दीपिका आंटी के साथ सैक्स कहनी पार्ट 3
इस फ्री हिंदी ठुकाई कहानिया में पढ़ें कि कैसे मैंने अपने पड़ोस की सेक्सी प्यासी आंटी की चूत को चाटा, मेरा लंड चूस कर मेरा रस पीया। और फिर मैंने आंटी की चूत ठुकाई की।
अब तक की इस फ्री हिंदी ठुकाई कहानिया के पिछले भाग में
दीपिका आंटी के साथ सैक्स कहनी पार्ट 2
में आपने पढ़ा कि मैंने आंटी की चुत को चूस कर झाड़ दिया था और उसकी चुत का पूरा रस चाट लिया था।
अब आगे:
चुत चुसाई के बाद आंटी ने मुझे गले से लगा लिया और मेरे होंठों को चूमने लगी। मैंने भी उसको अपनी बांहों में भर लिया और एक एक करके उसके सभी अंग सहलाना शुरू कर दिए।
मैंने सबसे पहले आंटी की बड़ी बड़ी चुचियों को दबाया, पीठ को सहलाया। फिर उसके गोल गोल और गोरे गोरे चूतड़ों को सहलाया और दबाया।
तभी आंटी का एक हाथ मेरी पैंट के अन्दर जाने लगा। अगले ही पल आंटी मेरा लंड अपने हाथ में लेकर दबाने लगी।
उसकी यह हरकत देख कर मैं तो पागल सा हो गया। मैंने उसको वहीं सोफ़े पर लेटा दिया और उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया। हम दोनों चूमाचाटी में लग गए।
दस मिनट तक उसके होंठों चूसने के बाद मैंने उसका ब्लाउज़ उतार दिया। फिर साड़ी को भी उससे अलग कर दिया। बाद में उसके पेटीकोट का नाड़ा भी खोल कर उसके पेटीकोट को उतार दिया।
अब इस समय आंटी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। मैंने आंटी की चूचियों को ब्रा पर से ही रगड़ना और चूसना शुरू कर दिया। कुछ पल बाद मैं आंटी के पेट को चूमता हुआ उसकी नाभि पर आ गया। मैंने आंटी की नाभि में जीभ की नोक डाल कर उसको खूब मज़े से चूमा और चूसा।
आखिर में मैंने फिर से आंटी की चूत को पैंटी के ऊपर से चाटना और काटना शुरू कर दिया।
मेरे ऐसा करने से आंटी की आवाज एकदम से बदल गयी। वो अम्म अम्म अम्म करने लगी। अब मैंने उसकी ब्रा और पैंटी को उसके शरीर से अलग कर दिया।
आंटी ने मेरे कान में सरसराया- मुझे भी चूसना है।
ये सुनते ही मैं आंटी से अलग हुआ और हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए।
इस पोजीशन में आकर मैंने उसको बेड पर पीठ के बल लेटा दिया और मैंने अपना मुँह उसकी चूत के तरफ कर लिया।
मैंने अपना लंड आंटी के मुँह की तरफ कर दिया था। आंटी लंड को पकड़ कर सूँघ रही थी। मैं उसकी चूत को बड़े चाव से चाटने लगा। उसी पल आंटी भी मेरे लंड को खूब मज़े से चूसने में लग गई थी।
लंड चुत की मस्त चुसाई चलने लगी। ऐसा करते हुए हम लोगों को दस मिनट से ज्यादा का समय हो गया था।
इसके बाद मैं उठा और आंटी के दोनों पैरों के बीच में आकर बैठ गया। मैं आंटी की चुत निहारने लगा।
आंटी बोली- इतना क्यूँ तड़पा रहे हो मुझे … मेरी चूत में जल्दी से अपना लंड डाल कर इसकी प्यास को शांत करो … अब देर ना करो … जल्दी से अपने लंड से मेरी चूत को फाड़ डालो … इसे चोद चोद कर इसका पानी निकाल दो।
मैंने अपना लंड आंटी की चूत के छेद में सैट किया और एक ज़ोरदार धक्का दे मारा। एक ही झटके में मेरा पूरा लंड आंटी की चूत में समा गया।
