आंटी को घोड़ी बनाकर पेला
भतीजा आंटी सेक्स स्टोरी पढ़ कर मुझे भी लगा कि मैं अपनी आंटी की चूत बिहार कर सकता हूँ क्योंकि अंकल बहार रहते हैं तो आंटी की कामवासना तृप्त करने के लिए कोई लंड नहीं था।
मेरा नाम अंशू है। मैं बिहार का रहने वाला हूं। मेरे परिवार में कुल 6 लोग हैं। मेरे पापा बैंक में काम करते हैं। मैं सबसे छोटा हूँ। मुझसे बड़े दो अंकल दो बहनें हैं।
मेरे बड़े भैया की शादी हो गयी है। वो आर्मी में हैं। मेरी आंटी का नाम प्रिया है। मेरी आंटी बहुत ही सुंदर है। वो थोड़ा शांत स्वभाव की है। आंटी सेक्स स्टोरी, चाची सेक्स कहानी पढ़ने के कारण मैंने भी सोचा कि अब मैं भी परिवार में किसी न किसी को चोद दूँ।
अब परिवार में मेरा देखने का नजरिया बदल गया था। मुझे आंटी बहन और माँ सब की सब मुझे माल लगने लगी थीं।
ये पिछले साल की बात है। मेरे दोस्त का नाम चंदन है। चंदन ने एक बार मजाक में कहा था कि साले तू अपनी आंटी को पटा ले … फिर उसे जब चाहे, तब चोद सकता है।
मैंने भी मन ही मन सोचा कि बड़े भैया की नौकरी बाहर होने के कारण प्रिया आंटी को भैया का ज्यादा साथ नहीं मिल पाता था। इससे शायद आंटी प्यासी हैं। ये सब सोचते ही अब मुझे भी आंटी को चोदने का मन बन गया।
अब मैं आप सभी को थोड़ा अपनी प्रिया आंटी के बारे में बता देता हूँ। मेरी आंटी बहुत ही सुंदर हैं। उनकी चूचियां बड़ी लाजवाब हैं। एकदम पके आम सी तनी हैं।
एक दिन की बात है। आंटी बाहर बरामदे में कुर्सी पर बैठी थीं … तभी उनका फोन बजा। वो जैसे ही फोन लेने उठीं, उनका साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया और मैंने पहली बार उनकी चूची का थोड़ा सा हिस्सा देख लिया। मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया। मेरा प्रिया आंटी की चूचियां पीने और दबाने का मन करने लगा।
आंटी ने भी मुझे उस तरह से देखते हुए देख लिया और बगल में रखे फोन को लेकर रूम में चली गईं। घर में सबसे छोटा होने के नाते आंटी मुझे बहुत ही प्यार करती थीं। हालंकि आज उन्होंने जब मुझे अपनी चूचियां देखते हुए पकड़ लिया, तो शायद वे मेरे जवान होने के अहसास से कुछ सोचने लगी थीं।
अब मुझे सिर्फ आंटी को कैसे पेला जाए, यही दिख रहा था। मैं आंटी को चोदने को लेकर ही सोचता रहता था। लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि आगे कुछ करूं।
मेरी आंटी का सबसे अच्छा अंग, उनकी चूची और उनकी पतली कमर थी। मैंने बहुत बार कोशिश की कि उनकी चूची को दबा दूँ, लेकिन न मौका मिला और न हिम्मत हुई और मैं आंटी की चूचियां न दबा सका।
फिर लगभग 3 महीने बाद घर में एक छोटा सा कार्यक्रम था। कुछ लोग रिश्तेदारी से औऱ उनके मायके के लोग भी आए थे।
उस दिन आंटी रसोई में अकेली ही खाना बना रही थीं। मैंने सोचा यही सही मौका है कि कुछ ऐसा काम करूं कि आंटी को बुरा भी न लगे … और बात भी बन जाए।
मैं रसोई में गया और जानबूझ कर फिसल गया। आंटी मुझे फिसलते देखकर आगे बढ़ीं और मुझे सहारा देकर उठाने लगीं। मैंने उनके आगे से उनके कंधे को पकड़ा और तुरंत ही एक हाथ से उनकी चूची को टच करके दबा दिया।
मेरी हरकत पर आंटी कुछ न बोलीं, बस उन्होंने पूछा- चोट तो नहीं लगी?
