थी। मैंने चाची को अपना लंड मुंह में लेने के लिए कहा तो वो कहने लगी कि मुझसे लंड मुंह में नहीं लिया जायेगा। फिर मेरे बहुत कहने के बाद उन्होंने मेरे लंड को अपने मुंह में भी ले लिया।
दो मिनट तक चाची ने लंड चूसा और फिर बाहर निकाल लिया। उसके बाद वो कहने लगी कि बस इससे ज्यादा मैं नहीं कर पाऊंगी। मैं समझ गया कि चाची को उनके पति ने लंड चूसने की आदत नहीं लगाई है। अगर वो अपने पति का लंड भी चूसती तो मेरे लंड को बड़े ही मजे से चूस लेती। फिर मैंने चाची की जांघों को अपने हाथों से पकड़ कर खोल दिया और अपने लंड को चाची की बुर के बीच में लगा दिया।
लंड को बुर के बीच में लगा कर मैंने धक्का मारा तो चाची की सिसकारी निकल गई।
फिर मैंने चाची की बुर को चोदना शुरू कर दिया। चाची की बुर को चोदते हुए मुझे मजा आने लगा और चाची के मुंह से भी कामुक सिसकारियां निकलने लगीं।
चाची बोली- मैंने पूरे एक साल बाद लंड का स्वाद बुर में लिया है।
मैं चाची को पूरा मजा देते हुए उनकी बुर को चोदने लगा। चाची भी अपनी बुर को चुदवाने का पूरा मजा ले रही थी। मेरे धक्कों के साथ चाची के चूचे भी तेजी के साथ हिल रहे थे। चाची मस्त हो गई थी।
फिर मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी और चाची की बुर को दस मिनट तक लगातार चोदने के बाद मेरा माल निकलने को हो गया।
मैंने चाची से पूछा- मैं अपने माल को कहां पर निकालूं?
तो चाची कहने लगी- मेरी बुर में ही निकाल दो। मैं तुम्हारे माल को अपनी बुर में ही लेना चाहती हूं।
फिर मैंने दो धक्के लगाये और मेरे लंड का माल चाची की बुर में गिरने लगा। मैंने चाची की बुर को अपने माल से भर दिया। आज पहली बार मेरे लंड से इतना सारा माल निकला था। मैंने चाची की बुर में कई पिचकारी मारी और फिर मैं चाची के ऊपर ही लेट गया।
उसके बाद चाची ने मुझे प्यार से उठाया और हम दोनों बाथरूम में चले गये। वहां जाकर हम दोनों ने साथ में ही स्नान किया और चाची की बुर को मैंने अपने हाथों से ही साफ किया। चाची ने भी मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर धोया।
उस दिन चाची ने फिर मुझे खाना खिलाया और फिर रात को दोबारा आने के लिए कह दिया। इस तरह से दो दिन तक मैं और चाची ठुकाई का मजा लेते रहे।
चाची भी मुझसे खुश हो गई और बोली- अब तुम जब चाहो मेरे घर पर आकर मेरी बुर को चोद सकते हो। अब हमें जब भी मौका मिलता है हम दोनों ठुकाई का मजा लेते रहते हैं।