उसी समय आंटी के मुँह से ‘ऊई माँ … मर गई।।’ निकल गया।
आंटी कराहते हुए बोली- तुम्हारा लंड तो मेरे पति से भी बड़ा है और मोटा भी है।
मैंने अपना लंड थोड़ा बाहर निकाल कर फिर से धक्का मारा, तो आंटी बोली- थोड़ा धीरे धीरे करो यार … कहीं भागी नहीं जा रही हूँ।
मैंने आंटी की एक ना सुनी और उसके पैरों को और चौड़ा करके पूरी ताकत से आंटी की ठुकाई करने लगा। आंटी भी मस्ती में अपने चूतड़ों को उछाल कर मेरा पूरा लंड अपनी चूत में ले रही थी … साथ ही अपने मुँह से अम्म अम्म की आवाजें भी निकाल रही थी।
आंटी की ठुकाई करते हुए मुझे कुछ समय ही हुआ होगा कि उसका बदन फिर से अकड़ने लगा। आंटी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया। फिर भी मैं नहीं रुका … मैं आंटी की ठुकाई करता जा रहा था।
अचानक आंटी की चूत से पानी की फुहार निकली और वो बोल पड़ी- आह … कितने दिनों के बाद मेरी ऐसी ठुकाई हुई है … आज से मैं तुम्हारी हूँ … और आगे भी तुम्हारी ही रहूँगी मेरे राजा।
इतना सुन कर मुझे रहा नहीं गया और मैंने भी आंटी की चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों को चूसा। मैं अपने लंड को और तेज़ी से उसकी चूत में पेलने लगा।
आंटी बोलती रही- आह … अब बस करो मेरे देवर राजा … मेरी बर्दाश्त के बाहर हो रहा है।
पर मैं कहां सुनने वाला था। मैं लगातार आंटी की चूत को चोदता रहा।
आंटी ने कहा- जल्दी करो … जो करना है … नहीं तो मेरे सास-ससुर आ जाएंगे।
मुझे एकदम से ख्याल आया कि कहीं लफड़ा न हो जाए। अगले ही पल मैंने आंटी को उठाया और उसे अपने लंड के ऊपर बैठा लिया।
मैंने आंटी से कहा- अब आप मेरे लंड को अपनी चूत में डाल कर ऊपर-नीचे करो।
आंटी ने वैसा ही किया। वो मेरे लंड को अपने हाथ से अपनी चूत पर रगड़ने लगी और एक झटके में अपनी चूत में डाल कर अपने चूतड़ों को तेज़ी से ऊपर-नीचे करने लगी। उसके चूतड़ों के साथ साथ उसकी चूचियां भी ऊपर-नीचे हो रही थीं।
मैंने अपने हाथों में आंटी की उछलती चूचियों को पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया। मैं चुत ठुकाई के साथ आंटी के दूध चूसने का भी मजा लेने लगा। ऐसा करने से आंटी और ज्यादा तड़पने लगी। वो और तेजी से मेरे लंड पर ऊपर-नीचे हो रही थी। जब वो थक गयी, तो मैंने उसे सोफ़े पर ही घोड़ी बनने को कहा।
जब आंटी घोड़ी बनी, तो मैं उसके पीछे आकर उसके चूतड़ों को अपने हाथों से फैलाकर उसकी चूत के छेद में अपना लंड सैट करते हुए एक धक्का दे मारा। मेरा पूरा लंड उसकी चूत के छेद में घुसता चला गया। अब मैंने आंटी के दोनों चूतड़ों को कसके पकड़ कर उसकी ठुकाई शुरू कर दी।
दोस्तो, क्या मज़ा आ रहा था इस पोजीशन में। मैं अपना पूरा लंड बाहर निकाल कर फिर से आंटी की चूत में पेल रहा था। वो भी एकदम से मस्त होकर गांड हिला रही थी।
आंटी बोली- आह क्या मस्त ठुकाई करते हो तुम … मेरी चूत तो ऐसा लंड पाकर धन्य हो गई।
कोई पांच मिनट बाद मैंने कहा- मेरा छूटने वाला है दीपिका … मैं क्या करूं?
