पड़ोस की जवान लड़की की प्यासी जवानी
प्यासी जवानी की ठुकाई कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपने दोस्त की 22 साल की सेक्सी बहन की कुंवारी चूत चोद कर उसकी सील तोड़ी।
दोस्तो नमस्कार! मेरा नाम राजेश राजपूत है। मैं श्रीनगर, का रहने वाला हूँ … पर अभी दिल्ली में अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ। मैं सेक्स कहानी का नियमित पाठक हूँ।
दोस्तो, मैं 24 साल का एक अच्छी कदकाठी वाला इंसान हूँ। मेरा क़द 5 फुट 11 इंच है और लंड 6 इंच लम्बा है, जो किसी भी उम्र की प्यासी जवानी, लड़की भाभी या चाची की चूत की आग बुझा सकता है।
सेक्स कहानी पर कहानियां पढ़ते-पढ़ते मैंने भी सोचा कि मैं भी अपनी जिंदगी की एक सेक्स कहानी आपके साथ शेयर करूँ।
मैं आपको सेक्स कहानी पर मेरी प्यासी जवानी की पहली सेक्स कहानी से आपके लंड और चूत को गीला करवाने का पूरा प्रयास करूंगा।
यह बात कुछ समय पहले की है। दिल्ली में मेरे फ़्लैट के पड़ोस में मेरा एक दोस्त था, उसका नाम असगर था। असगर मेरे पड़ोस में अपने परिवार के साथ रहता था। उसके परिवार में उसके मां पापा और उसकी 21 साल की बहन मैथिली रहती थी। ये मैथिली वही लड़की थी, जिसकी प्यासी जवानी का रस मैंने चखा था।
मैथिली की सुन्दरता और शरीर के बारे में कुछ भी कहने के लिए तो मेरे पास शब्द ही नहीं हैं, वह तो एक अप्सरा थी। उसके 36-28-36 के शरीर का पैमाना बड़ा ही दिलकश था। जब वह चलती थी, तो मानो क़यामत आ जाती थी। उसका रंग एकदम दूध सा गोरा और चेहरा अंडाकार था। तथा नैन नक्श बहुत ही तीखे थे।
मैथिली कॉलेज में बी।ए। के अंतिम वर्ष में पढ़ रही थी। उसके पापा का शहर से बाहर तबादला हो गया था, इसलिए घर में सिर्फ तीन ही लोग रहते थे।
मैं हमेशा से मैथिली की चूत का रसपान करना चाहता था और ख़ासकर तो उसकी गांड का तो दीवाना था। उसकी इस मदमस्त गांड के चर्चे तो पूरे मोहल्ले में थे। मैं भी उसकी जवानी का रस चूसने वाले उन फैन्स में से एक था जो उसकी प्यासी जवानी का रस पीना चाहते थे, उसकी गांड और चूत फाड़ना चाह रहे थे। किन्तु समस्या यह थी कि मैथिली मुझे भाईजान बोलती थी और उसके दिल में मेरे लिए कुछ नहीं था।
पर क़िस्मत मेरे साथ थी।
एक दिन मेरे पास दोपहर में मैथिली की मां का फ़ोन आया। चाची ने मुझे अपने घर पर बुलाया और जल्दी आने को कहा।
मैंने चाची से पूछा भी कि चाची ऐसी बात क्या हो गई कि मुझे आप अभी के अभी बुला रही हैं … सब ठीक तो है?
चाची ने बस इतना कहा- बेटा, तुम जल्दी से मेरे घर आ जाओ।
मैं जल्दी से उनके घर गया और अन्दर जाकर देखा तो असगर अपनी बहन मैथिली के साथ लड़ाई कर रहा था। मैं जैसे ही अन्दर घुसा, उसी समय उसने मैथिली पर हाथ उठा दिया और उसको बहुत गंदे तरीक़े से मारने लगा।
मैंने जल्दी से आगे बढ़ कर असगर को पकड़ा और उसे दूसरे कमरे में ले गया। मैंने उससे पूछा- आख़िर बात क्या हुई, अपनी बहन पर ही हाथ क्यों उठा रहा है?
वो गाली निकालते हुए बोला- ये साली होटल में एक लड़के से अपनी माँ चुदवा कर आ रही है।
ये सुनते ही मेरे पैरों तले से ज़मीन निकल गई। उधर असगर लगातार गाली निकालता जा रहा था।
फिर मैंने उससे कहा- एक बार चुप हो जा … मैं मैथिली से बात करता हूँ।
बहुत देर बाद वो चुप हुआ।
मैं मैथिली के पास गया और चाची, जो मैथिली के पास बैठे रो रही थीं, मैंने उनको वहां से उठा कर असगर के कमरे में भेज कर आया।
फिर मैं मैथिली के पास गया, तो वो रोते रोते मेरे गले लग गई। तब मैंने उससे ग़ुस्से में पूछा- बताओ क्या बात हुई?
