सोमवार, 2 अक्तूबर 2023

बड़ी मां को सेक्स के लिए उत्तेजित किया | बड़ी मां के साथ सेक्स कहानी

बड़ी मां के साथ सेक्स कहानी

मैंने अपनी चालू बड़ी मां की ठुकाई की। कैसे और क्यों? मेरी बड़ी मां बहुत सेक्सी हैं। उनकी उठी हुई गांड बड़ी कामुक दिखती है। उनकी उभरी हुई चूचियां भी बड़ी दिलकश हैं।



फ्री सेक्स कहानी पढ़ें वाले मेरे सभी दोस्तो, आपको मेरा नमस्कार।
मेरा नाम अंकित है। मेरे परिवार में 7 लोग रहते हैं। मैं परिवार में सबसे छोटा हूँ। मुझसे 2 बड़े भैया और 2 बड़ी बहन हैं। मेरी भाभी की ठुकाई की एक गंदी कहानी पहले चुकी है, जिसका शीर्षक
छत पर देवर भाभी सेक्स स्टोरी
था।

उस कहानी में मैंने अपनी संख्या जोड़कर परिवार में सिर्फ 6 लोगों का ही लिखा था। इसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ।

वो मेरी पहली सेक्स कहानी होने के कारण एक छोटी से गलती हो गयी। उस कहानी में मैं अपने परिवार के बारे बताना भूल गया था। ये कहानी उस कहानी से अलग है।

मेरे पापा 4 भाई हैं, सभी लोग अलग अलग जगह पर रहते थे। अभी भी कोई गांव में कोई कार्यक्रम होता है, तो सभी परिवारी जन गांव में एक ही जगह इकट्ठा होकर सब लोग मिल जुलकर कार्यक्रम में शामिल होते हैं।

मैं एक छोटे से शहर में रहता हूं, जो मेरे गांव से 40 किलोमीटर की दूरी पर है। मेरे गांव में सिर्फ़ मेरे सबसे छोटे चाचा का परिवार रहता है।

यह कहानी मेरे मम्मी की है। मैं अपने बड़ी मां के बारे में बता देता हूं। मेरी बड़ी मां का नाम शालिनी है, वो 46 वर्ष की हैं। मेरी बड़ी मां बहुत सेक्सी हैं। उनका सबसे सेक्सी अंग उनका पिछवाड़ा है। मेरी मम्मी की उठी हुई गांड बड़ी कामुक दिखती है। उनकी उभरी हुई चूचियां भी बड़ी दिलकश हैं।

जिस औरत के ये दोनों अंग सेक्सी होते हैं, उसे कोई भी मर्द चोदना चाहता है। मेरी मां को भी कोई भी देखते ही सबसे पहले उनकी गांड मारने की सोचने लगता है।

मेरी बड़ी मां थोड़ा पूजा पाठ में ज्यादा रुचि लेती हैं। गांव में चाचा के यहाँ कोई पूजा-पाठ का कार्यक्रम था, साथ ही मेरे खानदान में एक लड़की की शादी भी थी। इस कारण भैया के घर में जाने से मैं भाभी को चोद नहीं पाता था। मुझे बहन से ज्यादा भाभी को चोदने में मजा आता है।

तो हुआ यूं कि पूजा-पाठ होने के कारण बड़ी मां ने मुझसे कहा- अंकित कल गांव चलते हैं।
मैंने बड़ी मां से कहा- ठीक है।

लेकिन मैं बस यही सोच रहा था कि यहां तो चोदने को बहन भी है, वहां पर लंड के लिए कौन मिलेगा।
मैंने एक बार कहा- प्रियंका दीदी  को भी साथ ले कर चलते हैं।
इस पर बड़ी मां ने कहा- नहीं, प्रियंका दीदी के एग्जाम चल रहे हैं, वो यहीं पर रहेगी। तुम्हारा कॉलेज बंद है। तुम्हीं बस चलो।
मैंने मायूस होकर कहा- ठीक है।

