सविता मामी के साथ सेक्स कहानी
मैंने अपनी सविता मामी की ठुकाई अपने ही घर में की। रिश्तेदारी लगती में सविता मामी हमारे घर आई । एक दिन सविता मामी का पैर फिसला, मैंने उनकी मदद की।
दोस्तो, ये मेरी
पहली कहानी है।
मैं आशा करता
हूं कि आपको
मेरी यह कहानी
पसंद आयेगी। अगर
कहानी में कोई
गलती हो जाये
तो मैं आप
लोगों से पहले
ही माफी चाहता
हूं। अब मैं
अपनी पहली कहानी
शुरू करता हूं।
मेरा नाम उमेश
है और मैं
दिल्ली में रहता
हूं। मेरी जॉब
एक कंपनी में
है। मैं उस
कंपनी में इंजीनियर
की पोस्ट पर
काम करता हूं।
मेरे लंड का
साइज करीबन सात
इंच का है।
यह बात कुछ
साल पहले तब
की है जब
मैं मात्र 19 साल का
था। आप समझ
सकते हैं कि
मैंने उस वक्त
अपनी जवानी में
कदम रखा ही
था। उस वक्त
मुझे सेक्स के
बारे में ज्यादा
नॉलेज नहीं थी।
यह कहानी मेरी
और मेरी सविता
मामी के
बारे में है।
वो मेरी सगी
सविता मामी
नहीं थी लेकिन
रिश्तेदारी
में मेरी सविता
मामी ही
लगती थी। उसका
नाम नीलू था
और वो भी
दिल्ली में अपने
परिवार के साथ
ही रहती थी।
वो देखने में
भी काफी सुंदर
थी।
सविता मामी
के चूचों का
साइज ज्यादा बड़ा
तो नहीं था
लेकिन उसके चूचे
देखने में संतरे
के आकार के
लगते थे। उन
संतरों के रस
को पीने के
लिए मेरे मन
में भी तरंग
उठ जाती थी।
एक बार ऐसा
हुआ कि वो
हमारे घर पर
आई हुई थी।
मेरी मां ने
उसको बुलाया था।
मेरी मां को
दीदी के घर
पर जाना था
सात दिनों के
लिये। दीदी चंडीगढ़
में रहती थी।
घर पर खाना
बनाने के लिए
कोई नहीं था
इसलिए नीलू सविता
मामी को
ही बुला लिया
था हमने। जब
वो हमारे घर
पर आई तो
मैंने उन पर
इतना गौर नहीं
किया।
उनके आने के
बाद मां ने
पैकिंग करनी शुरू
कर दी और
मैंने भी मां
का हाथ बंटाया।
उस वक्त मैंने
नीलू सविता मामी पर ज्यादा
ध्यान नहीं दिया
था क्योंकि मैं मां
के साथ बिज़ी
हो गया था।
नीलू सविता मामी रसोई में
काम करने के
लिए चली गई
थी। फिर सारी
पैकिंग होने के
बाद हम लोग
शाम का खाना
खाने के बाद
सो गये थे।
उस रात को
मां और सविता
मामी की
ही बात हुई।
मेरी बात सविता
मामी से
नहीं हो पाई।
फिर अगले दिन
मैं मां को
लेकर रेलवे स्टेशन
पर चला गया।
मैंने फिर वहीं
से मैट्रो ले
ली और अपने
काम पर चला
गया।
मैं आपको अपने
घर के बारे
में तो बताना
भूल ही गया।
कहानी को आगे
बढ़ाने से पहले
मैं आपको अपने
घर के बारे
में बता देता
हूं ताकि आपको
कहानी को समझने
में ज्यादा आसानी
हो सके। हमारा
घर दो मंजिल
का है। नीचे
वाले फ्लोर को
हमने किराये पर
दिया हुआ है
और ऊपर वाले
फ्लोर पर हम
खुद रहते हैं।
ऊपर वाले फ्लोर
पर हमारे दो
रूम हैं जिसमें
एक रूम में
माँ और पापा
रहते हैं और
दूसरे रूम में
मैं खुद रहता
हूं।
चूंकि अब मां
चली गई थी
तो पापा को
एक रूम में
सोना था। सविता
मामी और
मुझे दूसरे रूम
में यानि कि
मेरे रूम में
सोना था। मेरे
रूम में हमने
दो बेड लगा
रखे थे। अगर
घर पर कोई
मेहमान आता था
तो वह मेरे
रूम में ही
रुकता था क्योंकि
दूसरा रूम तो
मां और पापा