मैंने ‘नहीं …’ में उत्तर दिया और वहां से बाहर आ गया।
आज उनकी चूची का स्पर्श पाकर मुझे बड़ा ही सुखद अहसास हुआ था। इससे मेरी थोड़ी हिम्मत भी बढ़ गयी थी।
दो दिनों के बाद आंटी जब सो रही थीं, तभी इनवर्टर की बैटरी डिस्चार्ज हो गई। गर्मी का महीना होने के कारण गर्मी भी बहुत अधिक थी। वो गर्मी के कारण ऊपर छत पर सोने आ गयी और मेरे बगल में चटाई बिछाकर सो गईं।
मैंने सोचा कि इससे अच्छा मौका मुझे नहीं मिलेगा। मेरे बगल में ही मेरी बहन और मम्मी भी सो रही थीं।
कुछ समय के बाद मैंने देखा कि जब सभी लोग सो गए। मैं अपनी चटाई को खिसका कर आंटी के पास ले गया। मैंने अपना हाथ बढ़ाकर आंटी के पेट रख दिया। जब उनकी तरफ से कोई विरोध नहीं हुआ। तो कुछ मिनट बाद मैंने आंटी की चूची पर हाथ रख कर धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया।
उनकी चूचियां इतनी नर्म थीं कि क्या बताऊं।
कुछ मिनट तक आंटी के मम्मे दबाने के बाद मैंने उनके होंठ को चूमा। लेकिन तभी वो जाग गईं, मैं डर गया और एकदम से सोने का नाटक करने लगा।
आंटी ने मुझे देखा और कुछ न कहते हुए वे उठकर पेशाब करने के लिए बगल में चली गईं। ये मैंने आंख खोल कर देखा।
जैसे ही आंटी ने मूतने के लिए अपनी साड़ी उठायी, तो उनकी गोरी गोरी गांड को देखकर मुँह से आह निकल गई।
आंटी फिर से आकर सो गईं। लेकिन मेरा हाल खराब हो गया था।
जब मैंने मोबाईल में टाइम देखा, तो एक बज रहे थे। मैंने सोचा कि अब कुछ भी हो जाए … आज कुछ करना ही है।
कुछ ही मिनट बाद मैंने अपना हाथ आंटी के पेट रखा, लेकिन मुझे लगा कि आंटी जाग रही थीं।
थोड़ी हिम्मत करके मैं अपना हाथ आंटी की जांघ पर ले गया और उनकी साड़ी को ऊपर की ओर खींचने लगा।
तभी आंटी बैठ गईं और मैंने अपना हाथ उसी जगह पर रखा छोड़ दिया। मैं अन्दर ही अन्दर डरने लगा कि आंटी अब पता नहीं क्या करेंगी।
लेकिन आंटी ने कुछ नहीं कहा और लेट गयीं। मेरा डर अब ख़त्म हो गया। आंटी के लेटते ही मैंने तुरंत ही अपना हाथ चूची पर ले गया और जोर जोर से दबाने लगा।
आंटी की सीत्कार निकलने लगी थी। मैंने आंटी के कान में कहा कि मुझे आपकी चूची पीनी है … और मैं जानता हूं कि आप जाग रही हैं।
उनकी तरफ से कुछ भी जबाव नहीं आया, तो मैंने ये उनकी स्वीकृति मान ली।
फिर मैं बेख़ौफ़ होकर आंटी के ब्लाउज को खोलने लगा।
आंटी धीरे से बोलीं- इस समय नहीं … कल पी लेना।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं आंटी से लिपट गया और उनके प्यारे होंठों को चूसने लगा। आंटी भी मेरे साथ चूमाचाटी का मजा लेने लगी थीं। कोई दस मिनट तक आंटी के होंठ चूसने के बाद मैंने तुरन्त ही एक हाथ आंटी की पेंटी में डाल दिया। मैं उनकी चुत में उंगली डालने लगा।
आंटी धीरे धीरे आह आह करने लगीं और बोलीं- अपना वो निकालो।
मैंने कहा- आप ही निकाल दो।
तभी आंटी मेरे लोवर में हाथ डालकर मेरी अंडरवियर में से ही मेरे लंड को सहलाने लगीं। आंटी के हाथ से लंड सहलाए जाने से मेरा लगभग 6 इंच का लंड सर उठाने लगा।
मैंने भी आंटी की पेंटी नीचे करके उतार दी और उनके ऊपर चढ़ गया। आंटी चुदास से भर गई थीं। उन्होंने भी साड़ी ऊपर कर दी और चुत चुदवाने के लिए खोल दी।