मैं रात में यही सोचता रहा कि गांव में दो हफ्ते किसे चोदूँगा। फिर मैंने सोचा कि आज की रात क्यों व्यर्थ जाने दूँ।

मैंने मोबाइल में टाइम देखा, तो 11 बजने वाले थे। मैं तुरन्त बहन के रूम में घुसने को हुआ। देखा कि अन्दर से दरवाजा बंद था।

मैंने प्रियंका दीदी को फोन किया, तो उसने तुरंत दरवाजा खोल दिया। मैं अन्दर गया तो देखा कि प्रियंका दीदी पहले से ही ब्रा और पेंटी में थी।
प्रियंका दीदी ने दरवाजा अन्दर से बंद करके पूछा- तुम उदास क्यों हो?

मैंने उनको सारी बात बताई, तो प्रियंका दीदी ने कहा- अरे यार, ये तो बड़ी दिक्कत हैयदि मेरे एग्जाम होते, तो मैं साथ चलतीमुझे भी तो खुद रोज चुदवाने की आदत हो गई है। मुझे भी तो मेरी चुत के लिए लंड चाहिये।
मैं उसकी बात सुनता रहा।

प्रियंका दीदी ने कहा- बुरा मानो, तो एक बात कहूँ?
मैंने कहा- हां बताओ।
प्रियंका दीदी ने कहा- तुम बड़ी मां को पटाने का प्रयास करो। तुम भी बड़ी मां की गांड को पेलना चाहते हो। मैंने तुम्हें बड़ी मां की गांड को घूरते हुए देखा है।
मैं एक पल के लिए तो चौंक गया।

तभी प्रियंका दीदी ने आगे कहा- मैं चाहती हूँ कि अपने परिवार में सब लोग एक दूसरे को चोदें, तो कितना अच्छा होगा।
मैंने कहा- बड़ी मां बुरा मान जाएगी।
प्रियंका दीदी ने कहा- मैंने सुना है कि गांव में रहने वाले सुरेश चाचा और बड़ी मां के बीच में रिश्ता था। हम लोग गांव में जब रहते थे, तब मैंने सुना था कि सुरेश बड़ी मां को चोदता था।

ये बातें सुनकर मुझे थोड़ा झटका लगा कि बड़ी मां भी किसी से चुदती हैं।
मैं ये सुनकर खुश हो गया कि अब मैं पक्का अपनी चालू बड़ी मां की चौड़ी गांड पेलूँगा।

उसके बाद प्रियंका दीदी को दो बार चोद कर उसी जगह प्रियंका दीदी से लिपट कर सो गया। सुबह जब नींद खुली, तो प्रियंका दीदी बाथरूम में थी। मैं अपने रूम में गया।

सुबह भैया ने मुझसे और बड़ी मां से पूछा- कब जा रहे हो?
ये सुनकर बड़ी मां ने कहा कि दोपहर में चले जाएंगे।
तब भैया ने कहा कि इतनी गर्मी में दोपहर से अच्छा शाम को निकलना ठीक रहेगा।

बड़ी मां ने हामी भर दी।

फिर बड़ी मां ने मुझसे कहा कि पहले कुछ सामान खरीदना है। उसके बाद जब सामान खरीदकर आउंगी, तो चलेंगे।
मैंने कहा- ठीक है।

बड़ी मां और भाभी दोपहर एक बजे शॉपिंग के लिए चली गईं। मैंने अन्तर्वासना पर बड़ी मां की ठुकाई की कई कहानी पढ़ी थी तो अपने मैं रूम में लंड हिलाता हुआ यही सोच रहा था कि बड़ी मां को कैसे चोदा जाए।

मैं ये भी जान चुका था कि बड़ी मां तो पहले से किसी गैर मर्द से चुद चुकी हैं, तो उन्हें चोदना आसान होगा। जब बड़ी मां और भाभी शाम को 5 बजे आईं, तो मैं बरामदे में बैठा था। इस वक्त मैं अपनी बड़ी मां की चौड़ी गांड को ही घूरे जा रहा था।