के लिए था।
इसलिए नीलू सविता
मामी को
भी मेरे ही
रूम में रहना
था।
उस वक्त ठंड
का मौसम चल
रहा था। दिल्ली
में काफी ठंड
पड़ती है। उस
दिन जब मैं
शाम को घर
लौटा तो सविता
मामी बाथरूम
में नहा रही
थी। मैं अपने
लिये चाय बनाने
लगा। रसोई में
जाकर मैंने चाय
बना ली और
फिर अपने कमरे
में आ गया।
सविता मामी
को नहीं पता
था कि मैं
घर पर आ
चुका हूं। जब
मैं रूम में
आया तो देखा
कि सविता मामी ब्रा और
पेंटी में ही
बाहर आ रही
थी। मेरी नज़र
उस पर पड़ी।
सविता मामी
ठंड के मारे
कांप रही थी।
उसकी नजर जब
मुझ पर पड़ी
तो एकदम से
घबरा गई और
वापस से बाथरूम
की तरफ भागने
की कोशिश करने
लगी।
इसी कोशिश में
नीलू सविता मामी का पैर
फिसल गया क्योंकि
अभी सविता मामी के गीले
बदन से पानी
टपक रहा था।
इस वजब से
उनका फर्श पर
सविता मामी
का पैर फिसल
गया था। वो
नीचे फर्श पर
गिर गई।
मैं उनको उठ
कर रोकने के
लिए दौड़ा लेकिन
वो तब तक
गिर गई थी।
फिर मैंने उनको
उठाने की कोशिश
की तो वो
शर्म से एकदम
लाल हो गई
थी। उनको उठाते
हुए पता चला
कि सविता मामी के पैर
में मोच आ
गई है। सविता
मामी ने
एक दो बार
उठने की कोशिश
की लेकिन उनसे
नहीं उठा गया।
फिर मैं उनको
गोद में उठाने
लगा। मैं उठा
कर सविता मामी को बेड
पर लेटाने लगा
तो मेरा हाथ
सविता मामी
के चूचों पर
लग गया। सविता
मामी के
चूचे पर हाथ
लगते ही मेरे
बदन में करंट
सा दौड़ गया।
मगर सविता मामी ने कुछ
नहीं बोला वो
बस नीचे देख
रही थी।
फिर मैं वहां
से दूसरे रूम
में आ गया।
तभी पापा भी
आ गये। पापा
और मैं दोनों
ही बैठ कर
टीवी देखने लगे।
हॉल में टीवी
रखा हुआ था
और वहीं पर
साथ में रसोई
भी था। पापा
के आने के
बाद सविता मामी कपड़े पहन
कर रसोई में
जाने लगी।
मैंने कहा- मैं आज
का खाना बाहर
से मंगवा लेता
हूं। क्योंकि सविता मामी, आपके पैर
में मोच आ
गई है।
लेकिन सविता मामी ने कहा
कि वो ठीक
है और खाना
बना लेगी।
फिर पापा भी
पूछने लगे कि
क्या बात हो
गई है।
मैंने पापा को
बताया कि सविता
मामी का
पैर बाथरूम के
बाहर फिसल गया
था। फिसल कर
गिरने से सविता
मामी के
पैर में मोच
आ गई थी।
पापा ने मुझसे
कहा- उमेश, तुम सविता
मामी के
पैर में मालिश
कर देना।
मैंने कहा- ठीक है
पापा।
पापा ने कहा-
आज का खाना
बाहर से मंगवा
लेते हैं।
पापा के कहने
के बाद सविता
मामी भी
मान गई मैंने
खाना बाहर से
मंगवा लिया। हम
तीनों ने साथ
में बैठ कर
डिनर किया। उसके
बाद हम सोने
की तैयारी करने
लगे।
सोने से पहले
सविता मामी
ने मुझे याद
दिलाया कि पापा
ने मालिश करने
के लिए कहा
था। मैं भी
भूल ही गया
था कि मुझे
मालिश करने के
लिए बोला था
पापा ने। फिर
मैं मूव लेकर
आ गया। सविता
मामी मुस्करा
रही थी। लेकिन
साथ में थोड़ा
शरमा भी रही
थी।
अब सविता मामी ने बताया
कि उनके पैर
के साथ साथ
उनकी कमर ने
भी चोट लगी
है। सविता मामी ने मुझे
कमर में दवाई
लगाने को कहा।
सविता मामी
की
ठुकाई
की
शुरुआत
मैंने सविता मामी को टी-शर्ट ऊपर
करने के लिए
कहा। वो पेट
के बल लेट
गयी। मैंने ट्यूब