मैंने तुरन्त ही उनकी बुर में अपना लंड लगा दिया। आंटी ने लंड को हाथ से पकड़ कर चुत के छेद में फिट कर दिया। मैं लंड पेलने लगा।
आंटी कई महीनों से चुदी नहीं थी, उन्हें मेरे मोटे लंड से दर्द भी हो रहा था … मगर वो चीख को दबाए हुए लंड झेल रही थीं। मैं भी बार बार बगल में देख रहा था कि कहीं माँ न जग जाएं।
अत्यधिक उत्तेजना के कारण आंटी को दस मिनट चोदने के बाद मैंने उनकी बुर में ही अपना पानी गिरा दिया।
आंटी चुदने के बाद उठीं और पेंटी उठाकर नीचे चली गईं। मैं भी उनके पीछे पीछे चल दिया।
अब तक लाइट भी आ गयी थी। मैं आंटी के रूम में आ गया और आंटी से चिपक गया। आंटी मुझसे नजरें नहीं मिला पा रही थीं।
मैंने आंटी से कहा- आंटी मुझे आपकी गांड मारना है।
मेरे मुँह से ऐसे शब्द सुनकर वो शर्मा गयी।
मैंने आंटी को पूरी नंगी कर दिया।
आंटी ने कहा- गांड मारने से पहले मेरी चूत को चूसना होगा।
मैंने कहा- ठीक है।
आंटी ने अपनी चुत खोल कर उठा दी। मैंने आंटी की चूत को चूस चूस कर उनको बेहाल कर दिया।
उसके बाद मैंने आंटी की दोनों चुचियों को बारी बारी से खूब चूसा और इतना दबाया कि उनकी गोरी चूचियां लाल हो गईं। मैंने उनके निप्पलों को खूब पिया।
इसके बाद मैंने अपना लंड आंटी के मुँह में डाल दिया। आंटी ने मेरे लंड को चूस कर गीला कर दिया। जब मैं झड़ने वाला था, तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया।
फिर मैंने आंटी की चूत को खूब पेला।
ठुकाई का खेल खत्म होने के बाद मैंने आंटी से कहा- आंटी, मैं जब चाहूंगा, तब आपको चोद लूँगा और आपकी चूचियों को भी खूब मसलूंगा।
तब आंटी ने हंस कर कहा- ठीक है।
अब सुबह होने वाली थी, तो मैं तुरन्त अपने रूम में आ गया।
सुबह जब नींद खुली थी, तो 8 बज रहा था। आंटी जब मेरे रूम में आईं, तो मैं तुरन्त उनकी चूची को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा।
आंटी ने कहा- बस करो … कोई देख लेगा।
उसके बाद फ़्रेश होने के बाद आंटी के पास रसोई में गया और पीछे से उनकी गांड को सहलाने लगा।
मैंने आंटी से पूछा- आपको कबसे पता चला कि मुझे आपको चोदने की इच्छा है।
आंटी ने कहा- जब तुमने जानबूझकर फिसलने का नाटक करके मेरी चूची को दबाया था, मैं तभी समझ गई थी कि मेरे प्यारे भतीजा को मेरी चूत चोदने का मन है।
मैं हंस दिया।
मैंने आंटी से कहा- आज आपकी गांड मारूँगा।
आंटी ने हंस कर हामी भर दी।
उस दिन के बाद से मैं गाहे बगाहे मौक़ा मिलते ही आंटी को चोदने लगा। लेकिन मुझे उनकी गांड मारने का मौक़ा नहीं मिल रहा था।
फिर एक दिन मेरी दीदी अत्यधिक गर्मी होने के कारण शाम को बाथरूम से नहा कर आईं, तो मैं उन्हें देख कर हैरान रह गया। उनका शरीर एकदम मदमस्त लग रहा था। उनके गीले बाल उनकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे।
पहली बार मैंने अपनी बहन को गंदी नजर से देखना शुरू किया।
मैं अपनी सेक्स कहानी को आगे लिखूँ, उससे पहले मैं आप सभी को थोड़ा अपनी बहन के बारे बता दूँ। मेरी बहन का नाम प्रीति है, वो बीएससी थर्ड ईयर में पढ़ती है। वो भी एकदम गोरी है।