जब मुझे गांड घूरते हुए भाभी ने देखा, तो उन्होंने इशारे से मुझे अपने रूम में बुलाया। मैं उनके रूम में गया। मुझे पहले से ही पता था कि भैया घर पर नहीं हैं। वे कहीं गए हुए थे।
बड़ी मां सामान लेकर रूम में जा चुकी थीं।

मैं भाभी के रूम में गया और तुंरत ही उनकी साड़ी उठाकर पेंटी को नीचे करके उनको बेड पर पटक दिया और उनकी चुत को दनादन पेलने लगा।
भाभी मना करती ही रह गईं लेकिन मैं कहां मानने वाला था। मैं भाभी की मस्त बुर को चोदने लगा।

भाभी चुत चुदवाते हुए कहने लगीं- तुम्हारे भईया ने खुद मेरी बुर का भर्ता बना दिया था। बची खुची इस बुर का भोसड़ा बनाने की कसर तुमने पूरा कर दी।

भाभी बाजार से शॉपिंग क़रने से खुद थक चुकी थीं और इस ठुकाई से और थक गई थीं।

फिर भाभी ने कहा- तुम एक नंबर के चोदू हो अब अपने बड़ी मां पर ही गन्दी नजर डाल रहे हो। भाभी बहन के चोदने के बाद मादरचोद भी बनना चाहते हो।

मैंने बड़ी मां की सारी बात भाभी को बता दी।
ये सुनकर भाभी ने कहा- तब तो तुम अपनी चालू बड़ी मां को चोद सकते हो। इस रंडी की चूत और गांड जल्दी से चोद ही दो।

मैंने भाभी से पूछा- कोई उपाय बताओ।
भाभी ने कहा कि तुम बस से जाओ और यहां से रात में निकलो। तीन घण्टे का सफ़र है। तुम पीछे वाली सीट लेना। उसके बाद खुद तुम जानते हो कि तुम्हें क्या करना है।

ये बात सुनकर मैंने खुशी से भाभी की चूची जोर से दबा दी तो भाभी ने कहा- जाओ अपनी चालू बड़ी मां शालिनी रंडी की चूची दबानाउसके कुछ ज्यादा ही बड़े हैं।

उसके बाद भाभी के होंठों को चूमकर मैं अपने कमरे में गया।

कुछ समय बाद मैं बड़ी मां के पास गया और बोला कि हम लोग रोडवेज से चलेंगे।
बड़ी मां ने कहा- ठीक है, चाहे जिससे चलो।

हमारे गांव के लिए दो रोडवेज की बस जाती हैं। एक 6 बजे और एक 8 बजे। हम लोग 7:30 पर डिपो पहुंच गए।

कुछ समय बाद डिपो पर बस आकर खड़ी हो गयी। मैं और बड़ी मां बस में चढ़े। मैं पीछे से तीसरी वाली सीट पर जा कर बैठ गया। मैंने बड़ी मां को खिड़की के बगल में बैठा दिया और खुद बड़ी मां के बगल में बैठ गया। बस में जो भी यात्री आता, वो आगे ही बैठता था। बड़ी मुश्किल से आधी बस भी नहीं भरी थी। यात्री कम होने के कारण बस कुछ लेट चली। लगभग सवा 8 बजे बस डिपो से चल दी।

कुछ समय बाद मैं दो टिकट खरीद लिए और टिकट लेकर अपनी सीट पर आकर बैठ गया। बस के ड्राइवर ने 30 मिनट बाद बस की लाइट बन्द कर दी। लाइट बन्द होने से पहले ही मैं सोने का नाटक करने लगा था। जब बस की लाइट ऑन थी, तब ही मैं अपना एक हाथ बड़ी मां के जांघ पर रख चुका था।

जब बस की लाइट बन्द हो गयी, तो मैंने अपना सर बड़ी मां के कंधे पर रख दिया। मैं बड़ी मां की भीनी भीनी खुशबू को सूंघने लगा। जब बस किसी गड्डे में उछलती थी, तो मैं अपना हाथ बड़ी मां के चुत की ओर ले जाता। कुछ देर तक यूं ही चला, जब मेरी बड़ी मां ने विरोध नहीं किया, तो मैंने साड़ी के ऊपर से ही उनकी दोनों जांघों के बीच उंगली डालने का प्रयास किया।