से मूव निकाली
और सविता मामी की कमर
में मालिश करने
लगा क्योंकि सविता मामी की कमर
में भी दर्द
हो रहा था।
मालिश करते हुए
मेरी उंगली सविता
मामी की
गांड पर जा
रही थी।
मेरे लंड में
तनाव आने लगा
था और मैं
जान बूझ कर
सविता मामी
की गांड के
छेद तक पहुंचने
की कोशिश करने
लगा। फिर एक
दो बार सविता
मामी की
गांड के करीब
पहुंच कर मैंने
उंगली वहां पर
टच की तो
सविता मामी
ने और आगे
मालिश करने के
लिए मना कर
दिया।
हम दोनों उसके
बाद अपने अपने
बेड पर सो
गये।
सुबह उठ कर
सविता मामी
नाश्ता बनाने के
लिए चली गई।
जब मैं नाश्ता
करने के लिए
आया तो मुझे
महसूस हुआ कि
सविता मामी
मुझे चोर नजरों
से देख रही
थी। उसके बाद
मैंने नाश्ता किया
और फिर मैं
अपने काम पर
चला गया।
फिर मैं शाम
को ही वापस
आया। उस वक्त
तक पापा भी
नहीं आये थे।
मैं रूम में
जाकर टीवी देखने
लगा।
मगर तभी सविता
मामी तौलिया
लपेटे हुए बाहर
आ रही थी।
सविता मामी
ने मुझे देख
कर स्माइल की
और फिर अपने
कपड़े लेकर दूसरे
रूम में चली
गई। फिर उस
रात को भी
हमने खाना खाया
और सोने लगा।
रात के 12 बजे महसूस
हुआ कि कोई
मेरे बदन से
पकड़ कर मुझे
हिला रहा है।
मेरी आंख खुली
तो देखा कि
सविता मामी
मुझे उठा रही
थी।
मैंने पूछा तो
सविता मामी
ने बताया कि
उनको ठंड लग
रही है। सविता
मामी ने
कहा कि उनको
मेरे पास ही
सोना है। मैंने
सविता मामी
को मेरे बिस्तर
पर आने के
लिए कह दिया
और हम साथ
में सोने लगे।
सविता मामी
की गांड मेरी
तरफ थी।
अब मेरे मन
में वही सीन
चल रहा था
जब मैंने सविता
मामी को
ब्रा और पैंटी
में देखा था।
मेरा लंड खड़ा
होने लगा था।
मैंने धीरे से
अपने हाथ को
सविता मामी
की छाती के
आगे ले जाकर
उनकी चूची पर
रख दिया।
मेरे हाथ रखे
जाने पर भी
सविता मामी
ने कुछ नहीं
कहा। फिर मैंने
चेक करने के
लिए सविता मामी के चूचे
को दबा कर
देखा। तब भी
सविता मामी
ने कुछ नहीं
कहा। मुझे नहीं
पता था कि
सविता मामी
सच में सो
रही थी या
फिर वो यह
सब नाटक रही
थी।
अब मुझसे रुका
नहीं जा रहा
था। मैंने सविता
मामी के
चूचे को दबाया
तो मेरा लंड
पूरा खड़ा हो
गया।
मैंने सविता मामी की गांड
पर अपना लंड
लगा दिया। फिर
सविता मामी
ने करवट बदली
और सीधी हो
गई। अब मैं
आसानी से सविता
मामी के
चूचे दबा सकता
था। मैं अब
जोर से सविता
मामी के
चूचों को दबाने
लगा तो वो
सिसकने लगी और
बोली- ऐसे नहीं
दबाते बुद्धू।
मैं सविता मामी की बात
सुन कर हैरान
हो गया। वो
नींद में नहीं
थी।
फिर सविता मामी ने मेरा
हाथ पकड़ कर
आराम से अपने
चूचे पर रखवाया
और दबवाने लगी।
उनका एक हाथ
मेरे लंड को
टटोलते हुए मेरे
लंड को सहलाने
लगा। अब हम
दोनों ही गर्म
हो चुके थे।
सविता मामी
कहने लगी कि
जब से मैंने
तुमको छुआ है
तब से ही
मैं तुमसे चुदने
के लिए बेचैन
हो गई थी।
यह कह कर
सविता मामी
ने मुझे किस
करना शुरू कर
दिया।
मैने भी सविता
मामी की
चूत पर हाथ
रख दिया और
फिर सविता मामी की चूत
को मसलने लगा।
सविता मामी
की ठुकाई अब
निश्चित
थी।
सविता मामी