मुझे ग़ुस्सा इसलिए आ रहा था क्योंकि वो किसी और को अपनी प्यासी जवानी का रस पिला चुकी है। किसी और से चुदवा कर आ रही थी।
तब मैथिली बोली- भाईजान मैंने कोई ग़लत काम नहीं किया। मैं होटल में अपनी सहेली के साथ उसके दोस्त से मिलने गई थी।
तो मैंने कहा- मैं इस बात पर कैसे विश्वास करूँ कि तुम सही हो?
वो बोली- अब मैं आपको कैसे विश्वास दिलाऊं?
उसकी बात सुनकर मुझे राहत मिली कि अभी इसकी सील सलामत हो सकती है।
मैंने उसके जिस्म पर हाथ फेर कर उसे सहलाते हुए चुप करने के बहाने मौक़े पर चौका मारा और कहा- वो तो मैं समय आने पर पता कर लूँगा।
उसके जिस्म को खूब सहला सहला कर मैंने चुप करवाया और उसका मोबाइल लेकर मैंने अपने नम्बर पर रिंग करके उसका नम्बर ले लिया।
फिर थोड़ी देर बाद जब माहौल थोड़ा ठीक हुआ, तो मैं और असगर मेरे घर आ गए। असगर मेरे घर में ही सो गया था।
मैंने मैथिली के नम्बर पर मैसेज किया, तो उससे मेरी बात शुरू हुई।
तो बात करते करते मैथिली बोली- अभी असगर भाईजान ने जब मुझ पर हाथ उठाया तो मुझे चोट लग गई।
मैंने पूछा- कहां लग गई?
वो बोली- वो मेरी ऐसी जगह पर लग गई है कि मैं आपको बता ही नहीं सकती।
मैंने कहा- बताओ … बताना तो पड़ेगा ही। … नहीं तो कोई दिक़्क़त भी हो सकती है।
वो डरते हुए बोली कि मेरी छाती पर धक्का लगा, तो मुझे वहां दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- मतलब तुम्हारे स्तन पर चोट लगी क्या?
वो हिचकिचाते हुए बोली- हां … उधर ही।
मैंने उससे डॉक्टर के पास चलने को कहा, तो उसने मना कर दिया।
मैंने कहा कि कुछ तो इलाज करवाना ही होगा … वो संवेदनशील जगह है।
इस पर वो कहने लगी- आप कोई दवा ला दो।
मैंने कहा कि मैंने तुम्हारी चोट कहां देखी है, जब तक मुझे मालूम ही नहीं होगा कि चोट किस जगह पर लगी है, तब तक मैं कैसे कोई दवा ला सकता हूँ।
चूंकि वो मुझे अपना सगा मान रही थी, तो बोली- अच्छा … आप आकर मेरी वो जगह देख लो।
ये सुनते ही मेरे लंड को अपनी मंज़िल दिखाई दी। मैंने असगर की तरफ देखा, वो अभी सो रहा था।
मैंने मैथिली को बोला- ठीक है मैं आ रहा हूँ।
वो बोली- हां आप आ जाओ, पर मां घर पर हैं।
मेरे लंड को तो उसके चुचे देखने की आग लग गई थी तो मैंने कहा- तुम मां से कुछ मत कहना। मैं आ रहा हूँ।
मैं उसके घर गया, तो देखा कि चाची तैयार होकर बाहर ही खड़ी थीं।
मैंने चाची से पूछा- अब मैथिली कैसी है? आप किधर जाने की तैयारी में हैं?
चाची बोलीं- बेटा तुम ही उससे बात करो … वो मेरे से तो बात ही नहीं कर रही है। मुझे जरूरी काम से मार्केट जाना है, जब तक मैं आ न जाऊं, तुम इसके पास ही रहना।
मैंने मन ही मन खुश होते हुए कहा- हां हां चाची आप आराम से जा कर आओ। मैं मैथिली के पास ही रहूँगा।
चाची ने तसल्ली से सांस ली और बाजार चली गईं।
अब मैं अन्दर आया, तो मैथिली अपने कमरे में गांड ऊपर करके सो रही थी।
मैंने उसकी गांड पर हल्के से हाथ लगाया, तो वो डर के मारे उछल गई। फिर मेरी तरफ़ देख कर बोली- ओह भाईजान आप!
तो मैंने कहा- हां … और चलो मुझे दिखाओ कहां लगी है?