आंटी बोली- चिंता मत करो मेरे राजा … मेरी चूत में ही अपना माल निकाल दो।
मैंने ज़ोर के धक्कों के साथ अपना माल आंटी की मखमली चूत में भर दिया।
कुछ देर बाद हम दोनों खड़े हुए और कपड़े पहन कर खुद को सही करने में लग गए। मैंने अपने कपड़े पहने और आंटी को भी उनकी ब्रा और पैंटी भी पहनायी।
जब वो पूरे कपड़े पहन कर तैयार हो गई, तो मैंने आंटी को अपनी बांहों में भर लिया और कहा- दीपिका आंटी आप ही पहली हो, जिसके साथ मैंने पहली बार ठुकाई की है। सच मानो मुझे आपको चोदने में मज़ा आ गया।
आंटी भी बोली- हां मैं भी तुमसे चुद कर बहुत खुश हूँ। अब तुम्हारा जब भी मन करे, तुम मुझे अपनी बांहों में ले सकते हो और जी भरके मुझे चोद सकते हो।
इतना सुन कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। आंटी को भी पता चल गया कि मेरा लंड उसे सलामी दे रहा है, तो उसने कहा- तेरे लंड को अभी भी मेरी चूत चाहिए … देख कैसे इशारे कर रहा है।
मैंने बोला- तो हो जाए फिर से।
आंटी बोली- यार मैं बहुत थक गयी हूँ और मम्मी पापा के आने का टाइम भी हो गया है। फिर किसी दिन पूरा मजा लूंगी। लेकिन अभी तो इसको शांत करने का मेरे पास एक तरीका है।
आंटी ने मेरी पैंट से मेरा लंड निकाला और उसे चूमने लगी। फिर एक ही बार में उसे अपने मुँह में भर कर फिर से चूसने लगी कि जैसे वो मेरे लंड को पूरा का पूरा निगल जाएगी।
दोस्तो, क्या बताऊं … आंटी मेरा लंड ऐसे चूस रही थी कि मैं भी उसके मुँह में ही अपने लंड को आगे पीछे करने लगा। या यूं कहा जाए कि इस वक्त मैंने अपने लंड से आंटी के मुँह को ही चोदना शुरू कर दिया था।
कुछ ही मिनट में मेरा माल निकलने को हो गया था, तो मैंने आंटी को बोला- मैं झड़ने वाला हूँ।
आंटी हाथ का इशारा करती हुई बोली- कोई बात नहीं … तुम मेरे मुँह में ही अपना पूरा माल निकाल दो।
मैंने आंटी के सिर को कसके पकड़ लिया और अपना लंड तेजी से आंटी के मुँह में अन्दर बाहर करने लगा।
फिर एक जोरदार धार के साथ मैंने आंटी के मुँह को भर दिया। आंटी भी मेरा पूरा माल पी गयी और मेरे लंड को चाट चाट कर पूरा साफ कर दिया।
मैंने आंटी को कहा- आंटी आप कमाल की चुसक्कड़ हो।
आंटी बोली- वो कैसे?
मैं बोला- आंटी आपको लंड चूसना और लंड से चुदवाना बहुत अच्छे से आता है।
आंटी हंस दी।
फिर मैं अपने घर को चलने के लिए तैयार हुआ, तो आंटी ने कहा- शाम को पार्टी में आना ना भूलना।
मैंने कहा- अब तो आंटी आना जाना लगा रहेगा।
आंटी ने हंस कर कहा- हां हां क्यों नहीं … मैं तो खुद बेसब्री से तुम्हारा इंतज़ार करूंगी।
इतना कह कर मैं उनके घर के बाहर आ गया और अपने घर आ गया।
फिर जैसे तैसे शाम हुई। मैं भी बन ठन कर आंटी के घर पहुंच गया। सामने ही उनके सास ससुर बैठे थे, तो मैंने उनको नमस्ते किया।
उन्होंने कहा- बेटा तुमने घर को बहुत अच्छा सजाया है।
मैंने कहा- आंटी जी ने भी मेरी बहुत मदद की … तब जाकर हो पाया है।
अंकल खुश हो गए।
मैंने कहा- वैसे आंटी जी है कहां?