भी जोर से
मेरे लंड को
पकड़ कर मसलने
लगी। फिर मैंने
सविता मामी
के टी शर्ट
को निकाल दिया
और सविता मामी ने ब्रा
भी नहीं पहनी
हुई थी। मैंने
एकदम से उसके
चूचे को अपने
हाथ में भर
लिया और चूसने
लगा। सविता मामी के कोमल
चूचे बहुत मजा
दे रहे थे।
उसके मुंह से
सिसकारी
निकलने लगी थी।
फिर मैंने सविता
मामी की
पैंटी को भी
निकाल दिया। सविता
मामी की
चूत पर रेशम
जैसे छोटे बाल
थे। मैंने सविता
मामी की
चूत पर हाथ
लगाया तो वो
तड़पने लगी।
कुछ ही देर
में सविता मामी की चूत
गीली होने लगी।
फिर वो कहने
लगी- जल्दी कुछ
करो। अब रुका
नहीं जा रहा
है।
मैं समझ गया
कि सविता मामी अब मेरा
लंड लेने के
लिए पूरी गर्म
हो चुकी है।
मैं भी सविता
मामी की
चूत में अपना
लंड डालने के
लिए मचल उठा
था।
मगर उससे पहले
मैं सविता मामी की चूत
को चाटना चाह
रहा था। मैंने
उठ कर सविता
मामी की
चूत को चूसना
शुरू कर दिया
और वो तेजी
से सिसकारियां लेने लगी
‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’
मुझे डर लग
रहा था कि
कहीं सविता मामी की आवाज
दूसरे कमरे में
पापा के पास
न चली जाये।
मैंने कहा कि
सविता मामी
आराम से आवाज
करो।
वो कहने लगी
कि मुझे बहुत
मजा आ रहा
है इसलिए अब
रुका नहीं जा
रहा।
मैंने फिर अपनी
जीभ को सविता
मामी की
चूत से निकाल
लिया और सविता
मामी से
कहा कि जैसे
मैंने चूत में
किया है आप
भी मेरे लंड
को चूस लो।
मैंने लंड सविता
मामी के
हाथ में दे
दिया। वो मेरे
लंड को चूसने
लगी और दो
तीन मिनट में
ही मेरा पानी
निकल गया।
फिर हम दोनों
किस करते रहे।
सविता मामी
ने बताया कि
तुम्हारा
लंड तो बहुत
मोटा है। मैंने
कहा कि इसको
लेने में आपको
बहुत मजा आयेगा।
फिर हम दोनों
किस करने लगे।
पांच मिनट के
बाद मेरा लंड
फिर से खड़ा
हो गया। उठ
कर मैंने सविता
मामी की
चूत पर एक
किस किया और
फिर मैंने उसकी
टांगों को चौड़ी
कर दिया और
सविता मामी
की चूत में
लंड को डाल
दिया।
वो मछली की
तरह तड़प उठी।
मैंने सविता मामी के चूचों
में मुंह दे
दिया और सविता
मामी की
चूत में धक्के
देने लगा। सविता
मामी मेरे
बालों को सहलाने
लगी।
सविता मामी
की चूत में
लंड देकर मुझे
बहुत मजा आ
रहा था। मैंने
सविता मामी
की चूत में
तेजी से धक्के
मारने शुरू कर
दिये। सविता मामी झड़ गई
और वो ढीली
हो गई लेकिन
मैंने ठुकाई जारी
रखी।
ठुकाई करते हुए
सविता मामी
दूसरी बार गर्म
हो गई और
फिर से मेरा
साथ देने लगी।
अब मुझे सविता
मामी की
ठुकाई करते हुए
तीस मिनट हो
गये थे। फिर
मेरा पानी भी
निकलने वाला था।
मैंने सविता मामी की चूत
में अपना माल
गिरा दिया और
मैं शांत हो
गया।
फिर हम दोनों
साथ में लेट
क12lर किस करने
लगे।
उस रात को
मैं और सविता
मामी नंगे
ही सोये। फिर
पूरे सात दिनों
तक मैंने नीलू
सविता मामी
की ठुकाई की।
सविता मामी
मुझसे प्यार करने
लगी थी। जब
तक सविता मामी घर में
रही हम दोनों
ने ठुकाई के
मजे लिये। फिर
वो चली गई।
दोस्तो, आपको मेरी सविता मामी की ठुकाई की कहानी पसंद आई या नहीं … मुझे बताना।