मेरी बड़ी मां ने वहां से मेरा हाथ हटा दिया। तब मुझे लगा कि मैं बड़ी मां को नहीं चोद पाऊंगा। दस मिनट बाद बस फिर से उछली, तो मैं अपना सर बड़ी मां की मोटी चूची पर रख दिया।
बड़ी मां ने मेरा सर वहां से नहीं हटाया, तो अपना सर बड़ी मां की चूची पर दबाने लगा। मैंने भी अपना सर उनकी चूचियों से नहीं हटाया।

थोड़े समय बाद बड़ी मां ने मेरा सर अपने गोद में रख लिया। मैं भी बड़ी मां की गोद में सर रख कर दोनों पैर बची सीट पर रख कर लेट गया।

कुछ समय बाद मैंने देखा कि बड़ी मां भी आंखें बंद हो चुकी थीं। मैंने सोचा कि बड़ी मां भी कहीं सोने का नाटक तो नहीं कर रही हैं।

मैं इस बात से खुश था कि यदि नाटक कर रही हैं, तो मेरी पूरी लाइन क्लियर है। यदि सच में सो रही हैं, तो हाथ से मजा ले ही लिया जा सकता है।

मैं तुरन्त ही अपने एक हाथ से बड़ी मां की मोटी चूची को सहलाने लगा, तो बड़ी मां तुरन्त ही जग गईं और मुझे देखने लगीं। फिर भी मैंने अपना हाथ बड़ी मां की चूची से नहीं हटाया। बड़ी मां ने भी मेरा हाथ अपनी चूची से नहीं हटाया, तो मैं समझ गया कि ठुकाई का रास्ता क्लियर है। मुझे समझ गया कि मेरी बड़ी मां भी एक नम्बर की चुदक्कड़ रंडी हैं।

उसके बाद मैंने बड़ी मां की मोटी चूची को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा।

फिर कुछ मिनट के बाद साड़ी के अन्दर हाथ डाला, तो देखा कि बड़ी मां ने पेंटी नहीं पहनी थी। बड़ी मां की बुर पर एक भी झांट के बाल नहीं थे। एकदम चिकनी बुर कर रखी थी। मेरा हाथ बड़ी मां की चुत पर गया, तो मैंने पाया कि बड़ी मां की चुत गीली हो चुकी थी। मैंने बड़ी मां की चुत में उंगली डाली, तो बड़ी मां ने इस्स करते हुए अपनी टांगें चौड़ी कर दीं। मैं समझ गया कि बड़ी मां खुद चुदने के लिए मचल रही हैं।

मैंने उनकी तरफ देखा तो बड़ी मां मुस्कुरा रही थीं। ये देख कर मैं तुरंत ही बैठकर बड़ी मां के रसीले होंठ चूसने लगा और बड़ी मां का एक हाथ अपने लंड पर रख दिया।

मैंने अपना लंड निकालकर बड़ी मां के हाथ में रख दिया। बड़ी मां ने जैसे ही लंड सहलाने शुरू किया, तभी ड्राइवर ने बस की बत्ती ऑन कर दी। बड़ी मां ने मेरा लंड अपनी साड़ी से छुपा लिया। वो मुझसे अपनी आंखें मिला नहीं पा रही थीं। बड़ी मां ने अपनी आँखें नीचे झुका लीं, लेकिन मैं बिल्कुल नहीं शर्मा रहा था।

मैं तुरन्त ही बड़ी मां के कान में बोला- चल मेरी प्यारी रंडी मेरा लंड चूस ले। मैं यह भी जानता हूँ कि तुम कई लंड अपनी चुत में ले चुकी हो।
मेरी मुँह से ऐसी बातें सुनकर बड़ी मां ने कहा- ठीक है लंड चूसती