आंटी की सास बोलीं- वो रसोई में है।
मैंने उनसे पूछा- मैं अन्दर चला जाऊं … उनसे मिल लूं, उनका कोई और काम तो नहीं बाकी है।
उनकी सास ने बोला- हां देख लो … बेचारी सुबह से अकेले ही परेशान हो रही है। तुम साथ में रहोगे, तो उसकी कुछ मदद हो जाएगी।
इतना सुनते ही मैं रसोई में चला गया। आंटी किचन में कुछ कर रही थी।
आंटी ने उस समय गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी। पीछे से क्या गजब माल लग रही थी। मेरा मन तो कर रहा था कि पीछे से साड़ी उठाकर अपना लंड उसकी चिकनी चूत में पेल दूँ।
लेकिन पार्टी का माहौल था, कोई भी आ सकता था, तो मैंने आंटी को पीछे से आवाज दी- आंटी क्या कर रही हो?
मेरी आवाज सुनते ही आंटी झट से पलट गयी और बोली- तुम कब आए?
मैंने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा- आंटी, तुम तो कमाल की माल लग रही हो।
आंटी हंस कर बोली- सच में!
मैंने बोला- हां आंटी।
लेकिन आंटी ने लिपस्टिक नहीं लगाई थी, तो मैंने बोला- आंटी लिपस्टिक नहीं लगाई आपने?
आंटी बोली कि चलो … तुम ही लगा दो।
मैंने बोला कि नेकी और पूछ पूछ … चलो।
आंटी ने कहा कि तुम बेडरूम में चलो, मैं आती हूँ।
मैं उसके बेडरूम में चला गया और टीवी देखने लगा। लगभग दस मिनट में आंटी कमरे में आ गयी और दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया।
मैं बोला- ये क्या कर रही हो आंटी?
आंटी ने कुछ नहीं कहा, बस मुझे बेड पर धक्का दे कर मेरे ऊपर चढ़ गयी और मेरे होंठों को चूमने लगी।
मैं भी आंटी के होंठों को कस के चूमने लगा और उसको अपनी बांहों में कस लिया।
कुछ देर बाद हम दोनों उठे।
मैंने बोला- दीपिका, आज तो आप कमाल की चहक रही हो।
आंटी ने कहा- सब तुम्हारा कमाल है … कितने दिनों बाद मैं अपने आप को खुश महसूस कर रही हूँ।
हम दोनों एक दूसरे के बांहों में चिपक गए।
मैं बोला- मैं बहुत नसीब वाला हूँ कि आज इतनी खूबसूरत आंटी मेरी बांहों में है।
आंटी ने कहा- मैं भी बहुत खुश हूँ कि तुम जैसा साथी मुझे मिला, जिसने मुझे इतनी खुशी दी है। जो कि मेरा पति मुझे कभी भी नहीं दे पाया। तुमने मुझे संतुष्ट भी किया है।
इतना कह कर हम दोनों ने एक बार फिर एक दूसरे को चूमा, फिर अपने आपको सही किया।
मैंने आंटी से बोला- आंटी मुझे आपके साथ सुहागरात ऐसे मनानी है, जैसे एक पति और पत्नी शादी के बाद मनाते हैं।
आंटी जी ने कहा- ओके मैं कुछ करती हूँ। जब मुझे मौका मिलेगा, तो मैं तुमको बता दूंगी।
ये कह कर आंटी बेडरूम के बाहर निकल गयी।
दोस्तो, मुझे आंटी और आंटी के साथ सुहागरात (हनीमून) मनाना बहुत पसंद है क्योंकि उनकी बड़ी बड़ी चूचियां चूसने में बड़ा मज़ा आता है और उनके मटकते हुए बड़े बड़े चूतड़ों को मसलने में भी बड़ा मजा आता है।