वो बोली- अभी मां हैं।
मैंने बताया कि मां तो मार्केट चली गई हैं।
वो बोली- मुझे शर्म आ रही है।
तो मैंने कहा- मैं देख ही रहा हूँ … खा नहीं रहा हूँ।
वो हंस दी और बोली- अगर खा गए तो!
ये सुन कर मुझे लगा कि ये प्यासी जवानी ख़ुद मुझसे चुदना चाह रही है। अब मैंने अपना एक हाथ सीधा उसके चूचों पर रख कर एक चूचा मसल दिया।
तो उसकी सिसकारी निकल गई। वो बोली- आह … आराम से … मुझे दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- रूको … अभी सब दर्द सही कर देता हूँ।
ये कह कर मैंने उसकी टी-शर्ट ऊपर कर दी। उसने नीचे काले रंग की ब्रा पहन रखी थी। मैं उसके मम्मों को देखते ही पागल हो गया और मेरा लंड अकड़ कर दर्द करने लगा।
उसको मेरी पेंट के ऊपर से मेरा लंड खड़ा होता महसूस हुआ और उसकी आंखों में प्यासी जवानी का नशा दिखने लगा। अब वो मादक स्वर में बोली- अब जल्दी से देखो और मेरा दर्द ठीक करो।
मैंने मैथिली की ब्रा को हटा कर देखा, तो मैं पागल हो गया कि क्या चुचे थे … एकदम गोरे और उन पर हल्के चॉकलेटी रंग के निप्पल एकदम कड़क टंके से दिख रहे थे।
मैंने कहा- मैं गर्म तेल से इनकी मालिश कर देता हूँ, तो दर्द ठीक हो जाएगा।
उसने कहा- आप मुझे कोई दवा ला दो … मैं आपसे तेल मालिश नहीं करवा सकती।
तो मैंने पूछा- क्यों?
वो नखरे दिखाते हुए बोली- मुझे शर्म आती है।
मैंने कहा- अब तो मैंने देख भी लिए है … इसलिए समय ख़राब मत करो … चाची के आने से पहले कर सब दर्द दूर कर देता हूँ।
वो कुछ नहीं बोली।
मैं रसोई में जाकर तेल गर्म करके ले आया।
मैंने उसको सीधा लेटने के लिए कहा, वह थोड़े से वासना से भरे चेहरे के साथ सीधा लेट गई। मेरा लंड पूरे परवान पर था, क्योंकि इसका मैथिली की प्यासी जवानी चखने का सपना जो पूरा होने वाला था।
अब मैंने उसको टी-शर्ट पूरी उतारने के लिए कहा। वो कुछ नहीं बोली, तो मैंने ख़ुद उसकी टी-शर्ट उतार दी। वह काली ब्रा में क़हर ढा रही थी। मैंने उसको आंख बन्द करने के लिए कहा, तो वह आंख बंद करके लेट गई।
मैंने ज़्यादा समय ख़राब ना करते हुए उसकी ब्रा हटा दी और तेल हाथ में लेकर मालिश शुरू कर दी। मैंने धीरे धीरे चूचों पर तेल लगाना शुरू किया और बीच बीच में मैंने निप्पल दबा दिए। मेरे निप्पल दबाते ही मैथिली ने सिसकारी लेना शुरू कर दी। मैथिली अपनी आंख बन्द कर होंठों को दबा कर अपनी प्यासी जवानी को काबू में रखने की कोशिश कर रही थी।
अब मैं समझ चुका था कि लोहा गर्म हो गया है, हथौड़ा की जगह लौड़ा मार देने में ही कुशल मंगल है। मैंने उसकी दोनों निप्पल मींजते हुए उससे पूछा- अब कैसा लग रहा है?
मैथिली मादक स्वर में बोली- उंह … बहुत अच्छा … आप ऊपर सहला रहे हो और मुझे नीचे की तरफ़ गुदगुदी हो रही है।
मैंने पूछा- मैं नीचे भी कर दूँ?