बड़ी मां ने अपने रसीले होंठों को लंड पर लगाया और लंड चूसने लगीं।

बड़ी मां ने सोचा कि वो मेरे लंड को चूसकर ही पानी निकाल देंगी, लेकिन मैंने ऐसा होने नहीं दिया।

कुछ देर बाद मैंने अपना लंड बड़ी मां के मुँह से निकाल दिया और बड़ी मां के मोटी मोटी चूचियों को जोर जोर से दबाने लगा।

कुछ समय बाद हम लोगों का गांव आने वाला था। रास्ते का पता ही नहीं चला कि कब 3 घण्टे का समय खत्म हो गया। बड़ी मां ने अपनी साड़ी ठीक की और बस से उतर आए। हम दोनों कुछ समय बाद अपने गांव के बाजार में पहुंच गए थे। जब मैंने घड़ी में देखा, तो बारह बजने वाले थे। बाजार में चाचा पहले ही अपनी बोलेरो गाड़ी ले कर ख़ड़े थे। बाजार से अपना घर 3 किलोमीटर दूर था।

हम लोग 5 मिनट में घर पहुंच गए। हम लोगों का एक बड़ा सा घर था, जिसमें सभी परिवार के लोग जब गांव में आते थेतो सभी लोग एक साथ रहते थे।

चाचा ने कुछ जानवर भी पाल रखे थे। उनके लिए अलग से कर्कट का घर था, जो भूसा और जानवरों के रहने के लिए बना था।

मैं और बड़ी मां अपने कमरे में चले गए। मैं तुरन्त ही थके होने के कारण सो गया। जब नींद खुली देखा, तो मेरी बगल में चाची का लड़का सोया हुआ था, जो अभी कम उम्र का था। मैं अपनी रंडी बड़ी मां को सुबह से ही खोजने लगा। वो मुझे कहीं दिखाई नहीं दी।

मैंने चाची से पूछा- बड़ी मां कहां हैं?
चाची ने कहा- वो मन्दिर गयी हैं पूजा क़रने।
मैंने सोचा कि कहीं अपनी चुत की पूजा करवाने नहीं चली गयी हैं।

तभी बड़ी मां घर गईं। मेरी रंडी बड़ी मां ने अभी लाल साड़ी पहनी हुई थीं। वो बड़ी सेक्सी दिख रही थीं। जो भी उस समय मेरी बड़ी मां को देखता, तो उसका मन यही करता कि उसी समय बड़ी मां को पटक कर चोद दें।

सच में उस समय मेरी बड़ी मां इतनी सुंदर लग रही थीं।
मैं अपनी चालू बड़ी मां की ठुकाई करना चाहता था तो तुरन्त बड़ी मां के पास गया और कहा कि आप जल्दी से मेरे रूम जाओ।

मैं अपने रूम में चला गया। दस मिनट के इंतजार करने के बाद जब बड़ी मां नहीं आईंतो मैं गुस्से से बाहर आया और देखा कि बड़ी मां औऱ चाची गांव के पंडित से बात कर रही थीं। उस पंडित की नजर बड़ी मां और चाची की चुचियों पर टिकी थीं।

जब वह पंडित चला गया तो मैं और बड़ी मां दोनों कमरे में गए।

जैसे ही बड़ी मां कमरे में आईं, मैंने बड़ी मां की साड़ी उठाई और दो तीन चमाट लगा दीं।
बड़ी मां ने कहा- ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- चुप रह रंडीजो मैं कर रहा हूँमुझे क़रने दो, नहीं तो मैं अपने सारे दोस्तों से तुझे चुदवाऊंगा। इसलिए जो कर रहा हूँ, मुझे करने दे। अब चल रंडी मेरा लंड चूस।
मेरी चालू बड़ी मां हंसने लगीं और उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया।

मेरी रंडी बड़ी मां की गांड और चूत ठुकाई की कहानी का अगला भाग और भी मस्त होगा। मैं आपके कमेंट्स का इंतजार कर रहा हूँ।



 
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