उस रात आंटी जब रसोई में खाना बना रही थीं, तो मैं रसोई में गया और पीछे पकड़कर अपना लंड उनकी गांड में दबाने लगा।
मैंने आंटी से कहा- एक बार अपनी गांड दिखाओ न आंटी।
आंटी मना करने लगीं- नहीं, ऐसे खुले में कोई देख लेगा।
मैंने कहा- मम्मी और दीदी अपने रूम में हैं … और पापा बाहर गए हैं। यहां पर कोई नहीं आएगा।
आंटी ने कहा- ठीक है … लेकिन बस देखना … कुछ करना नहीं।
मैंने कहा- ठीक है।
आंटी ने अपनी साड़ी उठाकर अपनी मक्खन गांड दिखा दी। उनकी दूध जैसी सफेद गांड को देखकर ही मेरा लंड खड़ा हो गया। मैं तुरंत आंटी की गांड से लंड सटा कर उनकी गांड में अपना लंड डालने लगा।
आंटी ने कहा कि यहां पर नहीं … जो कुछ करना, वो रूम में करना।
पर मैं कहां मानने वाला था।
मैंने तुरंत उनकी गांड पर दो तीन थप्पड़ मारे और गुस्से में आप से तुम पर आते हुए कहा- आज से तुम मेरी रखैल हो … मैं जब चाहूँ, तुम्हें चोद सकता हूँ … तुम्हें मना नहीं करना है। यदि तुमने मना किया, तो तुम समझ लेना कि मेरे लंड की सेवा तुम्हारी चुत के लिए बंद हो गई।
मुझे मालूम था कि आंटी को मेरे लंड की आदत हो गई है। भैया की गैरमौजूदगी में आंटी को मेरे लंड का ही सहारा था।
मेरे मुँह से ऐसी बात सुनकर वो चुप हो गईं और मैं वहां से चला गया।
मैं सीधे बाथरूम में गया और मैंने आंटी की गांड के नाम की मुठ मारकर अपने आपको शांत किया। फिर अपने रूम में जा कर बिस्तर पर लेट गया।
मैंने सोचने लगा कि मैंने गुस्से में जो बात आंटी से कह दी थी, वो गलत कह दी थी। मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था। मैंने सोचा कि आंटी को अपनी रंडी बनाना ही पड़ेगा … नहीं तो वो मुझे जो चाहिए, वो मुझे नहीं मिल पाएगा।
मैं अभी यही सब सोच रहा था कि मेरी दीदी मेरे रूम में आईं और बोलीं- अंशू तुम मुझे अपना इयरफोन देना।
मैंने अपना इयरफोन दीदी को दे दिया।
दीदी ने उस समय टी-शर्ट पहनी थी, जो बहुत पतली थी। मैं उनकी चुचियों को ही घूर रहा था। दीदी इयरफोन लेकर चली गईं।
मैं सोचने लगा कि काश मेरी बहन भी मुझसे पट जाए, तो मेरे पास अपने घर में ही दो रंडियां हो जाएंगी। मैं जब चाहूं तब किसी को भी चोद लूंगा।
मैं यही सब सोचकर अपना लंड सहला रहा था, तभी आंटी मेरे रूम में आईं और मुझे लंड को सहलाते देखकर हंसते हुए बोलीं- थोड़ा अपने बाबू का लंड तो देखूँ।
यह सुनकर मैं मन ही मन खुश हुआ कि आंटी गुस्से में नहीं है।
आंटी ने मेरे लंड को हाथ में लिया और उसे सहलाते हुए बोलीं- मैं तुम्हारी रखैल हूँ … इस रखैल को तुम चाहे जैसे चोदो, मैं मना नहीं करूँगी।
मैंने कहा- आंटी से मैं तुम्हें नाम से बुलाऊंगा।
आंटी ने कहा- हां ठीक है।
मैंने कहा- तो प्रिया डार्लिंग … ये बताओ कि तुम शादी से पहले चुदी थी कि नहीं?
आंटी ने कहा- हां मेरा एक बॉयफ्रेंड था जो मुझे चोदना चाहता था, लेकिन चोद नहीं पाया। पर वो मेरी जवानी से बहुत खेला है। मेरी चुचियां उसे बहुत पसंद था। मैंने उससे कहा कि चोदने अलावा जो कुछ करना है … कर लो … लेकिन चोदना नहीं है।
मैं आपको अगली कहानी में बताऊंगा कि मैंने आंटी की गांड कैसे बजाई और उनकी मदद से अपनी सगी बहन को कैसे पेला।