इस पर वो जो बोली, उस पर मुझे यक़ीन ही नहीं हुआ। वह बोली- कर दो और देख कर पता कर लो कि मैंने आज होटल में कुछ किया है या नहीं।
तब मैं बोला- वह देखकर नहीं मालूम किया जा सकता, उसे चैक करने के लिए कुछ करना पड़ेगा, तभी पता चलेगा।
तो मैथिली बोली कि जो भी करना हो, कर लो … पर मेरी नीचे की खुजली ठीक कर दो।
मैं समझ गया कि इसकी प्यासी जवानी ठुकाई के लिए तड़प रही है।
तब मैंने कहा- पहले तुम चाची से बात करो और मैं असगर से बात करता हूँ कि वो कितनी देर में आ रहे हैं।
मैंने असगर को फोन लगाया, पर उसने फ़ोन नहीं उठाया। उधर चाची ने बोला कि उनको आने अभी दो घंटे का समय लगेगा।
तब मैंने समय ख़राब नहीं करते हुए उसका लोअर उतार दिया। मैथिली ने नीचे काली पैन्टी पहन रखी थी और वो गीली हो रखी थी। मैंने उसकी पेन्टी हटा दी और अपना मुँह उसकी चूत पर रख कर चूत चाटने लगा।
मैथिली की काम वासना एकदम से भड़क उठी और कमरे में उसकी मादक सीत्कारें गूंजने लगीं। मैंने अपनी पूरी जीभ उसकी गीली चूत में अन्दर तक कर दी। कुछ ही देर में मैथिली का पानी निकलने लगा और मैंने वहां से मुँह हटा कर सीधा उसके मुँह से लगा दिया। अब मैं उसके मुँह को चूसने लगा। मैथिली भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।
अब मैंने मेरा लंड बाहर निकाल कर उसके मुँह में देना चाहा, तो एक बार तो उसने मना कर दिया। पर जब मैंने ज़ोर देकर कहा, तो उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। कुछ ही पलों बाद हम दोनों 69 की पोज़ीशन में आ गए। अब हम दोनों एक दूसरे के चूत लंड को चाट रहे थे।
कुछ देर बाद वह बोली- अब नीचे आग लग रही है … बुझा दो प्लीज़।
मैंने लंड उसकी पावरोटी जैसे चूत पर रखकर अन्दर कर रहा था, तो उसको दर्द हो रहा था। उसने दर्द सहन करते हुए अपनी आंखें बन्द कर रखी थीं।
तभी मैंने एक ही झटके में मेरा आधा लंड चूत की गहराई में उतार दिया और उधर से मैथिली की चीख़ निकल गई ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’
मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया और धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा। मैंने लंड की तरफ नजर दौड़ाई, तो पता चला कि मेरा लंड खून से सना हुआ था। खून आने की वजह से चूत में कुछ गीलापन हो गया था और मेरा लंड आसानी से अन्दर बाहर होने लगा था।
अब मैथिली बोली- देख लिया न कि मैंने होटल में कुछ गलत नहीं किया था।
मैं और जोश में आकर उसे चोदने लगा। मैथिली भी अब मेरा पूरा साथ दे रही थी।
दस मिनट बाद मैंने मैथिली से घोड़ी बनने के लिए कहा, जिससे कि मैं उसकी गांड के दर्शन कर सकूं। वो झट से घोड़ी बन गई। मैंने पीछे से लंड चूत में डाल दिया और चोदने लगा। इसी बीच मैथिली का पानी निकल गया और वह थक कर नीचे लेट गई। मैंने वापस से अपना लंड चूत में डाल दिया और चोदने लगा।
मुझे मैथिली को चोदते हुए आधा घन्टा हो चुका था और मैं उसे अब भी चोद रहा था। मुझे लगा कि आज के लिए इतना बहुत होगा … क्योंकि चाची और असगर कभी भी आ सकते थे।
मैंने लंड चूत से निकाल कर मैथिली के मुँह में दे दिया और मैथिली भी ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी। मैं अब अपने रस को रोक नहीं सका और ‘आई लव यू जान।।’ बोलते हुआ मैंने पूरा लंडरस मैथिली के मुँह में निकाल दिया। झड़ने के बाद मैं उसके ऊपर ही ढेर हो गया।
तभी बाहर गेट पर चाची की आवाज़ सुनाई दी, तो हम दोनों जल्दी से उठे और कपड़े पहने। मैंने देखा कि चादर ख़राब हो गई थी, तो हमें लगा कि आज तो मर गए।
तभी मैंने बाहर जाकर चाची को बातों में लगा लिया और मैथिली ने चादर बदल दी।
बाद में मैंने मैथिली से फोन से पूछा- अब दर्द कैसा है?
वो बोली- वो दर्द तो ठीक है, पर आपने दूसरा दर्द दे दिया है।
मैं हंस दिया और उससे कहा- तेरी प्यासी जवानी इलाज तो जब चाहे हो जाएगा। जब इंजेक्शन लगवाना हो, तो मेरे घर आ जाया करो या मुझे बुला लिया करो, मैं दर्द सही कर दूंगा।
इस तरह मैंने मैथिली का दर्द ख़त्म कर दिया। मैं अभी भी मैथिली को चोदता हूँ और अब तो मैंने उसकी गांड का भोग भी कर लिया। एक रहस्य की बात ये भी है कि मैंने मैथिली की मां को भी चोद लिया है। मैं अगली बार में मैथिली की गांड कैसे मारी की ठुकाई की कहानी लेकर आपसे मुखातिब होऊंगा।